Amazing: मालिक ने उतारा जान बचाने का एहसान, वसीयत में हाथी के नाम कर दी करोड़ों की जायदाद
पटना के एक शख्स ने वसीयत में परिवार को दरकिनार कर अपने दो पालतू हाथियों के नाम करोड़ों की जायदाद लिख दी है। पूरा मामला क्या है जानिए इस खबर में।
प्रशांत कुमार/ नकी इमाम, पटना। हाथी अभी चर्चा में हैं। पिछले दिनों केरल में हथिनी को अनानास में पटाखे देकर मारने की घटना सुर्खियां बनीं तो अब पटना के एक शख्स ने अपनी वसीयत में करोड़ों की जायदाद से परिवार को दरकिनार करते हुए दो पालतू हाथियों के नाम लिख दी है। उसके अनुसार एक बार उनकी हत्या की कोशिश की गई थी। तब इन हाथियों ने जान बचाई थी।
स्वजन बन गए दुश्मन
राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ स्थित जानीपुर निवासी व एरावत संस्था के मुख्य प्रबंधक 50 वर्षीय अख्तर इमाम ने अपने हिस्से की जायदाद अपने पालतू हाथियों (मोती और रानी) के नाम कर दी है। हालांकि, इससे नाराज घर वाले ही उनके दुश्मन बन गए हैं। इसको लेकर वे लगातार थाने से लेकर डीजीपी तक सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि उनका बेटा मेराज दबंग है, जिसकी शह पर परिवार उनका विरोध कर रहा है।
अलग रह रहे बीवी-बच्चे
अख्तर ने बताया कि 12 साल की उम्र से ही वह हाथियों की सेवा कर रहे हैं। पारिवारिक विवाद के कारण करीब 10 साल पहले उनकी पत्नी दो बेटों और बेटी के साथ मायके में रहने लगीं। बड़ा बेटा मेराज उर्फ रिंकू की गलत संगत देखते हुए उन्होंने उसे जायदाद से बेदखल कर दिया। पत्नी को आधी जायदाद सौंप दी और अपने हिस्से की लगभग पांच करोड़ रुपये की जायदाद (खेत-खलिहान, मकान और बैंक बैलेंस) को एरावत संस्था के दो हाथियों के नाम कर दिया। अख्तर की मौत के बाद अगर दोनों हाथियों की मौत हो जाती है, तो उनकी जायदाद संस्था को चली जाएगी। अख्तर महावत को प्रशिक्षण देने के साथ देशभर में हाथी की देखरेख के लिए भी भ्रमण करते हैं।
तब हाथी ने बचाई थी जान
अख्तर ने बताया कि एक बार उनकी जान लेने की भी कोशिश की गई। हाथी ने रात के वक्त पिस्तौल लिए बदमाश को अख्तर के कमरे की खिड़की की तरफ जाते देखा तो वो चिघाडऩे लगा। इससे अख्तर की नींद खुल गई और बदमाश से उनका सामना हो गया। अख्तर शोर मचाने लगे तो बदमाश भाग निकला। अख्तर ने बताया कि बेटे ने ही अपनी प्रेमिका से दुष्कर्म का झूठा आरोप लगवाकर उन्हें जेल भेज दिया था मगर जांच में पुलिस ने आरोपों को गलत पाया। पिता का आरोप है कि बेटे मेराज ने पशु तस्करों के साथ मिलकर हाथी बेचने की भी कोशिश की थी, लेकिन वह पकड़ा गया इसलिए वसीयत के अनुसार, अगर उनसे पहले या बाद में हाथी न रहा तो भी परिवार के किसी सदस्य को एक रुपया नहीं मिलेगा।