बाढ़ : मां को डूबने के लिए छोड़ पत्नी-बच्चों संग भागे बेटे, जानिए कैसे बची जान
घर में बाढ़ का पानी घुसा तो बेटे मां को डूबने के लिए छोड़ पत्नी-बच्चों संग भाग गए। यह तो मां का सौभाग्य रहा कि उसपर एनडीआरएफ की नजर पड़ गई और उसे बचा लिया गया।
पटना [अमित आलोक]। आफत में ही रिश्तों की मजबूती की पहचान होती है। जान पर बन आए तो कभी-कभी खून के रिश्ते भी दरक जाते हैं। दिल को हिला देने वाला ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला पटना के बाढ़ प्रभावित नकटा दियारा में। वहां बेटों ने अपनी मां को बाढ़ में मरेने के लिए छोड़ दिया और पत्नियों संग भाग गए। सौभाग्य से एनडीआरएफ की नजर उसपर पड़ गई तो बचा ली गई।
बेटों को सुरक्षित जगह चलने को कहा
देखने व चलने से लाचार 85 साल की बूढ़ी सुमित्रा देवी काे अपने चार बेटों, तीन बहुओं और पोते-पोतियों के भरे-पूरे परिवार पर गुमान था। लेकिन, बाढ़ ने उसकी अंधी आंखें भी खोल दी। शनिवार की सुबह जब घर में गंगा का पानी घुसना शुरू हुआ तो उसने ही बेटों से सुरक्षित जगह पर चलने को कहा।
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बाढ़ में मरने के लिए छोड़ गए बेटे
परिवार की चिंता में सुमित्रा ने दियरा से बाहर जाने का दबाव बढ़ाया। पानी बढ़ने पर शनिवार की शाम घर के सारे लोग दूसरी जगह निकल गए। जाते समय बड़े बेटे राजू ने मां को कहा कि वह परिवार के अन्य लोगों को बाहर निकालकर आएगा और उसे भी ले जाएगा। मां अपने बेटे पर विश्वास कर बाढ़ से घिरे घर में ही रह गई। इस बीच पानी बढ़ता गया, लेकिन उसे लेने कोई नहीं आया।
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दो दिनों तक लड़ती रही मौत से जंग
नेत्रहीन सुमित्रा दो दिनों तक भूखे कमर भर पानी में खड़ी रही। जिंदगी बचाने की जिद में उसने हिम्मत नहीं हारी। थोड़ी सी हलचल पर बचाने की गुहार लगाती, खाना मांगती। नींद आती तो खड़े-खड़े ही सो जाती थी।
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एनडीआरएफ ने दिया जीवनदान
सुमित्रा ने बताया कि भूख लगने पर बाढ़ का पानी पीकर पेट भर लेती थी। गंदा पानी पीने के कारण कई बार उल्टी भी हो गई। कमजारी के कारण अब तो पानी भी नहीं पी पा रही थी। वक्त के साथ पानी बढ़ रहा था और मौत करीब आ रही थी। लेकिन, 'जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय' वाली कहावत चरितार्थ हुई। राहत कार्य में लगी एनडीआरएफ टीम की नजर सुमित्रा पर पड़ गई और उसे जीवनदान मिला।
इतना सब होने पर भी मां को परिवार की चिंता
बाढ़ के पानी में दो दिनों से खड़ी सुमित्रा के पैरों में सूजन आ गई है। एनडीआरएफ की टीम ने जब उसे बचाया, सूजन व कमजारी के कारण वह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। मां की ममता देखिए कि इतना सब होने पर भी जब वह बोलने की स्थिति में आई तो सबसे पहला सवाल किया कि उसके बेटे व परिजन ठीक तो हैं? सुमित्रा को परिवार की चिंता खाए जा रही है, जो उसे छोड़ गया है।
चल रहा इलाज
बहरहाल, बुरी तरह बीमार सुमित्रा को एनडीआरएफ इंस्पेक्टर राकेश सिंह ने जिला प्रशासन को सौंप दिया गया है। उसका इलाज कराया जा रहा है।