300 मीटर की ऊंचाई तक उड़ेगा, जाम में हॉस्पिटल तक ब्लड पहुंचाएगा ड्रोन
मेडिकल इमरजेंसी में अब आसानी से अस्पतालों में ब्लड बैंक से खून या अन्य आवश्यक चीजों को पहुंचाया जासकेगा।
पटना । मेडिकल इमरजेंसी में अब आसानी से अस्पतालों में ब्लड बैंक से खून या अन्य आवश्यक चीजों को समय पर पहुंचाया जा सकेगा। इसमें जाम का कोई प्रभाव नहीं होगा। रविवार को ज्ञान भवन में आयोजित राज्य स्तरीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी में इस मॉडल का प्रदर्शन सारण जिले के विशेश्वर सेमिनरी प्लस टू स्कूल के छात्र विशाल कुमार गुप्ता ने किया। प्रदर्शनी में राज्य के विभिन्न जिलों के स्कूलों से आए छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने मॉडल का प्रदर्शन किया।
10वीं के छात्र विशाल ने अपने शिक्षक मनोज कुमार सिंह के निर्देशन में यह मॉडल तैयार किया है। उसने बताया कि छोटी-छोटी मोटर व पंखी की सहायता से इसे तैयार किया गया है। यह बगैर रिमोट के मोबाइल अप्लीकेशन की मदद से कार्य करेगा। उसके मॉडल से करीब 600 ग्राम वजन को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर भेजा जा सकता है। यह ड्रोन अब तक 300 मीटर की ऊंचाई तक उड़ाया जा चुका है। यह मॉडल किसी भी आकस्मिक स्थिति, रोड जाम, हड़ताल आदि होने पर मेडिकल इमरजेंसी में कार्य करेगा।
- - - - - - -
: चोर के पहुंचने से पहले पुलिस को सूचना देगा डिजिटल लॉक :
मधेपुरा के शिवनंदन प्रसाद मंडल उच्च माध्यमिक विद्यालय मधेपुरा के छात्र आनंद विजय ने खराब पड़े मोबाइल से डिजिटल डोर लॉक बनाया है। इसमें ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि घर का मालिक अपने घर को पूरी तरह डिजिटल रूप से लॉक कर सकते हैं। यदि किसी तरह घर या दीवार फांद कर भी चोर घुसने का प्रयास करता है तो उसमें दर्ज स्थानीय पुलिस व मकान मालिक को कॉल चली जाएगी। यह लॉक घर में पड़े खराब मोबाइल की किट से बनाया गया है। यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।
- - - - - -
: पॉलीथिन से बनेगा प्लास्टिक फ्यूल :
चमन शाह सरस्वती विद्या मंदिर, जगतपुर बांका की नौवीं की छात्रा भानु प्रिया ने प्लास्टिक फ्यूल मॉडल को प्रदर्शनी में रखा है। इसमें दावा किया है कि एक किलोग्राम पॉलीथिन को रिसाइकिल कर 800 एमएल प्लास्टिक फ्यूल बनाया जा सकता है। यह फ्यूल डीजल या पेट्रोल की जगह उपयोग किया जा सकता है।
- - - - - -
: कम खर्च में जैविक खेती का रखा मॉडल :
फतुहा के उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्रा शीतल रानी ने सतत कृषि पद्धति का मॉडल दिखाया। इसमें बताया गया कि इसमें गोबर से किट, नीम किट, जीवंश खाद, फसल अवशिष्ट के माध्यम से कृषि उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि के मॉडल को दर्शाया गया। शीतल ने शिक्षिका संयोगिता के मार्गदर्शन में यह कार्य पूरा किया।
- - - - - - -