Move to Jagran APP

खुद को जिंदा साबित करने में महिला को लग गये छह साल

जिसके पति ने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्‍व न्‍योछावर कर दिया, उसकी पत्‍नी को आजाद भारत में खुद को जिंदा साबित करने में छह साल लग गये।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 04 Jan 2018 06:06 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jan 2018 11:08 PM (IST)
खुद को जिंदा साबित करने में महिला को लग गये छह साल

सिवान [राजेश पटेल]। बापू के आह्वान पर अपना घर-परिवार छोड़कर आजादी के आंदोलन में कूद जाने वालों के परिजन के साथ आजाद भारत में कैसा व्यवहार हो रहा है, इसका उदाहरण बड़हरिया प्रखंड के रानीपुर की बिनतारा खातून हैं। इनके पति आरपीएफ सिपाही मो. मूर्तजा ने बापू के आह्वान पर नौकरी छोड़कर चंपारण सत्याग्रह में कूद गए थे।

loksabha election banner

बड़हरिया के तत्कालीन अंचलाधिकारी ने बिना सत्यापन किए पांच जुलाई 2011 को रिपोर्ट भेज दी कि बिनतारा फातिमा नहीं हैं। बस फिर क्या था पेंशन बंद हो गई। तभी से इनके परिजन जिंदा साबित कर पेंशन के शुरू कराने के लिए कभी इस ऑफिस तो कभी उस ऑफिस की दौड़ लगाते रहे। अब जाकर सफलता मिली है। गत 24 नवंबर को फिर से रिपोर्ट आई, जिसमें इनको जिंदा दिखाया गया है। लिहाजा इतने दिनों की बकाया पेंशन का हिसाब होना शुरू हुआ, ताकि आगामी मार्च के पहले इनको भुगतान किया जा सके।

यहां बात पेंशन की नहीं है। स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान की है। मो. मूर्तजा को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त 1972 को आजादी के आंदोलन में योगदान के लिए ताम्र पत्र से सम्मानित किया था। जब तक ये ङ्क्षजदा रहे, पेंशन में कोई परेशानी नहीं हुई। इनके इंतकाल के बाद भी सब कुछ ठीक रहा।

नियमानुसार साल में एक बार पेंशनधारकों का सत्यापन किया जाता है कि वे जिंदा हैं या नहीं। वर्ष 2011 में जिले से इसके सत्यापन के लिए बड़हरिया प्रखड कार्यालय में पत्र भेजा गया। वहां से ऑफिस में बैठे ही बैठे सत्यापन रिपोर्ट भेज दी गई कि बिनतारा फातिमा नहीं हैं। जबकि ये हमेशा घर पर ही रहती हैं। उस समय भी भी। जब पेंशन मिलनी बंद हो गई, तब कारण का पता चला। फिर जिंदा साबित करने में छह साल लग गए।

खैर देर आए, दुरुस्त आए वाली कहावत चरितार्थ हुई। प्रशासन ने फिर रिपोर्ट मंगवाकर ङ्क्षजदा मान लिया। इतने दिनों की पेंशन की राशि एक मुश्त देने की तैयारी है। बता दें कि मार्च 2016 तक का दो हजार प्रतिमाह तथा इसके बाद पांच हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से पेंशन मिलेगी। बिनतारा खातून अब खुश हैं।

इस मामले पर सिवान के जिलाधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया कि उस समय के सीओ के खिलाफ इसके लिए कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बिना सत्यापन किए कैसे रिपोर्ट दे दी, यह गंभीर बात है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.