लोकसभा चुनाव में RJD की हार पर सामने आए लालू के लाल तेज प्रताप, कह दी बड़ी बात
लालू के लाल तेज प्रताप यादव लोकसभा चुनाव में राजद को मिली करारी हार पर पहली बार सामने अाए। उन्होंने खुद पर लगे आरोप पर कुछ नहीं बोला लेकिन जनादेश पर कह दी बड़ी बात।
पटना [जेएनएन]। लोक सभा चुनाव (Lok Sabha Election) में हार के बाद मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इसके कारणों की समीक्षा के लिए अहम बैठक की। बैठक में भले ही तकनीकी कारणों से लालू के लाल तेज प्रताप यादव नहीं आए, लेकिन उन्होंने पत्र भी लिखा, ट्वीट भी किया और वे मीडिया के सामने भी आए। उन्होंने पहली बार लोकसभा में राजद को मिली करारी हार पर मुंह खोला। वे तेजस्वी के समर्थन में खुलकर आए और उनका बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह सेटिंग की जीत है। इसमें तेजस्वी की हार नहीं है। इतना ही नहीं, उन्होंने पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने नसीहत भी दी।
बता दें कि बैठक के पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) सहित कई नेताओं ने लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के दोनों बेटों के खिलाफ न केवल बयान दिए थे, बल्कि कार्रवाई की भी मांग की थी। ऐसे में यह सवाल भी उठने लगा था कि अगर हार के लिए तेज प्रताप यादव पर जिम्मेदारी तय की गई तो वे क्या करेंगे? लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस हार के लिए उम्मीदवारों ने न तेजस्वी को दोषी ठहराया और न ही तेजप्रताप को।
दूसरी आेर तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने भी साफ कर दिया कि यदि तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) काे कोई दोषी ठहराते हैं तो वे पार्टी को छोड़ दें। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जिसको तेजस्वी के नेतृत्व पर शक हो, वो राजद पार्टी छोड़ दें। बाद में उन्होंने मीडिया से कहा कि इस हार के लिए तेजस्वी कहीं से दोषी नहीं हैं और उनहें इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। उन्हाेंने कहा कि इसमें कांग्रेस की भी हार हुई और राहुल गांधी की भी हार हुई। ऐसे में राहुल को भी इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है।
समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुए तेज प्रताप
लोकसभा चुनाव में हार के कारणों पर आरजेडी की समीक्षा बैठक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर हुई, जिसमें राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव व मीसा भारती के साथ रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह जैसे कद्दावर नेता भी शामिल हुए। लेकिन इसमें तेज प्रताप यादव शामिल नहीं हुए। कहा गया कि यह उम्मीदवारों की बैठक थी। उन्हें ही अपनी हार के बारे में जानकारी देनी थी। हालांकि बैठक में तीन सदस्यीय कमेटी बनाने की बात कही गयी। यह कमेटी माइक्रोलेवल पर जांच करेगी और रिपोर्ट देगी। राजद ने बैठक के बाद साफ कहा कि यह जनादेश की जीत नहीं है, बल्कि यह षडयंत्र की जीत है।
तेजस्वी यादव का नेतृत्व नहीं स्वीकार
बता दें कि चुनाव में हार के बाद तेज प्रताप ने पार्टी की समीक्षा बैठक के पहले 27 मई को अपनी बैठक (जनता दरबार) की घोषणा की थी। बाद में उन्होंने इसे स्थगित तो कर दिया, पर सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि हार के बाद आरजेडी में सबकुछ ठीक नहीं है। आरजेडी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा है कि तेजस्वी यादव व तेज प्रताप यादव के झगड़़े में पार्टी का बंटाधार हो गया। इससे महागठबंधन के साथ-साथ आरजेडी को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने तेज प्रताप यादव पर कार्रवाई की भी मांग की है।
पार्टी विधायक महेश्वर प्रसाद यादव ने सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में नेतृत्व करने वाले तेजस्वी यादव से नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा तक मांगा है। उन्होंने आरजेडी का खाता तक नहीं खुलने के कारण तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी विधायक महेश्वर प्रसाद यादव ने किसी वरीय नेता को नेतृत्व सौंपने की मांग की है।
लालू परिवार में विरासत की जंग
लालू के जेल जाने के बाद परिवार में भी विरासत की जंग चल रही है। साल 2016 में शुरू हुई यह जंग गहरी होती जा रही है। लालू ने तेजस्वी व तेज प्रताप को बिहार की कमान सौंपी तो बेटी मीसा भारती को राज्यसभा में भेजकर यह तय किया कि वे दिल्ली और लोकसभा चुनाव देखेंगी। लेकिन यह फॉर्मूला फेल हो गया। बताया जाता है कि तेज प्रताप इससे संतुष्ट नहीं हुए। तेज प्रताप खुद को तेजस्वी का बड़ा सहयोगी का सहयोगी बताते रहे हैं। हालांकि, वे बड़ा बेटा होने के नाते खुद को लालू का उत्तराधिकारी भी समझते हैं। वे खुद को दूसरा लालू भी बताते रहे हैं।
धीरे-धीरे बढ़ती गई तेज प्रताप की बगावत
इस बीच तेजस्वी की पार्टी पर पकड़ मजबूत होती चली गई। साथ-साथ तेज प्रताप की बगावत भी बढ़ती गई। लोकसभा चुनाव में जब तेज प्रताप की बात नहीं मानी गई तो उन्होंने 'लालू राबड़ी मोर्चा' बना पार्टी के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतार दिए। आरजेडी की हार के लिए तेज प्रताप भी एक कारण बने।
बड़ा सवाल: अब आगे क्या करेंगे लालू के बड़े लाल
अब सवाल यह है कि तेज प्रताप आगे क्या करेंगे? माना जा रहा है कि उनका कदम पार्टी की समीक्षा बैठक के फैसलों पर निर्भर करेगा। पार्टी पर लालू परिवार की पकड़ को देखते हुए अभी भी तेज प्रताप के खिलाफ किसी बड़ी कार्रवाई की उम्मीद नहीं है। हां, कोर कमेटी बना और उसमें बड़े नेताओं को रख असंतोष काे खत्म करने की कोशिश की जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो तेजस्वी की वर्तमान हैसियत प्रभावित होगी। तब आने वाले दिनों में तेज प्रताप यादव पार्टी पर पकड़ बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
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