एनएमसीएच में गंभीर मरीजों का जमीन पर इलाज
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी, आइसीयू, ओपीडी, वार्ड से लेकर अन्य जगहों पर मरीजों की भीड़ उमड़ी रही।
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी, आइसीयू, ओपीडी, वार्ड से लेकर सेंट्रल पैथोलॉजी तक में मंगलवार को अफरा-तफरी मची रही। पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की जारी हड़ताल के कारण इलाज प्रभावित होने से मरीज एनएमसीएच पहुंचते रहे। यहां की इमरजेंसी की स्थिति विस्फोटक बनी रही। गंभीर हालत में आने वाले मरीजों को इमरजेंसी की जमीन पर लिटा कर उनका इलाज शुरू किया गया। बरामदा मरीजों से भर गया। एक भी बेड, ट्रॉली खाली नहीं रहने के कारण तड़पते मरीजों को टाइल्स वाली जमीन पर रेंगने के लिए छोड़ दिया गया। कई महत्वपूर्ण दवाइयां इमरजेंसी में मौजूद नहीं रहने के कारण मरीजों को छटपटाते हुए छोड़ कर परिजन दवा दुकानों की दौड़ लगाते रहे।
एनएमसीएच के सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मंगलवार को 2131 पुराने और 800 नये मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ। 56 मरीज विभिन्न विभागों में भर्ती किए गए। सुबह से लेकर दोपहर तक काउंटरों पर मरीजों व परिजनों की लंबी कतार लगी रही। यह कतार विभागों के ओपीडी तक पहुंची तो वहां की स्थिति अनियंत्रित होती नजर आई। हो-हल्ला मच रहा। सुरक्षा कर्मी डंडे का भय दिखा कर भीड़ को शांत कराते रहे। कई डॉक्टरों के लेट से ओपीडी में पहुंचने और जल्द चले जाने के कारण भी चिकित्सा व्यवस्था सवालों के घेरे में रही। पीएमसीएच में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण एनएमसीएच में मरीजों की भीड़ उमड़ आई। शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी, गायनी, मेडिसिन, सर्जरी समेत अन्य विभागों में हालात बेकाबू बने रहे। लकवा के अटैक के पीड़ित पटना सिटी के कटरा निवासी सदन राय को जमीन पर घंटों लिटा कर इलाज किए जाने से उनकी तबियत बिगड़ती नजर आई। परिजनों ने कहा कि डॉक्टरों से मिन्नत के बाद भी मरीज को देखने नहीं आए। नर्स सेवा में जुटी रहीं।
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इमरजेंसी में बेड खाली नहीं है। कई विभाग में भी बेड नहीं है। डॉक्टरों की कमी है। पीएमसीएच में हड़ताल के कारण मरीजों का दबाव बढ़ गया है। हालात से निपटने का प्रयास जारी है। जरूरी दवाइयां मंगाई जा रही हैं। सभी मरीज को बेड दे पाना संभव नहीं है।
- डॉ. चंद्रशेखर, अधीक्षक, एनएमसीएच