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विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेलाः हाथियों की गर्जना से गूंजेगा हरिहर क्षेत्र, जुटेंगे देशभर के संत Patna News

शुक्रवार 8 अक्टूबर को विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले की आध्यात्मिक रूप से शुरुआत होने जा रही है। इसके लिए देशभर के संतों का जुटान होने लगा है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 09:52 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 09:52 AM (IST)
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेलाः हाथियों की गर्जना से गूंजेगा हरिहर क्षेत्र, जुटेंगे देशभर के संत Patna News
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेलाः हाथियों की गर्जना से गूंजेगा हरिहर क्षेत्र, जुटेंगे देशभर के संत Patna News

रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर। एशिया के सबसे बड़े पशु मेले की शुरुआत होने वाली है। बस 48 घंटे बाद शुक्रवार 8 अक्टूबर को विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले की आध्यात्मिक रूप से शुरुआत हो जाएगी। आध्यात्मिक तौर पर मेले के उद्घाटन की तैयारियां यहां युद्धस्तर पर चल रही हैं। देशभर से साधु-संतों का आगमन होने लगा है।

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सोनपुर के पावन नारायणी तट पर स्थित गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम से शुक्रवार को देवोत्थान के मौके पर विशाल शोभायात्र निकाली जाएगी। शोभायात्र में हाथी-घोड़ा एवं गाजे-बाजे के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। देवस्थानम के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य संपूर्ण वैदिक विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चार के बीच इस कलश सह शोभायात्र को रवाना करेंगे। शोभायात्र सोनपुर के विभिन्न मार्गों से होते हुए मेला क्षेत्र का भ्रमण कर पुन: मंदिर पहुंचेगी।

पवित्र स्नान के बाद लोग करते हैं मेले का भ्रमण

कार्तिक पूर्णिमा पर भारी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालु पवित्र स्नान के बाद सोनपुर के ऐतिहासिक बाबा हरिहरनाथ एवं हाजीपुर के पतालेश्वरनाथ समेत प्राचीन मठ-मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद सोनपुर मेले का भ्रमण करते हैं। बड़ी तादाद में लोग मन्नत उतारने भी आते हैं। जगह की महत्ता के अनुरूप लोग मुंडन, पूजन व अन्य शुभ संस्कार कराते हैं। यही कारण है कि मेले का शुरुआती दौर पूरी तरह आध्यात्मिक होता है।

भक्त की पुकार पर यहां पधारे थे प्रभु

हरिहर क्षेत्र का धार्मिक आख्यान भी है। गंगा-गंडक संगम में गज और ग्राह के बीच युद्ध हुआ था। काफी बलवान होने के बावजूद पानी में गज कमजोर पड़ गया। तभी नदी में उसे एक कमल का फूल दिखाई पड़ा। गज ने सूंड़ में कमल का फूल और गंगाजल लेकर हरि की अराधना की। भक्त की पुकार पर स्वयं हरि पधारे और ग्राह का वध कर गज की प्राणरक्षा की। प्रभु के हाथों मरकर जहां ग्राह को मोक्ष मिल गया वहीं गज को नया जीवन मिला।


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