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गैंग्‍स ऑफ वासेपुर का था रियल लाइफ किरदार, राजनीति में एंट्री के पहले हो गई हत्‍या

कुख्‍यात तबरेज की शुक्रवार को पटना के कोतवाली थाना के पास हत्‍या कर दी गई। शहाबुदद्दीन का गुर्गा व गैंग्‍स ऑफ वासेपुर का सदस्‍य रहे इस अपराधी के बारे में जानने के लिए पढ़ें खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 11:59 AM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 10:52 PM (IST)
गैंग्‍स ऑफ वासेपुर का था रियल लाइफ किरदार, राजनीति में एंट्री के पहले हो गई हत्‍या
गैंग्‍स ऑफ वासेपुर का था रियल लाइफ किरदार, राजनीति में एंट्री के पहले हो गई हत्‍या

पटना [जेएनएन]। वह फिल्‍म 'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' का रियल लाइफ किरदार था। फिर, बिहार के मो. शहाबुद्दीन के शूटर के रूप में आतंक का दूसरा नाम बना। अपराध की काली दुनियां के इस खौफनाक चेहरे की अब आगामी विधानसभा चुनाव से राजनीति में एंट्री होने ही वाली थी कि मौत आ गई। जी हां, हम बात कर रहे हैं बीते दिनों पटना में दिन-दहाड़े गोलियों से भून दिए गए गए मो. तबरेज आलम उर्फ तब्बू की।

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गैंग्स ऑफ वासेपुर का रियल लाइफ किरदार

धनबाद के जिस वासेपुर पर 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' फिल्म बनी है, उस वासेपुर में भी मो. तबरेज का कनेक्शन था। जनवरी 2004 में धनबाद के वासेपुर में फहीम खान के घर पर एके-47 से हमला किया गया था। उसमें तब्बू भी शामिल था। उसे वासेपुर के शब्बीर ने बुलाया था।

इसी क्रम में 29 जनवरी 2004 को पुलिस मुठभेड़ हुई और उसका एक साथी मारा गया। धनबाद पुलिस ने मुठभेड़ में उसे एके-47 के साथ दबोचा था। साथ में उसका साथी तनवीर आलम भी पकड़ा गया था। उसे गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया, लेकिन एके-47 उसके पास कहां से आई, यह राज ही रहा।

शहाबुद्दीन का रहा खास

एक दौर में तबरेज आलम उर्फ तब्बू जेल में बंद पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन का सबसे खास था। पूर्व सांसद के साथ नाम जुडऩे से तब्बू किसी पहचान का मोहताज नहीं था। उसके नाम का खौफ था।

अपराध से राजनीति तक अच्‍छी पकड़

अपराध जगत से लेकर राजनीति के गलियारों में उसकी अच्छी दखल थी। पटना के कुख्यात सुलतान मियां व दुर्गेश शर्मा उसे गुरु मानते थे। सभी का ठिकाना वर्ष 1990 से लेकर 2000 तक एक राज्य मंत्री का घर था। बताया जाता है कि जमानत पर छूटने के बाद कुछ महीनों तक तबरेज भी भागलपुर के रिहायशी इलाके में एक नेता की शरण में छिपा रहा था। कहते हैं कि उत्तरप्रदेश के दबंग विधायक मुख्तार अंसारी से भी तबरेज आलम का गहरा लगाव था। पिछले विधानसभा चुनाव में वह एक पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार कर रहा था। उसका इस बार विधानसभा का चुनाव लडऩे का भी इरादा था।

इन चर्चित अपराधों में रही भूमिका

तबरेज के आपराधिक इतिहास की बात करें तो साल 2001 में उसने पटना के डॉ. रमेश चंद्र के अपहरण में बड़ी भूमिका निभाई थी। उसी साल धनबाद में विधायक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद 2003 में इसने अश्वनी गुप्ता का अपहरण किया था।

पटना सिटी के मनोज कमलिया हत्याकांड में भी तबरेज का नाम सामने आया था। पश्चिम बंगाल में बैंक डकैती की घटना को भी अंजाम दे चुका था। जहानाबाद में ही विक्की ज्वेलर्स के मालिक के घर पर भी जबरन कब्जा कर चुका था। पिछले साल दिसंबर में जहानाबाद के जायका रेस्टोरेंट के मालिक से फोन पर दो करोड़ की रंगदारी मांगी थी।

धनबाद में तबरेज आलम ने कुछ साल पहले एक एमएलए की हत्या के लिए दो करोड़ की सुपारी ली थी। तबरेज वहां अपने खास गुर्गो सलमान के साथ गया था, जहां एमएलए बच गए, मगर ये दोनों स्थानीय लोगों के हाथ लग गए। पुलिस ने इनकी जान बचाई और थाने लाई।

इन दिनों रीयल एस्‍टेट कारोबार में लगा था तबरेज

बंगाल, झारखंड, यूपी से लेकर बिहार में अपहरण और अन्य कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दे चुका तबरेज कुछ साल से रीयल स्टेट के कारोबार में जुट गया था। लखनऊ में उसकी खुद की शॉपिंग मॉल है। पटना के पॉश इलाकों में बिल्डरों ने मदद करने के नाम पर कई फ्लैट उसे दिए थे।

पटना सीटी, सब्जीबाग, फुलवारी शरीफ में भी इसने कई विवादित प्लॉट ले रखे थे। पटना, जहानाबाद, बिहारशरीफ, धनबाद में इसके नाम की दुकान सजती है। पटना के कई ऐसे बिल्डर हैं जो तबरेज के लिए ही काम करते हैं। सभी से इसकी साझेदारी थी। उसने पटना के नामचीन इलाके में फ्लैट का निर्माण भी किया है। दीघा में भी भव्य फ्लैट का निर्माण वह करा रहा था। एक्जीबिशन रोड में इसका अपना फ्लैट था, जहां इसने अपना कार्यालय भी बना रखा था।

कड़ी सुरक्षा के बीच रहता था कुख्‍यात

मो. शहाबुद्दीन पर कानूनी शिकंजा कसने के बाद तबरेज ने अपना रास्ता बदल दिया। लेकिन, इस दौरान इसके दुश्मनों की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि वह कभी भी अकेला नहीं रहता था। यहां तक की घर पर निजी सुरक्षागार्ड तैनात कर रखा था। उसके कार्यालय पर 24 घंटे पहरेदार रहते थे। उसके फ्लैट में कोई भी बाहरी या दोस्त का प्रवेश नहीं था। घर से निकलने के दौरान तबरेज के साथ चार से पांच गाडिय़ां आगे-पीछे चलती थीं और सभी वाहनों में उसकी सुरक्षा के लिए निजी गार्ड होते थे।

नमाज के समय ही दूर रहते थे सुरक्षा गार्ड

लेकिन, इस कड़ी सुरक्षा में एक छेद था, जिसका लाभ हत्‍यारों ने उठाया। पुलिस की छानबीन में पता चला कि वह हर दिन कोतवाली के मस्जिद में नमाज अदा करने आता था। उसकी गाड़ी कोतवाली गेट के पास खड़ी रहती थी। नमाज के समय जब वह कोतवाली आता था, अकेला रहता था। शुक्रवार को भी वह अकेले आया था।

कोतवाली के पास एक दुकानदार ने बताया कि तबरेज के साथ कुछ दिन पहले वर्दी में सुरक्षा गार्ड भी आते थे, जो गाड़ी में ही बैठे रहते थे। पिछले कुछ दिनों से उसके साथ कोई नहीं आ रहा था। इसका लाभ हत्‍यारों ने उठाया।


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