बंदर के बाद अब चूहे से जगी रोशनी की आस
नलिनी रंजन पटना। घटना-दुर्घटना ग्लूकोमा या किसी दवा के साइड इफेक्ट से आखों की रोशनी गंवाने
नलिनी रंजन, पटना। घटना-दुर्घटना, ग्लूकोमा या किसी दवा के साइड इफेक्ट से आखों की रोशनी गंवाने वाले मरीजों के जीवन में फिर से उजाला लाने के लिए अब 'चूहे' से आस जगी है। एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. राजर्वद्धन आजाद ने चीन में बंदर पर ऑप्टिक नर्व रिजनरेशन में पहली सफलता प्राप्त की थी। अब डॉ. आजाद के नेतृत्व में इंदिरा गाधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) के चिकित्सक चूहों पर शोध करेंगे। आखों की रोशनी के लिए ऑप्टिक नर्व का रिजनरेशन कराने की परियोजना को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने हरी झडी प्रदान कर दी है। डॉ. आजाद ने 2015-2016 में चीन में बंदर पर शुरुआती कार्य किया था। उन्हें काफी सफलता भी मिली थी। इस दौरान वह चीन के जॉनसेन ऑप्थेल्मिक सेंटर, ग्वॉनझू में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सेवा दे रहे थे। वहां बंदर की ऑप्टिक नर्व को काटकर फिर से जोड़ा गया था। इसमें न्यूट्रीशियन मैटेरियल डालने से सकारात्मक असर देखने को मिला। अब भारत सरकार के सहयोग से इस परियोजना को पूरा किया जाएगा। यदि यह ट्रायल सफल होता है तो सीधे कॉíनया नहीं, बल्कि पूरी आख का प्रत्यारोपण किया जा सकेगा, जो चिकित्सा विज्ञान की बड़ी उपलब्धि होगी। डॉ. आजाद अब आइजीआइएमएस में 2019 से अमेरिटस प्रोफेसर के रूप में सेवा दे रहे हैं। यहां आइजीआइएमएस के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रो. विभूति प्रसन्न सिन्हा व उनकी टीम सहयोग करेगी।
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पांच चरणों में सात-सात चूहों पर होगा परीक्षण :
डॉ. राजवर्द्धन आजाद ने बताया, बंदर पर प्रक्रिया का परिणाम बेहतर रहा है। अब चूहों पर यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके तहत सात-सात चूहों पर पांच चरणों में परीक्षण होगा। इसमें चूहों की आंखों की नर्व को काटकर उसमें न्यूट्रीशियन डालकर परीक्षण किया जाएगा। यहां परीक्षण तीन दौर से गुजरेगा। पहले चरण में रेटिना का इलेक्ट्रिक रेस्पांस चेक किया जाएगा। इसके बाद लिविंग रूप में देखा जाएगा। बाद में इनविट्रो में नर्व का पार्ट निकालकर परीक्षण होगा। यह प्रक्रिया लैब में पूरी की जाएगी। उन्होंने बताया, चीन, बोस्टन व सेंट पीटर्सबर्ग में कार्य हो रहा है। इसकी सफलता आखों को नई रोशनी देंगी। साथ ही यह देश के साथ-साथ विश्व के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।