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सूबे के गौरवशाली इतिहास की गाथा, अभिलेख भवन जर्रे-जर्रे में इतिहास

सूबे के गौरवशाली इतिहास की गाथा बिहार अभिलेख भवन के दस्तावेजों में अब भी आसानी से पढ़ी जा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 04:36 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 04:36 PM (IST)
सूबे के गौरवशाली इतिहास की गाथा, अभिलेख भवन जर्रे-जर्रे में इतिहास
सूबे के गौरवशाली इतिहास की गाथा, अभिलेख भवन जर्रे-जर्रे में इतिहास

पटना [प्रभात रंजन]। सूबे के गौरवशाली इतिहास की गाथा बिहार अभिलेख भवन के दस्तावेजों में पढ़ी जा सकती है। अंग्रेजों के शासनकाल से लेकर राजा महाराजाओं की जमींदारी प्रथा, स्वतत्रता आदोलनों, टोडरमल की लिखी डायरी, महात्मा गाधी की हस्तलिखित प्रतिया, शहर का पुराना नक्शा, मुगलकाल का सफरनामा आदि कई दस्तावेज यहा हैं। यहा वशावली भी मौजूद है।

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बेली रोड स्थित बिहार अभिलेख भवन में पब्लिक रिकार्ड और दूसरे ऐतिहासिक दस्तावेजों का ऐसा समुद्र है जहा बिहार के सुनहरे अतीत की कई निशानिया हैं। अंग्रेजों के शासनकाल और उनकी शासन प्रणाली के दस्तावेज के साथ मुगल काल के राजाओं द्वारा जारी मुगल फरमान के दस्तावेज सुरक्षित रखे हैं। बिहार से बगाल का पृथक्करण, स्वदेशी आदोलन तथा स्वराज के लिए किए गए सघर्ष के साथ 11 अगस्त 1098 को बगाल के लेफ्टिनेंट गर्वनर के बाकीपुर आगमन के अवसर पर छह हजार लोगों के हस्ताक्षर वाला मेनिफेस्टो आदि कई यादें अभिलेख भवन में उपलब्ध हैं। बिहार की धरोहर अभिलेखागार भवन का उद्घाटन 23 अक्टूबर 1987 को भारत के तत्कालीन उप-राष्ट्रपति डॉ. शकर दयाल शर्मा ने ने किया था। जबकि इसकी स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी। अभिलेखागार भवन दस्तावेजों का एक ऐसा सग्रह है जो प्रशासकीय तथा कार्यपालिका के कर्तव्य निर्वहन प्रक्रिया में सग्रहित होने के साथ व्यक्तियों की वशावली का सग्रह है।

शेरशाह के काल में लिखी थी टोडरमल ने डायरी

मुगलों का शासनकाल पूरे देश में था। ऐसे में बिहार कैसे अछूता रह सकता है। मुगल बादशाह के नवरत्‍‌नों में शुमार राजा टोडरमल का नाम बड़े शिद्दत से लिया जाता था। मुगल काल के दौरान टोडरमल ने देश के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण कर वहा की सभ्यता सस्कृति और राजनीति, सामाजिक एव शैक्षणिक पृष्ठभूमि को बड़ी बारीकी से देखा और उसे अपने शब्दों में बया करते रहे। बिहार राज्य अभिलेखागार भवन में टोडरमल की लिखी डायरी आज भी सुरक्षित है। यह डायरी पूरे विश्व में कहीं नहीं है। अभिलेखाध्यक्ष राम कुमार सिह बताते हैं, डायरी में टोडरमल ने बिहार की जमींदारी व्यवस्था, शासन व्यवस्था, सामाजिक और राजनैतिक चित्रण को अपने शब्दों में बया किया है। 1594 ई में लिखी डायरी आज भी शोधार्थी को अचभित करती है। फारसी भाषा में लिखी डायरी जिसमें सिफॉन पेपर का इस्तेमाल टोडरमल ने लिखने के लिए किया था। 251 पृष्ठों में सजी डायरी ऐतिहासिक दस्तावेजों का पूर्ण सग्रह है। राम कुमार सिह बताते हैं अब कोई फारसी पढऩे और लिखने वाला नहीं मिलता है। ऐसे में टोडरमल की लिखी बातों को हिंदी या अंग्रेजी भाषा रूपातरण करने में काफी परेशानी हो रही है। भाषा रूपातरण के लिए अभिलेख भवन की ओर से प्रयास किया जा रहा है। राम कुमार ने कहा, बहुत से शोध करने वाले लोग डायरी को देखते हैं लेकिन भाषा की समझ नहीं होने से उसे देखकर फिर लाइब्रेरी में रख देते हैं।

पटना और गया के गजेटियर के साथ कई स्थानों के गजट

अभिलेख भवन में अंग्रेजों के जमाने में स्थापित, गाधी मैदान, बेली रोड, सुलतान पैलेस, पटना हाई कोर्ट, गोल्फ क्लब, वर्ष 1770 से शिक्षा, स्वास्थ्य, फाइनेंस, निर्वाचन आदि स्थानों के बनने की पूरी कहानी दस्तावेज में समाहित है। कोलकाता गैजट जिसमें 1832 से लेकर 1956, गजट इंडिया 1964, बिहार गजट 1912, फ्रीडम मूवमेंट 1930 से लेकर 1947 तक आदि का गजट मौजूद हैं। वहीं हर जिले का गजेटियर जिसे फ्रास के इतिहासकार बुकानद ने लिखा था जो यात्रा वृतात पर आधारित थी। जो बाद में बुकानद रिपोर्ट के नाम से जाना गया। भवन के पास 1812 में पूरे पटना का नक्शा उर्दू में बनाया गया था जिसकी प्रति मौजूद है।

दस्तावेजों में छिपी है राजाओं की शासन प्रणाली

अभिलेख भवन में मौजूद कई ऐसी दुर्लभ प्रतिया हैं जो किसी को भी हैरत में डाल दें। भवन के पुराभिलेखपाल मोहम्मद असलम की मानें तो यहा पर मुगल काल में जारी किए मुगल शासकों द्वारा कई फरमान को सुरक्षित रखा गया है। बिहार के विभिन्न जिलों के लिए शासकों ने अलग-अलग फरमान जारी किया था। असलम मुजफ्फरपुर कलेक्ट्रेट जिसमें सारण, पूर्णिया, मुंगेर, पटना आदि जगहों के लिए जो फरमान वर्ष 1624 में जारी हुआ था उसकी प्रतिलिपिया उपलब्ध हैं। औरंगजेब के पोते अजीउद्दीन के शासन काल के फरमान को सरक्षित कर रखा गया है।

कैथी लिपि में पडित राज कुमार शुक्ल की डायरी

अंग्रेजों के तीन कठिया व्यवस्था और किसानों की विवशता को क्राति देने वाले पडित राज कुमार शुक्ल की डायरी को अभिलेख भवन में सुरक्षित कर रखा गया है। अभिलेखागर के पुराभिलेखापाल राम कुमार सिह ने कहा कि पडित राज कुमार शुक्ल ने चपारण किसान आदोलन से जुड़ी यादों को कैथी लिपि में अपनी डायरी में लिखा था। कैथी लिपि में लिखी डायरी में 12 जनवरी 1917 से 31 दिसबर 1917 तक की बातों का वर्णन किया गया है। भवन में कई शोधार्थी रामचद्र शुक्ल की डायरी पढ़ने आते हैं लेकिन भाषा की समझ नहीं होने के कारण उन्हें परेशानी होती है। वहीं स्वतत्र भारत के पहले बिहार के राज्यपाल जयरामदास दौलतराम, माधव श्रीहरि अणे, आर-आर दिवाकर, डॉ. जाकिर हुसैन, अनत शयनम अय्यगर, नित्यानद कानूनगो, देवकात बरूआ आदि राज्यपाल की सूचि भी यहा है।

गाधी की हस्तलिखित प्रतिया हैं यहां मौजूद

गाधी की चपारण यात्रा से जुड़ी कई बातों को बापू ने अपने शब्दों में उतारा था। गाधी के हाथों से लिखी कई बातों को अभिलेख भवन सुरक्षित रखा गया है। 1946 में गाधी मैदान में हुई सभा की तस्वीरें, गाधी मैदान स्थित अनुग्रह नारायण सस्थान में वर्ष 1947 में गाधी और उनके सहयात्री मनुबेन गाधी की दुर्लभ तस्वीरे भवन में मौजूद हैं। साथ ही चपारण यात्रा से जुड़ी कई बातें और तस्वीर को परिसर में सभाल कर रखा है। बापू की अंग्रेजी में लिखी हस्तिलिखत प्रतिया भी भवन में सरक्षित हैं। इन प्रतियों का दीदार कर शोधार्थी अपना ज्ञान बढ़ाते है। साथ ही पत्रों का दीदार करने दूर-दूर से लोग आते है।

अंग्रेज गवर्नरों की सूची और तस्वीर सभागार में मौजूद

अभिलेख भवन में अंग्रेजी राज्य व्यवस्था से जुड़े अंग्रेज गवर्नर की लबी सूची एव उनकी तस्वीर प्रमुखता से दर्शक दीर्घा में लगाई गई है। विभिन्न गवर्नरों के नाम और शासन व्यवस्था का जिक्र प्रमुखता से लिया गया है। आजादी के पूर्व एक अप्रैल 1912 से 19 नवबर 1915 तक बिहार के राज्यपाल बनकर विधि व्यवस्था को कायम रखने वाले सर चा‌र्ल्स स्टुअर्ट बेली का भी इतिहास यहा पर है। इसके अलावा सर एडवर्ड अल्बर्ट गेट, सर एडवर्ड वी लॉविज, लार्ड सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा, सर हैवीलैंड ले मेसूरियर, सर हेनरी व्हीलर, सर ह्मूग मेक्फर्सन, सर ह्मूग लैंसडाउन स्टीफेंन्सन, सर जेम्स डेविड सिफ्टन, सर जेम्स डेविड सिफ्टन, सर ह्मूग डो आदि की सूची शामिल है।

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बिहार के इतिहास से जुड़े कई दस्तावेज, गजट, गजेटियर आदि का सग्रह अभिलेखागार भवन में है। अभिलेखागार भवन बिहार के ऐतिहासिक धरोहरों से कम नहीं है। इसके सरक्षण और विस्तार के लिए सरकार का ध्यान हमेशा से रहा है। पुराने दस्तावेजों को सूचीबद्ध करने के साथ उनके सरक्षण में भवन अपनी भूमिका निभा रही है।

-उदय कुमार ठाकुर, सहायक निदेशक, अभिलेखागार भवन

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भवन के अंदर कई ऐसे दस्तावेज हैं जिसे देखने के बाद अपने बिहार और उसके अतीत को भली भाति समझा जा सकता है। बिहार के विभिन्न राजाओं की वशावली के साथ स्वतत्रता सग्राम में भाग लिए शहीद क्रातिकारियों की तस्वीर के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज यहा हैं।

-रामकुमार सिह, पुराभिलेख, अभिलेख भवन

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अभिलेख भवन में मुगल साम्राज्य से जुड़े कई दस्तावेज और गजट इंडिया से लेकर कई ऐतिहासिक प्रतिया हैं। भवन में अधिकारी से शोधार्थी भी विषयों से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर अपना ज्ञान बढ़ाते हैं।

-मोहम्मद असलम, पुराभिलेख, अभिलेख भवन


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