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Ram Mandir Bhumi Pujan: श्रीराम मंदिर को ले सीतामढ़ी के माता सीता मंदिर में उल्‍लास, विवाह के बाद यहां रुकी थी डोली

Ram Mandir Bhumi Pujan बिहार के सीतामढ़ी में माता सीता का एक प्राचीन मंदिर है। अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजा को लेकर आज यहां उल्‍लास का माहौल है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 09:47 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 04:05 PM (IST)
Ram Mandir Bhumi Pujan: श्रीराम मंदिर को ले सीतामढ़ी के माता सीता मंदिर में उल्‍लास, विवाह के बाद यहां रुकी थी डोली
Ram Mandir Bhumi Pujan: श्रीराम मंदिर को ले सीतामढ़ी के माता सीता मंदिर में उल्‍लास, विवाह के बाद यहां रुकी थी डोली

सीतामढ़ी, अवध बिहारी उपाध्याय। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम से विवाह के बाद अयोध्या जाते समय जगत जननी माता सीता की डोली पंथपाकड़ में रुकी थी। यह स्थान बिहार के सीतामढ़ी जिला के बथनाहा प्रखंड में है। यहां माता सीता का मंदिर भी है, जिसे अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के उपलक्ष्य में दुल्हन की तरह सजाया-संवारा गया है। यहां अखंड रामायण पाठ, भजन-कीर्तन और दीपोत्सव का आयोजन किया गया है। जन-जन में जबरदस्त उल्लास है।

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वर्षों की प्रतीक्षा पूरी हो रही, चहुंओर उत्साह

मंदिर के पुजारी दिलीप शाही बताते हैं कि राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर साधु-संत समेत आम लोगों में उमंग है। लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि बुधवार को अपने-अपने घरों में दीये जरूर जलाएं। यह मौका होली-दिवाली की ही तरह है। वर्षों से चल रही प्रतीक्षा पूरी हो रही है।

माता सीता के दातून के कूचे ने ले लिया पाकड़ का रूप

वैदेही वल्लभ निकुंज मंदिर के महंत आचार्य सुमन झा ने बताया कि सीतामढ़ी से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर पंथपाकड़ गांव स्थित है। उसी स्थान पर पाकड़ के पेड़ के नीचे सीताजी ने रात्रि विश्राम किया था। यहां से जनकपुर 12 कोस (लगभग 38 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। लोककथाओं के अनुसार, मां जानकी ने प्रात: पाकड़ की टहनी से दातून किए थे। दातून के कूचे ने विशाल पाकड़ के पेड़ का रूप ले लिया है। जबकि, कुल्ले का पानी सरोवर हो गया।

यहीं हुआ था श्रीराम-परशुराम से संवाद

इसी स्थल पर भगवान श्रीराम का महर्षि परशुराम से संवाद होने का भी जिक्र है। यहां भव्य मंदिर, माता सीता की पिंडी, पाकड़ के पेड़ और सरोवर से धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। सीतामढ़ी और जनकपुर आने वाले श्रद्धालु पंथपाकड़ भी जरूर आते हैं।


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