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शिक्षक दिवस विशेष: अंडे की दुकान से उठा गुरु ने पहुंचा दिया आइआइटी

सुपर कॉप रहे अभयानंद ने एक अंडे के दुकान पर अपना बचपन बिताने वाले छात्र याजीद पाशमा को महाराष्ट्र से पटना लाकर पढ़ाया और उसे आइआइटी तक पहुंचा दिया।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 02:22 PM (IST)
शिक्षक दिवस विशेष: अंडे की दुकान से उठा गुरु ने पहुंचा दिया आइआइटी
शिक्षक दिवस विशेष: अंडे की दुकान से उठा गुरु ने पहुंचा दिया आइआइटी

पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। गुरु ने एक छोटी सी मुलाकात में बच्चे की मेधा परख ली। फिर उसे इस तरह तराशा कि एक ही कोशिश में वह आइआइटी, खडग़पुर पहुंच गया। कभी अंडे की दुकान पर घुट रहे बचपन को संवरते देर न लगी। इस समय वह एक बड़े संस्थान में इंजीनियर है।  

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इस कहानी के प्रणेता हैं, सुपर कॉप रहे अभयानंद और उसकी परिणति हैं इंजीनियर याजीद पाशमा। याजीद अपने इस गुरु द्वारा तराशी गई अनुपम कृति हैं। बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रह चुके अभयानंद बताते हैं कि बात 2009 की है। 

उन दिनों यह चर्चा खूब होती थी कि किस तरह से आतंकी संगठन मुस्लिम समाज के होनहार बच्चों को गलत दिशा में मोडऩे में सक्रिय हैं। उस समय मैं पटना में रहमानी सुपर-30 क्लास में बच्चों को पढ़ाता भी था। इसके कर्ता-धर्ता वली रहमानी साहब ने यह तय किया कि मुंबई चलकर वहां भी ऐसी पहल की जाए। 

मुस्लिम समाज के बच्चों को पढ़ाई की दुनिया में आगे किया जाए। इस सिलसिले में वे लोग मुंबई पहुंचे। तय हुआ कि लिखित परीक्षा ले ली जाए। हम वहां पहुंच बच्चों से बात कर रहे थे, तभी सशंकित भाव में एक बच्चा मेरे पास आया। उसका नाम याजीद पाशमा था। 

अभयानंद उस वाकये को याद करते हुए आगे कहते हैं, वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में किसी छोटे कस्बे का रहने वाला था। उसके पिता अंडा बेचते थे। याजीद उनके काम में हाथ बंटाता था। उसने अभी दसवीं की परीक्षा पास की थी। आगे पढऩा चाहता था। कहीं से सुनकर हमारे पास चला आया था। 

याजीद से जब मेरी बात हुई तो उसके अंदर पढ़ाई के प्रति विशेष ललक दिखी। तब मैंने उससे एक सवाल पूछा कि अगर उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच गड्ढा खोद दिया जाए और आप उसमें गिर गए तो क्या करेंगे? यह फिजिक्स का सवाल था, जिसकी पढ़ाई सीनियर लेवल पर होती है। लेकिन तब याजीद ने अपने दिमाग से इतना बढिय़ा जवाब दिया कि मुझे उसे मुंबई से पटना लेकर आने का निर्णय लेने में जरा भी देर न लगी। 

बकौल अभयानंद, याजीद के पिता राजी-खुशी तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि खाने-पढऩे और रहने का इंतजाम हो जाएगा और बेटा पढ़ भी लेगा तो इससे ज्यादा क्या चाहिए। रिटायर्ड आइपीएस अभयानंद बताते हैं कि वे लोग गए थे मुंबई में क्लास शुरू करने पर बच्चे को लेकर पटना ही आ गए। पटना में वह रहमानी सुपर-30 का दूसरा बैच था।

वर्ष 2010-11 में याजीद को पढ़ाया गया। पहले ही प्रयास में वह आइआइटी खडग़पुर के लिए चयनित हो गया। मैकेकिल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर आज एक बड़े संस्थान में इंजीनियर है। अभयानंद उससे पहली मुलाकात और उसकी सफलता की कहानी हमेशा दूसरों को सुना प्रेरित करते हैं। 

याजीद इस समय पुणे में सियर्स होल्डिंग इंडिया में बिजनेस एनालिस्ट के रूप में काम कर रहे हैं। याजीद कहते हैं कि उनकी जिंदगी में गुरु के रूप में अभयानंद का खास महत्व है। माहौल ऐसा मिला कि आज वह एक ऐसे काम से जुड़े हैं, जो बड़े बिजनेस हाउस को निर्णय लेने में मदद कर रहा।  


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