बौद्ध धर्म के अतीत से गहरा नाता है राजगीर की सप्तपर्णी गुफा का, पहली संगिती हुई थी यहां
Bihar News ग्रंथों से निकलकर दुनिया के सामने आने को कसमसा रही है सप्तपर्णी गुफा गुफा में प्रथम बौद्ध संगिती का हुआ था आयोजन बौद्ध धर्म ग्रंथ त्रिपिटक की रचना को ले हुई थी चर्चा यहां जुटते थे भगवान बुद्ध के तमाम शिष्य
मनोज मायावी, राजगीर (नालंदा)। Bihar Tourism: राजगीर के पंच पहाड़ियों में शुमार वैभारगिरी पर्वत पर स्थित सप्तपर्णी गुफा। यह वही गुफा है, जहां भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके प्रमुख शिष्य महाकश्यप ने प्रथम बौद्ध संगिती का आयोजन किया था। ऐसी मान्यता है कि इस गुफा में भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ घंटों तक प्राकृतिक स्वरूप को निहारा करते और तपमुद्रा में लीन रहा करते थे। यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए बेहद खास है और बौद्ध तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। अब तक इस गुफा के बारे में अधिकांश लोगों ने सिर्फ ग्रंथों में ही पढ़ा है।
580 सीढ़ियों की करनी पड़ती है चढ़ाई
आज यह गुफा पूरी दुनिया के सामने आने को लेकर कसमसा रही है, लेकिन पर्यटन विभाग की मजबूत इच्छाशक्ति की कमी के कारण इस स्थल का न तो सुंदरीकरण ही हो पाया और न ही यहां तक बड़ी संख्या में पर्यटक ही पहुंच पाए, जबकि यह स्थल बुद्ध सर्किट में शामिल है। करीब 580 सीढिय़ों की कठिन चढ़ाई करने के बाद ही पर्यटक इस गुफा तक पहुंच पाते हैं। स्थानीय लोगों की अरसे से मांग रही है कि यहां तक पहुंचने के लिए रोपवे का निर्माण सरकार करे।
सुविधाओं का है घोर अभाव
नालंदा महाविहार के प्रो. श्रीकांत ने कहा कि यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन यहां सुविधाओं का घोर अभाव है। सबसे पहले इस स्थल पर बिजली व पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। बैठने के लिए चारों ओर बेंच हो। यह तपोस्थली रही है, इस जगह हो उसी तरह विकसित करने की दरकार है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र त्रिपिटिक ग्रंथ की रचना की ब्लू प्रिंट इसी गुफा में तैयार किया गया था। प्रथम बौद्ध संगिती के दौरान 500 बौद्ध अनुयायियों का जमावड़ा लगा था और बुद्ध के दिए तमाम उपदेशों को विधिवत अभिलेखित किया गया था।