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लोकतांत्रिक संसदीय शासन व्यवस्था विश्व की अनूठी खोज: सत्यपाल मलिक

राष्ट्रमंडल सम्मेलन के समापन समारोह में सत्‍यपाल मलिक ने कहा कि लोकतांत्रिक संसदीय शासन व्यवस्था विश्व की अनूठी खोज है। बिहार के वैशाली में ही लोकतंत्र की पहली वाणी गूंजी थी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 18 Feb 2018 08:04 PM (IST)Updated: Sun, 18 Feb 2018 10:20 PM (IST)
लोकतांत्रिक संसदीय शासन व्यवस्था विश्व की अनूठी खोज: सत्यपाल मलिक
लोकतांत्रिक संसदीय शासन व्यवस्था विश्व की अनूठी खोज: सत्यपाल मलिक

पटना [राज्य ब्यूरो]। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि संसदीय शासन व्यवस्था लोकतंत्र की ऐसी प्रणाली है जिससे सहज भाव से लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन में बदलाव लाए जा सकते हैं। संसदीय लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब समाजिक समानता, मजबूत विपक्ष की मौजूदगी के साथ ही जनमानस के अंदर भी राजनीतिक परिपक्वता हो। राज्यपाल ने रविवार को छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन के समापन समारोह में ये बातें कहीं।

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उन्होंने कहा कि सबसे पहले बिहार के वैशाली जनपद में ही लोकतंत्र की पहली वाणी गूंजी। एक प्रशासनिक इकाई के रूप में बिहार का इतिहास काफी पुराना है। बिहार की वसुधा अनेक मनीषियों, चिंतकों, ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, अध्यात्म, दर्शन एवं राजनीति के प्रणेताओं की जन्म एवं कर्मभूमि रही है। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर संसदीय लोकतंत्र का विकास सामाजिक लोकतंत्र के रूप में देखना चाहते थे। हमें संविधान-निर्माताओं के इस सपने को साकार करना है।

मलिक ने कहा कि बिहार विधान सभा ने मौजूदा विधायी जरूरतों और राजनीतिक परिस्थितियों को समझते हुए बिहार विधान सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली में -नियम 109 (क) के रूप में यह प्रावधान कर दिया है कि राज्यपाल के निदेश या परिवत्र्तित राजनीतिक परिस्थिति विशेष में सरकार चाहे तो अपने लिए विश्वास प्रस्ताव ला सकती है। अब तक विभिन्न विधान सभाओं की संचालन-नियमावली में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने का तो उल्लेख है परन्तु विश्वासमत प्राप्त करने का कोई प्रावधान नहीं था, जिस वजह से समस्या होती थी।

बिहार विधान सभा ने विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने की व्यवस्था कर इस प्रावधानिक समस्या से मुक्ति पा ली है। उन्होंने सम्मेलन में आए लोगों को बताया बिहार के विधायक वर्ष में एक बार रक्तदान शिविर का भी आयोजन भी विधान मंडल परिसर में करते हैं। संबोधन के दौरान उन्होंने अपने अन्य अनुभव भी साझा किए।


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