निगम की बेसहारा कुत्तों की नसबंदी योजना फेल
पटना नगर निगम की बेसहारा कुत्तों की नसबंदी योजना फेल।
पटना। राजधानी में कुत्तों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो प्रत्येक महीने पटना में लगभग 1500 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। इनमें से अधिकांश कुत्ते बेसहारा हैं, जो गलियों व सड़कों पर घूमते रहते हैं। कई कुत्ते तो ऐसे हैं, जो बाइक सवार को दौड़कर अपना शिकार बनाते हैं। न्यू गार्डिनर अस्पताल और पीएमसीएच में इसका निशुल्क इलाज होता है। दोनों अस्पतालों में हर महीने करीब 1500 लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
पटना में बेसहारा कुत्तों को पकड़कर उसकी नसबंदी करने और एंटी रेबीज टीका लगाने को लेकर नगर निगम ने योजना बनाई थी। इसके लिए पत्र भी जारी किया गया था। एक निजी एजेंसी द्वारा सर्वे भी कराया गया था। इसके बाद इस कार्य के लिए दिल्ली की एक संस्था भारतीय पशु चिकित्सालय और पेट केयर को टेंडर दिया गया था। संस्था को प्रति कुत्ते 1700 रुपये की दर से भुगतान किया जाना था। इसके तहत कुत्तों को पकड़कर उसकी नसबंदी की जानी थी और एंटी रेबीज टीका लगाकर उसी इलाके में छोड़ना था, जहां से उसे पकड़ा गया था। छोड़े गए कुत्ते की पहचान के लिए उसके कान में एक निशान लगाया जाना था। जिससे यह पता चल सके कि इस कुत्ते की नसबंदी और टीकाकरण हो चुका है। इस काम के लिए पहले बेउर स्थित नगर निगम की जमीन पर शेल्टर का निर्माण किया जाना था। बाद में यह कंकड़बाग रैनबो मैदान इलाके में बनाने की योजना बनी। फिर इसे हार्डिग रोड पर बनाने की सहमति बनी, लेकिन फिर यह योजना अधर में लटक गई। जिसका खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं।
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कोट-
प्रतिदिन इस अस्पताल में 30-35 लोग कुत्तों के काटने की शिकायत लेकर पहुंचते हैं, उनका समुचित इलाज किया जाता है। ये आंकड़े लगातार बढ़ता जा रहा है।
-मनोज कुमार सिन्हा, अधीक्षक, न्यू गार्डिनर अस्पताल
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कोट-
यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। इस पर निगम प्रशासन को जल्द संज्ञान लेकर अमल करना चाहिए। किन कारणों से काम रुका है, उसका समाधान कर उसे आगे बढ़ाना चाहिए। इसके लिए संबंधित अधिकारी से बात की जाएगी।
-सीता साहू, मेयर, पटना नगर निगम
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