Move to Jagran APP

Health News: कम उम्र में गर्भाशय व ओवरी की सर्जरी से हड्डियां हो रहीं खोखली, ऑस्टियोपोरोसिस है साइलेंट किलर

ऑस्टियोपोरोसिस साइलेंट किलर है। इसमें बिना किसी लक्षण के हड्डियां कमजोर होती जाती है। इसकी चपेट में युवा भी आ रहे हैं। देश में हर साल 15 लाख फ्रैक्चर होते हैं जिसमें कूल्हे के 5 लाख फ्रैक्चर होते हैं। हर 3 में से एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित है।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 11:14 PM (IST)
Health News: कम उम्र में गर्भाशय व ओवरी की सर्जरी से हड्डियां हो रहीं खोखली, ऑस्टियोपोरोसिस है साइलेंट किलर
ऑस्टियोपोरोसिस में बिना किसी लक्षण के हड्डियां हो रहीं कमजोर

पटना, जेएनएन : हड्डियों का खोखलापन यानी ऑस्टियोपोरोसिस साइलेंट किलर है। इस बीमारी में बिना किसी लक्षण के हड्डियां कमजोर होती जाती है। इसका पता फ्रैक्चर होने के बाद ही चलता है। इसकी चपेट में युवा भी तेजी से आ रहे हैं। देश में युवाओं में जिम जाकर सेहत बनाने का क्रेज तेजी से बढ़ा है। ऐसे में वे ट्रेनर की सलाह पर बिना डॉक्टर या पोषण की सलाह के ऐसे सप्लीमेंट लेना शुरू कर देते हैं जिनमें स्टेरॉयड हाेते हैं। ये स्टेरॉयड न केवल ज्वाइंट्स को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी काफी हद तक बढ़ा देते हैं। प्रदेश में महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण कैंसर व अन्य गंभीर रोगों की आशंका में कम उम्र में गर्भाशय या ओवरी का निकालना माना जा रहा है। मेडिवर्सल हॉस्पिटल में आर्थोस्कोपी सर्जन सह स्पोर्ट्स मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. गुरुदेव कुमार ने विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस के अवसर पर ये बातें अपने अध्ययन से निकले तथ्यों के हवाले से कहीं।   

loksabha election banner

आरामतलब जीवनशैली के कारण खोखलेपन की बढ़ी समस्या

आरामतलब जीवनशैली, डेस्क वर्क का बढ़ता चलन, सूर्य की रोशनी में बहुत कम समय गुजारना, उम्र प्रत्याशा बढ़ने, धूम्रपान व मेनोपॉज के कारण हड्डियों के खोखलेपन की समस्या बढ़ी है। डॉ. गुरुदेव कुमार ने बताया कि हर साल देश में करीब 1.5 मिलियन फ्रैक्चर होते हैं। इसमें  5 लाख हिप के गंभीर फ्रैक्चर होते हैं।  साथ ही हर 3 में से एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित है। वैश्विक संस्था के आकलन के अनुसार वर्ष 2050 तक होनेवाले हर 2 हिप फ्रैक्चर में से 1 मरीज एशिया का होगा। महिलाओं में इसका मुख्य कारण कम उम्र में गर्भाशय के ऑपरेशन के साथ कैंसर की आशंका में ओवरी निकालने को माना जा रहा है। ऐसे में डॉक्टरों को सलाह दी जा रही है कि जबतक बहुत जरूरी नहीं हो गर्भाशय व ओवरी को नहीं निकालना चाहिए। यह बीमारी किस हद तक हमारी बडी आबादी की जीवनशैली को प्रभावित कर रही है। ऐसे में युवाओं को चाहिए कि जिम ट्रेनर के बजाय डॉक्टर की सलाह पर प्रोटीन लें। 

जल्द हो पहचान तो उपचार है संभव : 

हड्डियों के खोखलेपन को डीईएक्सए स्कैन से प्रारंभिक चरण में ही पहचान की जा सकती है। इसके उपचार के लिए अब कई प्रभावी दवाएं आ चुकी हैं। हालांकि इन सबसे बेहतर है कि हम अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत के लिए कुछ समय निकालें। यदि डेस्क वर्क में हैं तो कम से कम आधे घंटे हर दिन व्यायाम जरूर करें ताकि हमारी मांसपेशियां मजबूत बनी रहें। ऐसे में बचाव के लिए हर छह माह में बोन डेंसटिटी की जांच कराते रहें। 

पांच उपाय मजबूत  रखेंगे हड्डी : 

हड्डी मजबूत के लिए पांच सबसे उपाय बताए जाते हैं। इनमें समय-समय पर बोन डेंसटिटि की जांच, पौष्टिक आहार, व्यायाम, शराब और धूम्रपान से परहेज, विटामिन डी सप्लीमेंट तथा स्टेरॉयड युक्त प्रोटीन सप्लीमेंट से दूरी शामिल है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.