Surya Grahan Timing in Bihar: शनि जयंती के दिन लगा साल का पहला सूर्यग्रहण, जानें आप पर क्या होगा असर
Surya Grahan Timing in Bihar वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगा साल का पहला सूर्यग्रहण। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह हैं। ग्रहों की बात करें तो मकर राशि में शनि रहा जिसकी दृष्टि मीन और कर्क राशि में विराजमान मंगल ग्रह पर रही।
पटना/ छपरा/ बक्सर, जागरण टीम। Surya Grahan Timing in Bihar इस साल का पहला सूर्यग्रहण गुरुवार की दोपहर से शाम तक लगा। 148 साल के बाद ऐसा मौका आया कि शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण 148 लगा। इसलिए यह बड़ी खगोलीय घटना है, जो आसमान में हलचल उत्पन्न करने वाली है। सूर्यग्रहण के दौरान रिंग ऑफ फायर की स्थिति बनी। शनि जयंती के दिन सूर्य और शनि का अद्भुत योग भी रहा। चंद्रग्रहण के ठीक 15 दिन बाद लगने वाले इस सूर्यग्रहण को विशेष माना गया। इस ग्रहण का आम लोगों के जनजीवन पर भी अलग-अलग राशि के अनुसार अलग प्रभाव पड़ेगा। सूर्य ग्रहण के दिन ही वट सावित्री व्रत भी मनाया गया।
दोपहर पौने दो बजे से लगा ग्रहण, बिहार में नहीं लगा सूतक
सूर्यग्रहण गुरुवार को दोपहर 01:42 बजे शुरू होकर शाम 6:41 बजे समाप्त हुआ। यह सूर्य ग्रहण बिहार में नहीं दिखाई दिया। इस वजह से अपने प्रदेश में सूतक काल मान्य नहीं रहा। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को यह ग्रहण लगा। अमावस्या व शनि जयंती को स्नान व पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। इसी दिन वट सावित्री का व्रत भी मनाया गया। सुहागन स्त्रियाें ने वट सावित्री का व्रत रख पति की लंबी उम्र की कामना की।
- 1.42 दोपहर गुरुवार को सूर्यग्रहण आरंभ
- 6.41 गुरुवार की संध्या सूर्यग्रहण समाप्त
मृगशिरा नक्षत्र में लगा सूर्यग्रहण
शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण इसके पूर्व 26 मई 1873 को लगा था। छपरा के ज्योतिषाचार्य डॉ. सुभाष पांडेय के अनुसार यह सूर्यग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगा। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह हैं। ग्रहों की बात करें तो मकर राशि में शनि रहा, जिसकी दृष्टि मीन और कर्क राशि में विराजमान मंगल ग्रह पर रही।
शनि देव की विशेष पूजा का भी दिन
सूर्यग्रहण के साथ गुरूवार को शनि जयंती भी थी। यह दिन शनि देव के विशेष पूजा-अर्चना का भी रहा। शनि देव को न्याय का देवता माना गया है। कहते हैं कि व्यक्ति का उसके अच्छे-बुरे कर्मो का फल यही देवता प्रदान करते हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या पर करें पितृ पूजन
आज ज्येष्ठ अमावस्या भी है। यह अमावस्या पितृ पूजन का दिन है। इस दिन पितृ पूजा, दान और स्नान का विशेष महत्व माना गया है। पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि का प्रारंभ नौ जून बुधवार की दोपहर 1:57 बजे से गुरुवार की शाम 4:20 बजे तक रही। उदयकाल के अनुसार गुरुवार को ही अमावस्या स्नान और पूजन किया गया।
बिहार में नहीं रहा ग्रहण का प्रभाव
कर्मकांडियों का कहना है कि ग्रहण के दृश्यमान नहीं होने पर यह किसी धार्मिक महत्व को प्राप्त नहीं करता। यानि की उसका कोई विचार नहीं किया जाता है। बताते चलें कि यह साल का पहला सूर्य ग्रहण है। दूसरा दिसंबर के महीने में लगेगा। इससे पहले 26 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था, लेकिन इसके दिखाई नहीं दिए जाने से सूतक काल मान्य नहीं हो सका। उसी प्रकार गुरुवार को लगने वाले सूर्य ग्रहण का भी सूतक काल मान्य नहीं रहा। इस बात की जानकारी देते हुए बक्सर के आचार्य मुक्तेश्वर नाथ शास्त्री ने बताया कि चूंकि सूर्य ग्रहण यहां दिखाई नहीं दिया, अत: यह प्रभावशाली नहीं रहा। उन्होंने बताया कि वाराणसी पंचांग में किस समय से कब तक सूर्य ग्रहण लग रहा है, इसका उल्लेख नहीं किया गया है।