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मिशन 2019: सीटों को ले महागठबंधन में मतभेद, दबाव की राजनीति कर रही कांग्रेस

आगामी लोकसभा चुनाव में सीटों को ले महागठबंधन में मतभेद दिख रहा है। कांग्रेेस व हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के बयानों पर गौर करें तो दोनों दबाव की राजनीति कर रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 09:30 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 09:32 PM (IST)
मिशन 2019: सीटों को ले महागठबंधन में मतभेद, दबाव की राजनीति कर रही कांग्रेस

पटना [सुनील राज]। लोकसभा चुनाव में भले ही अभी कुछ वक्त बाकी है, लेकिन बिहार की राजनीति पर चुनावी रंग चढऩे लगा है। एक ओर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में जहां मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्‍यक्ष अमित शाह की मुलाकात के बाद भाजपा-जदयू (जनता दल यूनाइटेड) में फिलहाल सबकुछ लगभग ठीक सा दिख रहा है। इसके उलट महागठबंधन में सीटों को लेकर बयानबाजी जोर पकडऩे लगी है।

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कांग्रेस व 'हम' की बयानबाजी जारी

महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्यूलर)  लोकसभा में सीटों के बंटवारे को लेकर वैसे तो अब तक खुलकर सामने नहीं आए हैं, लेकिन दोनों दलों ने राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) पर दबाव बनाने के लिए अपने-अपने स्तर से बयानबाजी तेज कर दी है। खास यह है कि बयानबाजी सीटों के आसपास ही केंद्रित हैं।

कांग्रेस को चाहिए कम-से-कम 15 सीटें

पिछले दिनों बिहार दौरे पर आए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे पहले सीटों का मसला उठाते हुए अपना बयान सार्वजनिक किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन भी किया है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को कम से कम 15 सीटों पर किस्मत आजमाना चाहिए।

गहलोत के बयान के बाद पार्टी के सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी मीडिया में बयान दिया कि कांग्रेस को सीटों के बंटवारे में कम से कम 12 सीटें तो मिलनी ही चाहिए। सिंह का दावा था कि कांग्रेस बिहार में अब कमजोर पार्टी नहीं।

'हम' को पांच सीटों की उम्‍मीद

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। कांग्रेस की ही तरह हम (सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी भी सहयोगी राजद से कम से कम पांच सीटों की उम्मीद रखते हैं। वैसे तो उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर लोकसभा चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया है, लेकिन उनका कहना है कि यदि बिहार में ऊंची जातियों के साथ ही पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित को साथ लाना है तो हम को कम से कम पांच सीटें मिलनी चाहिए।

बयानों पर राजद मौन

इन दोनों दलों के बयानबाजी के बीच फिलहाल राजद मौन है। मसले पर न तो तेजस्वी यादव कुछ कह रहे हैं न ही उनकी पार्टी के दूसरे ही नेता। अब देखना यह होगा कि चुनाव में राजद अपने सहयोगियों को कितना उपकृत करता है। फिलहाल तो बयानबाजी का दौर शुरू है । माहौल को देखते हुए कहा जा सकता है सीटों के बंटवारे को लेकर बयानबाजी और तेज होगी।


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