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अब लालू यादव की राह पर सुशील मोदी, CM नीतीश को छोड़ रहे पीछे; चौंकिए नहीं, जैसा सोंच रहे वैसा नहीं है मामला

Rajya Sabha Election बीजेपी नेता व पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी की लालू प्रसाद यादव से सियासी अदावत शिखर पर है तो मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी दोस्ती के भी खूब चर्चे रहे हैं। लेकिन सुशील मोदी एक मामले में नीतीश कुमार को पीछे छोड़ लालू का अनुशरण कर रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 07:31 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 10:54 PM (IST)
लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार एवं सुशील मोदी। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्‍क। Rajya Sabha Election भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Ex Dy.CM Sushil Kumar Modi) की राजनीति राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के विरोध की रही है। भ्रष्‍टाचार को लेकर उनके खुलासों के कारण न केवल महागठबंधन (Mahagathbandhan) की सरकार गिरी, बल्कि लालू परिवार (Lalu Family) अदलतों के चक्‍कर काटने को विवश हो गया है। उन्‍होंने 'लालू लीला' नामक किताब भी लिख डाली है। लेकिन सुशील मोदी एक मामले में लालू प्रसाद यादव का अनुशरण करते नजर आ रहे हैं। चौंक गए? अगर आप यह सोंच रहे कि दोनों साथ आ गए हैं तो ऐसी बात नहीं है। दरअसल, बीजेपी ने सुशील मोदी को राज्‍यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) में उतारने का फैसला किया है। अगर वे चुनाव जीत गए तो लालू प्रसाद यादव एवं और नागमणि (Nagmani) की ही तरह ही राज्‍यसभा व लोकसभा तथा बिहार विधान परिषद व बिहार विधानसभा के सदस्य हो सकेंगे। इस मामले में वे मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को भी पीछे छोड़ते नजर आ रहे हैं।

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विधान परिषद आचार समिति के अध्यक्ष हैं सुशील मोदी

बिहार की राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की पिछली सरकार में सुशील कुमार मोदी उपमुख्‍यमंत्री थे। वे बिहार में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ लंबे समय तक उपमुख्‍यमंत्री रहे। लेकिन नई सरकार में बीजेपी ने उनकी जिम्‍मेदारी बदल दी है। अब वे बिहार विधान परिषद की आचार समिति के अध्यक्ष हैं। फिलहाल वे विधान परिषद के सदस्य हैं।

अभी तक तीन सदनों के रहे सदस्‍य, चौथे का लड़ रहे चुनाव

सुशील मोदी लोकसभा व बिहार विधानसभा के सदस्‍य भी रह चुके हैं। वे 1990 में पहली बार पटना सेंट्रल (अब कुम्‍हरार) सीट से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। आगे साल 2004 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर से निर्वाचित होकर वे सांसद बने थे। हालांकि, एक बाद ही 2005 में जब उन्‍हें बिहार बीजेपी विधान मंडल दल का नेता चुन लिया गया, उन्‍होंने लोकसभा से इस्‍तीफा दे दिया। इसके बाद वे बिहार विधान परिषद् के लिए निर्वाचित हुए। वे दूसरी बार 2012 में विधान पार्षद निर्वाचित हुए। अब बीजेपी ने उन्‍हें राज्‍यसभा भेजने का फैसला किया है।

राज्‍यसभा में गए तो लालू की बराबरी करेंगे सुशील मोदी

अगर सुशील मोदी राज्‍यसभा का चुनाव जीत जाते हैं तो वे राज्‍यसभा व लोकसभा तथा बिहार विधान परिषद व बिहार विधानसभा के सदस्‍य रहने का नया रिकार्ड बनाएंगे। इसके पहले यह रिकार्ड बनाने वालों में उनके बड़े राजनीतिक विरोधी व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं। लालू प्रसाद यादव 1977 व 1999 में लोकसभा के सदस्‍य रहे। वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वे 2002 में राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए।

लालू 1980 से विधायक तथा 1990 में विधान पार्षद रहे। बिहार की बात करें तो पूर्व मंत्री नागमणि भी चारों सदनों के सदस्‍य रहे हैं। वे 1977 में विधायक, 2006 में विधान पार्षद, 1995 में राज्यसभा सांसद तथा 1999 में लोकसभा सांसद निर्वाचित हो चुके हैं।

...और मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़ देंगे पीछे

देश के चारों सदन में जा कर सुशील मोदी इस मामले में न केवल लालू प्रसाद यादव की राह पर चलते दिखेंगे, बल्कि अपने करीबी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को पीछे भी छोड़ देंगे। नीतीश कुमार लोकसभा के सदस्‍य व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वे बिहार विधान परिषद व बिहार विधानसभा के सदस्‍य रहे हैं। फिलहाल वे बिहार विधान परिषद के सदस्‍य हैं। हालरांकि, वे कभी राज्‍यश्रभा में नहीं रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र भी चारों सदनों के सदस्य नहीं रहे।


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