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छोटी उपलब्धियों पर भी खुश रखना सीखें छात्र

जीवन के प्रति भी स्वयं को प्रेरित रखने की आवश्यकता है

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 06:25 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 06:25 PM (IST)
छोटी उपलब्धियों पर भी खुश रखना सीखें छात्र
छोटी उपलब्धियों पर भी खुश रखना सीखें छात्र

पटना। जीवन के प्रति भी स्वयं को प्रेरित रखने की आवश्यकता है। इसके लिए विद्याíथयों को प्रारंभ में ही लक्ष्य का निर्धारण कर लेना चाहिए। जीवन में वैसे ही लक्ष्य बनाने चाहिए, जिन्हें प्राप्त करना संभव हो। साथ ही हमें अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर खुश होना सीखना चाहिए। इसके अतिरिक्त हमें दूसरों के प्रति कृतज्ञता का भाव भी अवश्य रखना चाहिए। ये बातें क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. निधि सिंह ने कहीं।

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वह टीपीएस कॉलेज में आइक्यूएई सेल की ओर से रविवार को आयोजित 'अनिश्चितता की स्थिति में सकारात्मक एवं प्रेरित रहने की कला' विषय पर परिचर्चा को वर्चुअल रूप से संबोधित कर रहीं थी। आइक्यूएसई समन्वयक प्रो. रूपम ने कहा कि शारीरिक बीमारियों की तरह मानसिक समस्याओं के निदान के लिए भी मनोवैज्ञानिकों की सलाह लेनी चाहिए। दर्शन परिषद के महासचिव डॉ. श्यामल किशोर ने कहा कि व्यक्ति को सकारात्मक एवं सृजनात्मक भाव के साथ आपदा को अवसर में बदलने का हौसला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म ग्रंथ भी कर्तव्यनिष्ठता का उपदेश देते हैं। महाभारत में भी कर्म की प्रधानता पर बल दिया गया है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीपिका शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनय भूषण ने किया। कार्यक्रम में प्रो. जावेद अख्तर खा, प्रो अंजलि प्रसाद, प्रो. कृष नंदन प्रसाद, प्रो. प्रशात, प्रो. उदय कुमार, प्रो. नूतन आदि ने भाग लिया। हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में विकसित करने की जरूरत

पटना। राजकीय महिला महाविद्यालय गर्दनीबाग, पटना के हिंदी विभाग की ओर से हिंदी पखवारा के अंतर्गत रविवार को 'हिंदी का विकास' पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार का उद्घाटन उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक प्रो. रेखा कुमारी ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी को राजभाषा के साथ-साथ राष्ट्रभाषा के रूप में विकसित करने की जरूरत है, जो कि राष्ट्र के विकास में सहायक साबित होगा। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. मैत्रयी चट्टोपाध्याय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में हिंदी के विकास से राष्ट्र का विकास किस तरह से जुड़ा हुआ है, इस पर प्रकाश डाला। मौके पर अन्य मुख्य वक्ताओं के रूप में प्रो. शरदेंदु कुमार, डॉ. चित्रलेखा, डॉ. सरोज कुमारी एवं गुड़िया चौधरी रहीं।


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