बिहार सरकार के अफसर का फर्जीवाड़ा: प्रॉक्सी बनकर दी BPSC की परीक्षा, RDO की हैंडराइटिंग ने खोल दी पोल
बिहार लोक सेवा आयोग की 66वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। राज्य में ग्रामीण विकास अधिकारी (आरडीओ) के तौर पर नियुक्त सुमित कुमार ने दूसरे के बदले प्रधानाध्यापक की नियुक्ति परीक्षा दी थी। आयोग को मिले एक पत्र की जांच के बाद मामला सामने आया।
पटना, जागरण संवाददाता। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) 66वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में ग्रामीण विकास अधिकारी (आरडीओ) सुमित कुमार ने दूसरे के बदले उच्च माध्यमिक विद्यालयाें में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति परीक्षा दी थी। आयोग को मिले एक पत्र की जांच के बाद यह मामला सामने आया।
इसके बाद शुक्रवार को आयोग के प्रशाखा पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने सुमित कुमार और प्रधानाध्यापक पद के अभ्यर्थी रत्नेश कुमार के विरुद्ध सचिवालय थाने में प्राथमिकी कराई। थानेदार भागीरथ प्रसाद ने बताया कि फर्जीवाड़ा की धाराओं में प्राथमिकी की गई है। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी है।
त्रिवेणीगंज के विवेक की शिकायत पर शुरू हुई जांच
सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज निवासी विवेक कुमार यादव ने आयोग को पत्र भेज कर जानकारी दी कि 31 मई 2022 को प्रधानाध्यापक पद के लिए ली गई वस्तुनिष्ठ परीक्षा में मधेपुरा के शंकरपुर थानांतर्गत मौजामा गांव निवासी रत्नेश कुमार की जगह त्रिवेणीगंज के रघुनाथपुर गांव निवासी सुमित कुमार ने परीक्षा दी थी।
सुमित का चयन आरडीओ पद के लिए हुआ है, जबकि रत्नेश भी फर्जी तरीके से पास कर गया। आयोग ने इसके लिए उप सचिव डा. मनोज कुमार झा और कुंदन कुमार की द्विसदस्यीय समिति बनाई। साथ ही दोनों आरोपितों को हाजिर होने के लिए आयोग ने नोटिस भेजा।
उपस्थित नहीं हुए सुमित तो बढ़ा संदेह
आयोग के बुलावे पर सुमित कुमार समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। तब अधिकारियों ने परीक्षा वाली तिथि पर टचलेस इरिस कैप्चरिंग एंड फेशियल रिकाग्नेशन का कार्य करने वाली एजेंसी इनोवेटीव्यूह से डाटा मांगा। मिलान पर मालूम हुआ कि रत्नेश की जगह सुमित ने हाजिरी लगाई थी।
इसके बाद ओएमआर शीट पर किए गए हस्ताक्षर का मिलान सुमित के दस्तावेजों से किया गया। हस्तलिपि भी एक समान मिली। पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद आयोग ने सचिवालय थाने में प्राथमिकी कराई।