लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता से प्रदेश का हुआ नुकसान : सुशील मोदी
किसी भी राज्य के विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता जरूरी है
पटना। किसी भी राज्य के विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता जरूरी है। बिहार का उदाहरण इसे प्रमाणित करता है। बिहार ने राजनीतिक अस्थिरता का लंबा दौर देखा है और इसका खामियाजा भी भुगता है। जो मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी को बचाने में लगा रहेगा, वह राज्य का विकास नहीं कर पाएगा। ये बातें उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गांधी मैदान में आयोजित सीआरडी पुस्तक मेले में रविवार को वरिष्ठ पत्रकार कुमार दिनेश की पुस्तक 'गठबंधन राजनीति में बिहार : डबल इंजन सरकार' का लोकार्पण करते हुए कहीं।
मोदी ने कहा, बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीबाबू के बाद 90 के दशक तक प्रदेश को कोई स्थायी सरकार नहीं मिल सकी। 90 के बाद कुछ लोगों ने लगातार 15 साल राज किया। इस दौर में स्थायी सरकार तो मिली, लेकिन उसके पास विकास की दृष्टि नहीं थी। श्री बाबू के बाद 2005 में पहली बार विकास की दृष्टि रखने वाली मजबूत सरकार बनी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य में एक ही दल या गठबंधन की सरकारें रहने से विकास की गति तेज होती है। उन्होंने कहा कि नए दौर के बच्चे जब दूसरे राज्यों से लौटते हैं तो उन्हें लगता है कि अपने प्रदेश में कोई विकास नहीं हुआ। हम बिहार की तुलना महाराष्ट्र, गुजरात और बेंगलुरु से नहीं कर सकते। बिहार के विकास को जानना है तो 2000 के पहले के दौर की जानकारी रखनी होगी। उन्होंने कहा, झारखंड के अलग होने के बाद बिहार का विकास तेज हुआ है। इससे पहले विकास के जो भी काम हुए, सब विभाजन के बाद झारखंड चले गए। अविभाजित बिहार में उत्तरी हिस्से को अछूता छोड़ दिया गया था। लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता और दृष्टिविहीन सरकारों ने विकास के बीच एक गहरी खाई पैदा कर दी है। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर और प्रभात प्रकाशन से पीयूष कुमार भी मौजूद थे। त्रिकोण के बीच बिहार की राजनीति
मोदी ने कहा, बिहार की राजनीति का एक त्रिकोण है। जदयू, भाजपा और राजद इसके तीन सिरे हैं। इन तीन दलों में दो जिधर हो जाएंगे, प्रदेश की राजनीति उसके साथ हो जाएगी। बाकी दल इन तीनों के इर्द-गिर्द ही अपना अस्तित्व तलाशते हैं। बिहार की राजनीति को समझने का पूरा मौका देती किताब :
दैनिक जागरण के समाचार संपादक भारतीय बसंत कुमार ने कहा, ये किताब पुराने समय की यादों को ताजा करती है। इस किताब को पढ़ने के बाद बिहार की राजनीति को जानने और समझने का पूरा मौका मिलता है। किताब के लेखक कुमार दिनेश ने कहा, इस किताब में बिहार की राजनीति और सरकार के कई अनछुए पलों को जानने का मौका मिलेगा। गठबंधन से सरकार का स्तर कितना गिरा और कितना ऊपर उठा है, इस पर भी बात की गई है।