मौका देख रांची के अस्पताल से ही लालू बिहार की राजनीति में कर रहे सेंधमारी, जानिए कैसे
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी माने जाते हैं और वो अभी चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं और रांची के रिम्स में इलाजरत हैं। वो वहीं से सेंधमारी कर रहे है
पटना [अरविंद शर्मा]। पिछले दिनों राज्यसभा में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने का आरोप लगाकर कायस्थ समाज की एक शाखा ने असंतोष जताया तो राजद नेताओं की सहानुभूति उन्हें मिलने लगी। इसी तरह कुशवाहा समाज में पैठ बनाने की कोशिश भी शुरू हो गई है। महागठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा राजद के साथ हैं, लेकिन राजद की कोशिश है कि इस समाज में उसकी भी थोड़ी सीधी पैठ रहे। अन्य छोटी-छोटी जातियों की महत्वाकांक्षा भी परवान पर हैं। राजद इसे मौके के रूप में देख रहा है।
लालू प्रसाद ने पहले राजपूत जगदानंद सिंह को राजद का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। राज्यसभा के लिए भूमिहार जाति के एडी सिंह का चयन किया। मुस्लिम-यादव (माय) वोटबैंक के अलावा अन्य समूहों के प्रति लालू प्रसाद की इस सहानुभूति के पीछे सोची-समझी रणनीति है।
कुशवाहा समाज में अपनी पैठ के लिए राजद ने दो यादगार दिन को चुना है। सम्राट अशोक की जयंती के दिन एक अप्रैल को राबड़ी देवी कुशवाहा संदेश रथ को रवाना करने वाली हैं, जो प्रदेश के सभी 38 जिलों में जाएगा और आम सभाएं भी होंगी। पांच सितंबर को जगदेव प्रसाद वर्मा की पुण्यतिथि पर गांधी मैदान में कुशवाहा रैली का आयोजन होना है, जिसका उद्घाटन महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री और एनसीपी के प्रमुख नेता छगन भुजबल करेंगे।
दोनों कार्यक्रम सम्राट अशोक फाउंडेशन के तहत कराए जा रहे हैं। कमान संभाल रहे राजद नेता निरंजन कुशवाहा पप्पू, जो भुजबल और लालू दोनों के करीबी हैं। पप्पू अभी संदेश रथ की तैयारी में जुटे हैं। रथ का रास्ता पांच हजार पंचायतों से गुजरेगा। भुजबल का लालू से पुराना याराना है। कुशवाहा समुदाय को साथ लाने की लालू की यह एक कोशिश है।
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा कभी भुजबल के करीबी थे। नीतीश कुमार से अलग होने के बाद बिहार में अलग पार्टी बनाने और उसे खड़ा करने में भुजबल ने उन्हें काफी मदद की थी। लोकसभा चुनाव में भी राजग से जुदा होकर महागठबंधन के साथ आने और पांच सीटें झटकने में भुजबल की मध्यस्थता ने ही कुशवाहा को कामयाबी दिलाई थी। अब भुजबल का यह बल लालू के साथ है। यह उपेंद्र कुशवाहा पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा भी है।
वैश्य समाज पर भी फोकस
विधानसभा चुनाव से पहले नया समीकरण बनाने में जुटे लालू ने प्रेमचंद गुप्ता के सहारे वैश्य समुदाय को संदेश देने की कोशिश की है। राजद को पता है कि यह समाज भाजपा का वोट बैंक है। इसलिए छोटी-छोटी पहल की जा रही है। पहले तेली-साहू समाज के निर्वाचित अध्यक्ष रणविजय साहू को आगे बढ़ाते हुए व्यवसायी प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया गया। अब तेजस्वी वादा कर रहे हैं कि वैश्यों को सदनों में भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।