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बिहार में जानलेवा बने सिल्ट व धूलकण, कई शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं; यूपी की पराली घोंट रही दम

Pollution in Bihar उत्तर प्रदेश (यूपी) में जलने वाली पराली का धुआं भी बिहार में घुसकर जहर घोल रहा है। कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) आए दिन 400 के पार चला जा रहा है। राजधानी पटना में सड़क जाम व निर्माण कार्य प्रदूषण के बड़े कारण हैं।

By Amit AlokEdited By: Aditi ChoudharyPublished: Mon, 05 Dec 2022 08:26 AM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 08:19 PM (IST)
बिहार में जानलेवा बने सिल्ट व धूलकण, कई शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं; यूपी की पराली घोंट रही दम
बिहार में जानलेवा बने सिल्ट व धूलकण, कई शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं

पवन कुमार मिश्र, पटना। प्रदूषण की मार झेलते रहे बिहार के कई शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं रही। कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) आए दिन 400 के पार चला जा रहा है। ठंड में बढ़ी नमी के बीच धूलकण व नदियों के सिल्ट समस्या बढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश (यूपी) में जलने वाली पराली का धुआं भी बिहार में घुसकर जहर घोल रहा है। समस्या के निदान के लिए सरकार ने विशेष कार्य-योजना बनाई है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. अशोक घोष के अनुसार, ठंड के मौसम में नमी व धूल मिलकर समस्या बढ़ा रहे हैं। ऊपर से नीचे आने वाली ठंडी हवा धूलकण भी नीचे लाती है। नीचे की धूल नीचे ही रहती है। कुछ जिलों को छोड़कर बिहार में अधिकांश भू-भाग में आसानी से धूलकण में बदलने वाली मुलायम (एलुवियल) मिट्टी है। बाढ़ के साथ जमा हुआ सिल्ट भी धूलकण बनकर हवा में फैलता है। पटना में गंगा के तट से दूर चले जाने के कारण उसकी खुली सतह से भी धूलकण फैलते हैं।

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यूपी में जलती पराली, बिहार में फैलता प्रदूषण

बिहार में पराली जलाने की कोई समस्या नहीं, पर कई जिलों में प्रदूषण के पीछे पराली का धुआं भी है। प्रो. घोष बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में जलने वाली पराली का धुआं पछुआ हवा की वजह से मोतिहारी व बेतिया जैसे सीमावर्ती शहरों में आता है। नासा द्वारा जारी सेटेलाइट तस्वीरों से बिहार सीमावर्ती यूपी के इलाकों में पराली का जलाने की पुष्टि होती है। पंजाब व हरियाणा से आने वाले पराली के धुआं से प्रदूषण फैल रहा है।

जाम, गाड़ियां व निर्माण कार्यों से परेशानी

प्रो. घोष के अनुसार शहरों में कचरा जलाने, निर्माण कार्यों में मानकों की अवहेलना, निर्माण सामग्रियों की बिना ढंके ढुलाई, सड़क जाम तथा वाहन, खासकर डीजल वाहन भी प्रदूषण के बड़े कारण हैं। पटना में सड़क जाम व निर्माण कार्य प्रदूषण के बड़े कारण हैं। हाल ही में कटिहार का एक्यूआइ लेवल देश में सर्वाधिक (420) होने पर वहां के जिलाधिकारी ने माना था कि इसके पीछे निर्माण कार्यों में बढ़ोतरी है।

अब एकीकृत कार्य-योजना पर काम शुरू

खतरा बेलगाम होने पर अब बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एकीकृत कार्य-योजना पर काम रहा है। यह पटना, मुजफ्फरपुर और गया में पहले से लागू है। अब 23 अन्य जिलों में भी इसे लागू किया जाना है। प्रो. अशोक घोष ने बताया कि हाल ही में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर जिलाधिकारियों को कारवाई का निर्देश दिया गया है।

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