पुत्र राम के वियोग में प्राण त्याग देते हैं राजा दशरथ
भगवान राम अपने पिता दशरथ की आज्ञा पाकर वन के लिए प्रस्थान करते हैं।
पटना। भगवान राम अपने पिता दशरथ की आज्ञा पाकर वन के लिए प्रस्थान करते हैं। उनके साथ भाई लक्ष्मण और मां सीता भी वन चले जाते हैं। राम को राजमहल से जाते देख अयोध्या में शोक की लहर दौड़ती है। राजमहल में सन्नाटा पसर जाता है। राम अपनी वन यात्रा के दौरान निषाद राज से भेंट कर गंगा नदी पार करने के लिए नाव मांगते हैं। 'मांगी नाव न केवट आना, कहइ तुम्हार मरम मैं जाना' मानस की इस चौपाई के साथ भगवान राम की कथा की प्रस्तुति शनिवार को विधायक अरूण कुमार सिन्हा के आवास छज्जुबाग में देखने को मिली।
श्रीराम समिति एवं श्रीराधासर्वेश्वर ब्रज संस्थान के बैनर तले वृंदावन से आए कलाकारों ने रामलीला की प्रस्तुति कर दर्शकों का मन मोह लिया। रामलीला महोत्सव के सातवें दिन कलाकारों ने केवट प्रसंग और चित्रकूट में भरत मिलाप आदि प्रसंगों को पेश कर कलाकारों ने पूरे परिसर को राममय बना दिया। भगवान राम की आज्ञा पाकर केवट ने प्रभु के चरण धोए और फिर केवट राम से कहते हैं कि मैं अपने नाव पर आपको कैसे चढ़ाऊं। वे कहते हैं कि जब आपके पैर पत्थर में छूने से अहिल्या नारी बन गई तो कहीं मेरा नाव भी नारी न बन जाए। इसके बाद भगवान राम केवट को दिलासा देते हैं ऐसा कुछ भी नहीं होगा। इसके बाद राम-लक्ष्मण और मां सीता को केवट अपनी नाव से गंगा पार कराते हैं। आगे चलकर भगवान राम की मुलाकात ऋषि वाल्मीकि से होती है। वे अपने प्रवास के लिए सही जगह उनसे पूछते हैं। राम चित्रकूट में ऋषि अत्रि व अनसुइया से भी मिलते हैं। अनसुइया ने मां जानकी को माध्यम बनाकर जगत की स्त्रियों के लिए पतिव्रत धर्म की शिक्षा दी।
भगवान राम के नहीं आने पर राजा दशरथ होते हैं उदास -
रामलीला के दौरान कलाकारों ने मानस के प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए सभी का दिल जीता। सुमंत लौटकर अयोध्या आते हैं और भगवान राम के अयोध्या नहीं लौटने का समाचार देते हैं। इसे जानकर राजा दशरथ काफी चिंतित होते हैं और राम के वियोग में वे प्राण त्याग देते हैं। उधर ऋषि वशिष्ठ भरत को राज दरबार में बुलाते हैं और अयोध्या का राज संभालने की आज्ञा देते हैं। लेकिन भरत खुद गद्दी संभालने से इंकार करते हुए भगवान राम को मनाने के लिए चित्रकूट धाम चले जाते हैं। उनके अनुनय के बाद भी राम वनवास से लौटने को तैयार नहीं होते हैं। तब भरत, भगवान राम की चरण पादुका को अपने साथ अयोध्या ले आते हैं और फिर अपने राजधर्म का पालन करते हैं। 'चला ले के राम भक्त राघव की निशानी, घर के शीश पे खड़ाऊं, भरके नयनों में पानी' आदि चौपाई के साथ अभिनय कर कलाकारों ने दर्शकों को बड़ों का सम्मान, धर्म का पालन का सीख दिया। समारोह के दौरान विधायक अरूण कुमार सिन्हा, अमृता भूषण, प्रवीण चंद्र राय, आशीष सिन्हा, विकास सिन्हा, संतोष पाठक, विकास सिंह, मीडिया प्रभारी प्रवीण चंद्र राय ने रामलीला का आनंद उठाया।
आज की प्रस्तुति -
पंचवटी, सूर्पनखा, सीताहरण, शबरी, हनुमान मिलन की प्रस्तुति।