नजर लागी तेजस्वी तोरे बंगले पर... जानिए बिहार में बंगला विवाद के साइड इफेक्ट्स
तेजस्वी के बंगले को लेकर चल रहे विवाद पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने तेजस्वी की याचिका खारिज कर दी। जानिए इस बंगला विवाद के साइड इफेक्ट्स।
पटना [काजल]। एक तरफ जहां केंद्र सरकार बेघरों को घर उपलब्ध कराने की योजनाएं चला रही है, वहीं बिहार में सरकारी बंगले को लेकर मचा बवाल फिलहाल थमता नजर आ रहा है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बंगले को लेकर चले लंबे विवाद का आज अंत हो गया है। कोर्ट ने तेजस्वी के द्वारा दायर याचिका को रद कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तेजस्वी की तरफ से दायर याचिका को यह कहकर रद कर दिया है कि जब आप नेता प्रतिपक्ष हैं तो उपमुख्यमंत्री का बंगला क्यों नहीं छोड़ रहे? जब आप उपमुख्यमंत्री थे तब ये बंगला आपको आवंटित था। इसके साथ ही कोर्ट ने तेजस्वी पर पचास हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
पटना हाईकोर्ट ने भी बंगला खाली करने का फरमान सुनाया था
इससे पहले पटना उच्च न्यायालय ने भी तेजस्वी यादव को अपना सरकारी बंगला 5, देशरत्न मार्ग खाली करने का फरमान सुनाया था लेकिन उन्होंने बंगला नहीं खाली किया था। तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान पटना में सरकारी बंगला (5, देशरत्न मार्ग) आवंटित किया गया था।
जब उपमुख्यमंत्री नहीं रहे तो फिर सरकारी बंगला क्यों रखेंगे
जनादेश के विपरीत जब महागठबंधन टूटा और बिहार में एनडीए की सरकार बन गई तो तब तेजस्वी उपमुख्यमंत्री नहीं रहे तो उन्हें भवन निर्माण विभाग ने बंगला खाली करने का नोटिस दिया था। यह बंगला वर्तमान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को आवंटित कर दिया गया था। तेजस्वी इस मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय पहुंच गए और यहीं से बंगले को लेकर विवाद शुरू हो गया था।
बंगला विवाद की जद में आ गए मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री
बंगला खाली करना था तेजस्वी को, लेकिन इसकी जद में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर सरकारी बंगले में रह रहे नेता व जनप्रतिनिधि भी आ गए। बंगले के विवाद पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ा निर्देश दिया कि आखिर बिहार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को किस आधार पर आजीवन बंगला आवंटित किया हुआ है जहां वह रहते हैं ?
पटना हाईकोर्ट ने पूछा था-एक ही व्यक्ति को दो-दो बंगला क्यों...
हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि बिहार में बंगला आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और एक ही व्यक्ति के नाम पर दो-दो बंगला आवंटित किया हुआ है, जो सही नहीं है। पटना उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला देने के नियम पर प्रश्न उठाते हुए ऐसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी किया है, जिन्हें बंगले आवंटित हैं।
इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को भेजा गया नोटिस
पूर्व मुख्यमंत्रियों में सतीश प्रसाद सिंह (33, हार्डिंग रोड), डॉ. जगन्नाथ मिश्र (41, क्रांति मार्ग), लालू प्रसाद और राबड़ी देवी (10, सर्कुलर रोड), जीतन राम मांझी (12, एम. स्ट्रैंड रोड) तथा नीतीश कुमार (7, सर्कुलर रोड) को बंगले आवंटित है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि उत्तर प्रदेश में भी इस प्रकार का आदेश जारी किया गया था। यह नियम जब उत्तर प्रदेश में लागू हो सकता है, तो फिर बिहार में क्यों नहीं?
सीएम नीतीश को छोड़ना पड़ा बंगला
कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद भवन निर्माण विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें कहा गया कि नीतीश कुमार ने 7, सर्कुलर रोड बंगला छोड़ दिया है और यह बंगला अब मुख्य सचिव दीपक कुमार के नाम पर आवंटित कर दिया गया है।
भवन निर्माण मंत्री ने कहा-अब मकान खाली कर दें तेजस्वी
वहीं बिहार के भवन निर्माण मंत्री माहेश्वर हजारी ने कहा है कि तेजस्वी यादव को खुद ही 5, देशरत्न मार्ग खाली कर देना चाहिए था। मकान को प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, 'संविधान बचाओ यात्रा करने वाले कर रहे हैं संविधान का उल्लंघन'।