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एेसी चाय की दुकान जहां लालू, नीतीश और मोदी छात्र राजनीति के समय थामते थे प्याला

दरभंगा हाउस स्थित वृद्ध रामायण प्रसाद की चाय की दुकान कई एेतिहासिक यादों की चुस्कियां लिए हुए है। यहां कभी बिहार के राजनीतिक दिग्गजों जुटान होता था।

By Edited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 08:52 AM (IST)
एेसी चाय की दुकान जहां लालू, नीतीश और मोदी छात्र राजनीति के समय थामते थे प्याला
प्रभात रंजन, पटना। पटना विश्वविद्यालय से पढ़े विद्यार्थियों को न केवल ज्ञान मिला बल्कि छात्र राजनीति का ककहरा भी यहीं से सीखा। पीयू में पढ़ने के साथ लालू, नीतीश, सुशील मोदी, अश्वनी कुमार चौबे आदि कई नेताओं ने विवि छात्र संघ का चुनाव जीतकर इतिहास बनाया।


1973 के दौरान चाय की चुस्की के साथ छात्र संघ चुनाव में जीत के लिए रणनीति बनाने वाले छात्रों की बैठकी दरभंगा हाउस स्थित चाय की दुकान पर लगती थी। अब 80 साल के हो चुके रामायण प्रसाद की वह दुकान आज भी मौजूद है। समय के साथ भले ही आज चाय की कई दुकानें विवि के इर्द-गिर्द खुल गई हैं, लेकिन रामायण प्रसाद की दुकान पर आज भी छात्र नेताओं की भीड़ लगती है।

चाय की चुस्कियों के साथ चुनाव की चर्चा
रामायण प्रसाद 1973 में हुए पटना विवि छात्रसंघ चुनाव के बारे में बताते हैं, उस दौर में विवि के छात्र लालू, नीतीश, मोदी, अश्वनी कुमार चौबे आदि की जमघट दुकान पर लगती थी। ये लोग चाय की चुस्की के साथ चुनाव में जीत के लिए रणनीति बनाते थे। लालू यादव चुनाव जीतने के बाद पटना विवि छात्र संघ के अध्यक्ष तो सुशील कुमार मोदी महासचिव बनाए गए। तब समाजवादी युवजन सभा और विद्यार्थी परिषद ने साझा चुनाव लड़ा था। छात्रों को चाय पिलाने के साथ चुनाव पर चर्चा खूब होती थी। इन छात्रों में काफी धैर्य था, जिसने उन्हें चुनाव में जीत दिलाई।



1956 में प्रसाद आए थे पटना
80 वर्षीय रामायण प्रसाद बताते हैं कि साल 1956 में अपने गांव भोजपुर के जगदीशपुर से पटना आए थे। इसके बाद परिवार चलाने के लिए उन्होंने गाय, भैंस पालकर दूध बेचना शुरू किया। लेकिन, कुछ महीने बाद एक-एक कर सारे जानवर मर गए। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और काली घाट के पास चाय की छोटी सी दुकान खोल दी।

बढ़ती महंगाई में भी पांच रुपये की चाय
शुरुआती दिनों में इस दुकान पर 20 पैसे की एक कप चाय मिलती थी। बढ़ती महंगाई में भी रामायण प्रसाद की दुकान में चाय की कीमत पांच रुपये हैं। पुरानी बातों पर प्रकाश डालते हुए रामायण ने कहा कि छात्र आंदोलन के समय से हीं लालू यादव के प्रति गहरा लगाव रहा, जो आज भी है। लालू यादव में टीम का नेतृत्व करने की क्षमता गजब की थी। छात्र संघ चुनाव में लालू की जबरदस्त भूमिका रही और फिर यहीं से राजनीति का नया अध्याय आरंभ हो गया। धीरे-धीरे लोग कॉलेज से निकलकर पूर्ण रूप से राजनीति में आ गए और फिर लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बन गए।

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