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लोक कलाओं के जरिए शांति स्तूप की स्वर्ण जयंती बनेगी यादगार

राजगीर की अलग-अलग जगहों पर विश्व शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ पर एक से बढ़कर एक लोक कलाओं की होगी प्रस्तुति

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:00 AM (IST)
लोक कलाओं के जरिए शांति स्तूप की स्वर्ण जयंती बनेगी यादगार
लोक कलाओं के जरिए शांति स्तूप की स्वर्ण जयंती बनेगी यादगार

प्रभात रंजन, पटना। राजगीर की अलग-अलग जगहों पर विश्व शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ पर एक से बढ़कर एक कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। इस दौरान महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, गुरु नानक देव का 550वां प्रकाश पर्व का भव्य समारोह भी आयोजित होने वाला है, जिसमें देश-विदेश से कई मेहमान इन यादगार पलों का साक्षी बनने के लिए आएंगे।

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पर्यटकों को बिहार की लोक कला, संस्कृति और इतिहास आदि से रूबरू कराने के लिए राजगीर शहर के प्रमुख चौक-चौराहे और दीवारों पर लोक कला की खुशबू बिखरेगी। इसमें पर्यटन, कला संस्कृति एवं उद्योग विभाग की अहम भूमिका होगी। राजगीर की प्रमुख दीवारों पर एक ओर मिथिला पेंटिंग के जरिए मगध साम्राज्य का इतिहास तो दूसरी ओर टिकुली कला के जरिए भगवान बुद्ध और भगवान महावीर की जीवन यात्रा और उनके उपदेशों को उकेरा जाएगा।

बिहार की प्रमुख लोक कलाएं अपनी कलाकृतियों के जरिए जैन, बुद्ध, पुराण आख्यान, बिहार की संस्कृति, दर्शन, साहित्य और कला के बारे में जानकारी देगी। दीवारों पर कलाकृतियों को बनाने के लिए पूरी तैयारी हो गई है। उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि इस कार्य को लेकर पर्यटन, कला संस्कृति एवं उद्योग विभाग की अहम भूमिका है। शहर के वरिष्ठ कलाकार और चित्रकार मनोज कुमार बच्चन और वीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में काम को पूरा किया जाएगा। कार्यक्रम के संयोजक बच्चन और वीरेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से सराहनीय पहल है। इस प्रकार के कार्य होने से न केवल बिहार की पारंपरिक लोक कलाओं को विस्तार और प्रचार-प्रसार होगा बल्कि इन कलाओं के जरिए लोग बिहार के गौरवशाली इतिहास को समझ सकते हैं।

राज्य पुरस्कार प्राप्त कलाकार ले रहे हिस्सा

राजगीर में होने वाले विश्व शांति स्तूप महोत्सव में एक से बढ़कर एक कलाकृतियां दीवारों पर बनाने का काम वरिष्ठ कलाकारों द्वारा होगा। शिल्प कला के मिथिला, टिकुली, मंजूषा, समकालीन कलाओं में राज्य पुरस्कार प्राप्त कलाकारों की देखरेख में काम होगा। 175 कलाकार इस काम को पूरा करेंगे। कला की विभिन्न विधाओं से जुड़े कलाकार अपनी कलाकृतियों के निर्माण के बाद कला का नाम और अपना नाम दीवार अंकित करेंगे। इससे आने वाले पर्यटकों को कलाकृतियों को समझने में आसानी होगी।

35 हजार स्क्वायर फीट में बनेगी कलाकृति -

राजगीर में कलाकारों द्वारा 35 हजार स्क्वायर फीट दीवारों पर कलाकृतियों का निर्माण किया जाएगा। इसमें शिल्प की अलग-अलग कलाओं को दर्शाया जाएगा। शिल्प संस्थान के निदेशक ने कहा कि सरकार की ओर से पैसे मिलते ही काम को आरंभ कर दिया जाएगा। इस काम को पूरा करने में लगभग एक सप्ताह से अधिक का समय लगेगा। इस काम को लेकर सरकार की ओर से 87-88 लाख का बजट है। इसमें कलाकारों को भी कलाकृतियां एवं स्क्वायर फीट के हिसाब से पैसा मिलेगा। निदेशक ने कहा कि सरकार की ओर से सराहनीय पहल है। जहां एक ओर पेंटिंग के जरिए बिहार के गौरवशाली इतिहास को दीवारों पर बयां किया जाएगा वही कलाकारों की कला को पहचान मिलेगी। बाहर से आने वाले लोग इन कलाओं को देख कलाकारों की कला की प्रशंसा करने के साथ मगध के इतिहास से रूबरू होंगे। चित्रों में भगवान बुद्ध, महावीर, चंद्रगुप्त, अशोक के साथ महाराजा जरासंध सहित कई रोचक इतिहास को जानने का अवसर पर्यटकों को मिलेगा।


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