लालू की सजा से आधार वोट समेटने की जुगत में राजद, जानिए पार्टी का प्लान
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाला मामले में जेल जाने के बाद राजद ने उनकी सजा को अपने वोट बैंक के लिए आधार बनाकर अपना फ्यूचर प्लान बनाया है।
पटना [अरविंद शर्मा]। चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद की साढ़े तीन साल की सजा को सांप्रदायिक एवं विरोधी ताकतों की साजिश करार देकर राजद की कोशिश अपने समर्थकों को एकजुट रखने एवं आधार वोट को भावनात्मक रूप से प्रभावित करने की होगी।
पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लालू के समर्थकों के आक्रोश को तत्काल भुना लेने की तैयारी में है। शीर्ष स्तर पर प्लान तैयार किया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव के पहले बिहार में फरवरी में तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में तेजस्वी यादव के सियासी कौशल की परीक्षा होनी है। लालू की गैरमौजूदगी में तेजस्वी के लिए यह लिटमस टेस्ट जैसा होगा, जिसमें राजद का सीधा मुकाबला भाजपा-जदयू गठबंधन से होगा।
अररिया लोकसभा एवं जहानाबाद विधानसभा सीट पर अभी राजद का कब्जा है। महागठबंधन के बिखरने के बाद बिहार में यह पहला उपचुनाव है। इसमें हार-जीत के मायने होंगे और दूरगामी असर भी।
लालू के उत्तराधिकारियों के लिए सियासी दांव-पेंच के अनुभवी नीतीश कुमार एवं सुशील कुमार मोदी की संयुक्त शक्ति के सामने टिके रहना इतना आसान नहीं होगा। जाहिर है, इसके लिए लालू की राजनीतिक शिल्प-शैली एवं मार्गदर्शन की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में लालू को बेल पर जेल से बाहर निकालना राजद की पहली कोशिश होगी। तेजस्वी अगर इसमें कामयाब हो गए तो सारी समस्याओं का समाधान अपने आप निकल आएगा।
राजद की दूसरी कोशिश कांग्र्रेस को साधने की होगी। लालू के वोट बैंक पर सबकी नजर है। जदयू-भाजपा की सियासी दुश्मनी के साथ-साथ कांग्र्रेस की दोस्ती का आधार भी लालू का परंपरागत वोट बैंक ही है। जेल-बेल के चक्कर में पड़े राजद को नजरअंदाज करके कांग्र्रेस अपना कद विस्तार की कोशिश भी कर सकती है।
ऐसे में तेजस्वी को अंदरूनी दो मोर्चे पर भी काम करना पड़ेगा। अपनी पार्टी में दायें-बायें चलने की कोशिश करनेवाले नेताओं को साधकर कांग्र्रेस पर भी नियंत्रण रखने की पहल करनी होगी। लालू के बिना राजद में बहुत दिनों तक सहजता की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
हालांकि राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के मुताबिक जनता को पता है कि लालू पर लगाए गए आरोप आधारहीन हैं। लालू को जेल में जितना कष्ट होगा, उनके चाहने वाले उतने ही एकजुट होंगे। सियासी लाभ भी उतना ही बड़ा होगा। लालू के जेल जाने से भाजपा को भगाने के लिए समर्थकों को ऊर्जा मिली है।
जल्दी में हैं तेजस्वी
राजद का मानना है कि जेल से लालू के लिखे खत का आमजन में व्यापक असर हो रहा है। समर्थकों से लालू ने भावनात्मक अपील की है। तेजस्वी की तैयारी खत के मजमून को जन-जन तक पहुंचाने की है। इसी मकसद से रविवार को राजद प्रवक्ताओं की मीटिंग बुलाई थी, किंतु लालू की बड़ी बहन की मौत के कारण इसे आखिरी वक्त में टाल दिया गया। अब एक-दो दिन बाद होगी। गांव-गांव में आंदोलन खड़ा करने का प्लान भी बनाया जा रहा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए माना जा रहा है कि लालू का जेल से निकलना तत्काल संभव नहीं है। अन्य मामलों में भी फैसले आने वाले हैं। अगर बेल से पहले सबमें सजा मिलती गई तो अलग-अलग जमानत भी लेनी होगी। इसलिए तेजस्वी सबकुछ जल्दी में कर लेना चाह रहे हैं।