Rupesh Murder Case: पुलिस की रोडरेज थ्योरी सवालों के घेरे में, इसलिए सहसा यकीन नहीं होता
पटना के चर्चित हाई प्रोफाइल रुपेश हत्याकांड में पुलिस ने आज एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। मगर पुलिस की जांच और रोडरेज की बात किसी के गले नहीं उतर रही। रूपेश के स्वजनों का कहना है कि उस दिन विवाद भी नहीं हुआ था। पढि़ए विशलेषनात्मक खबर
पटना, जागरण संवाददाता। इंडिगो के एयरपोर्ट मैनेजर रूपेश सिंह की हत्या के मामले में पटना पुलिस की रोडरेज थ्योरी सवालों के घेरे में है। रूपेश के पिता ने कहा है कि वह इस स्वभाव का था ही नहीं कि किसी से लड़ाई-झगड़ा हो। वहीं, पत्नी ने भी इसे खारिज करते हुए कहा है कि रूपेश की गाड़ी से आरोपित की बाइक टकराने के बारे में जो बताया जा रहा है, वह गलत है।
क्यों उठ रहे हैं सवाल
पुलिस ने कहा है कि 29 नवंबर को रोडरेज की घटना हुई थी। आरोपित ऋतुराज की बाइक रूपेश की एमजी हेक्टर कार से टकराने के बाद उसकी रूपेश से झड़प हुई। उसने मारपीट भी कर दी, जिससे आरोपित ने हत्या जैसी घटना को अंजाम दिया।
सवाल : आरोपित ने करीब डेढ़ महीने के बाद इसका बदला लिया? रोडरेज की घटनाओं में अमूमन जो कुछ भी होता है, तत्काल ही। अब तक के केसों में यही देखा गया है। यह मामला थोड़ा अलग दिख रहा, जिस पर स्वजन सवाल उठा रहे।
पुलिस का अनुसंधान
एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा ने हत्या के पीछे के कारण और आरोपित ऋतुराज की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बताई। एसएसपी का कहना है कि ऋतुराज बाइक चोर तो है, लेकिन उसने कभी हथियार का प्रयोग नहीं किया।
तब पुलिस ने कहा था : रूपेश की 12 जनवरी को हत्या के बाद पुलिस महकमे के मुखिया तक ने यह अनुमान लगाया था कि यह किसी पेशेवर का काम है।
सवाल : अगर ऋतुराज ने इससे पहले कभी गोली नहीं चलाई थी तो फिर स्वचालित पिस्टल से उसने ताबड़तोड़ गोलियां कैसे बरसा दीं। रूपेश के शरीर के एक ही तरफ छह गोलियां लगी थीं।
तो फिर क्यों
एसएसपी ने कहा कि घटनास्थल अपराधियों के लिए सुरक्षित जगह नहीं है। ऐसे में कोई भी अपराधी डेढ़ माह तक पीछा करने के बाद वैसी जगह क्यों चुनेगा?
बाइक चोरी करता था आरोपित
एसएसपी ने बताया कि ऋतुराज बाइक चोरी करता था। वह हर दस दिन पर बाइक बदलता था। उसके पिता मनोरंजन सिंह चार ईंट-भट्ठे के मालिक हैं। ऋतुराज उनका इकलौता वारिस है। रामकृष्णनगर में उनका आलीशान मकान है। इस मकान से उसके पिता को 70 हजार रुपये महीना किराये के रूप में आता है। वह अपने बेटे को दस हजार रुपये महीना पॉकेट खर्च के लिए देते हैं। वह पढ़ा-लिखा है। उसने जयपुर से भूगोल में स्नातक किया है। कुछ साल दूसरे शहर में नौकरी भी की है। उसे नहीं पता था कि जिसकी हत्या कर रहा है, वह प्रभावशाली व्यक्ति है।
सवाल : जिस व्यक्ति का डेढ़ माह तक पीछा किया गया हो, उसके विषय में आरोपित को कुछ भी पता नहीं होना आश्चर्यजनक है, जबकि वह पढ़ा-लिखा है। उसने यह जानने की कोशिश भी नहीं कि रूपेश आखिर एयरलाइंस की डे्रस में क्यों रहते हैं और एयरपोर्ट क्यों आते-जाते हैं?
सवाल यह भी : उसे जब पता था कि रूपेश अक्सर शाम छह बजे लौटते थे तो अपने साथियों के साथ राजवंशीनगर में मंदिर के पास चार घंटे तक घात लगाकर क्यों बैठा रहा? ऐसे कई सवाल हैं, जिसका जवाब आना बाकी है।
हत्या के पीछे रोडरेज ही या कुछ और!
पुलिस ने कहा है कि अब तक के अनुसंधान और कड़ी मेहनत के बाद आरोपित पकड़ में आया है। उसकी स्वीकारोक्ति के बाद उसका उद्देश्य वैज्ञानिक तरीके से किए गए अनुसंधान को सपोर्ट कर रहा है। पुलिस इस आधार पर निष्कर्ष पर पहुंची है कि हत्या में उसी का हाथ है। वैसे, इसका जवाब आना अभी बाकी है कि यह हत्या रोडरेज की परिणति थी या इसके पीछे और भी कुछ है। हत्यारोपित पकड़ा गया है, पर उसने बदले की भावना से डेढ़ माह बाद हत्या की या कुछ और भी है? बहरहाल, पुलिस को प्रारंभिक सफलता जरूर मिली है और वह घटना के सूत्र को पकडऩे में कामयाब रही है।