वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में गूंज रही बाघों की दहाड़, हरा-भरा और शांत जंगल आ रहा पसंद
सूबे के एकमात्र बड़े जंगल वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में इस साल बाघों की आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि के संकेत मिले हैं। हरा-भरा और शांत जंगल बाघों को खूब रास आ रहा है।
पटना [मृत्युंजय मानी]। बिहार में वन्य जीव भी पर्यावरण की सेहत सुधारने में मदद कर रहे है। उत्तर बिहार के पश्चिमी चंपारण में सूबे के एकमात्र बड़े जंगल वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में इस साल बाघों की आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि के संकेत मिले हैं। हरा-भरा और शांत जंगल बाघों को खूब रास आ रहा है। इनकी गणना को लेकर लगाए गए कैमरों में अब तक 15 शावकों की चहलकदमी और 32 से अधिक जवान बाघों के विचरण करने की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों का दल वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना कर रहा है। कैमरे में ट्रैप तस्वीरों को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी भेजा जा रहा है। इस माह गणना पूरी कर ली जाएगी और अप्रैल के अंत तक बाघों की वास्तविक संख्या क्या है, इसका आंकड़ा जारी कर दिया जाएगा।
सभी आठ रेंज में दिख रहे बाघ
नेपाल सीमा से सटी और मनोरम वादियों से देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभाने वाली 900 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना आठ रेंज में बांटी गई है। अभी तक की गणना के अनुसार सभी रेंज में बाघ हैं। इस बार की गणना क आधार पर आने वाली रिपोर्ट में बाघों की संख्या में तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा की वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है।
नजर न लगे शिकारियों की
व्याघ्र परियोजना के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक एस चंद्रशेखर का कहना है कि मौसम में बदलाव के कारण वन्य जीवों की प्यास बढ़ जाती है। सभी रेंज में पानी की व्यवस्था की जा रही है। हरी-भरी घास में नए मेहमान विचरण करें, इसके लिए नए मैदान बनाए जा रहे हैं। जंगल में शाकाहारी जानवरों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। बाघों पर शिकारियों की नजर न पड़े, इसपर रोक के लिए गहन निगरानी हो रही है। नए शावकों के लिए भोजन और प्रवास क्षेत्र बनाने में भी पर्यावरण एवं वन विभाग के कर्मचारी लगे हैं।
ऐसे घटी-बढ़ी रही बाघों की संख्या
गणना वर्ष : कुल बाघ
2000-01 : 30
2005-06 : 18
2010-11 : 08
2013-14 : 24
20015-16 : 31
(आंकड़े वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में गणना पर आधारित हैं)