रेलकर्मियों के लिए खुशखबरी: अब म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए नहीं करना होगा वेट
रेल कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है, अब म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए उन्हें लंबा इंतजार नहीं करना होगा, बल्कि पंद्रह दिनों के भीतर उनका ट्रांसफर हो जाएगा।
पटना [जेएनएन]। रेलवे विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है अब उन्हें म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन देने के 15 दिनों के बाद ही उनकी पोस्टिंग कर दी जायेगी। इस नियम के लागू होने के बाद रेलवे में काम करने वाले देश के हजारों रेलकर्मियों को फायदा होगा।
इस संबंध में रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर स्थापना एमके मीना ने पत्र भेज कर देश के सभी जोन के जीएम व प्रोडक्शन यूनिट के हेड को आदेश जारी किया है कि इस पर तुरंत कार्रवाई शुरू करें, ताकि म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए वर्षों से लंबित फाइल को आगे बढ़ाया जा सके।
रेलवे बोर्ड के नये चेयरमैन अश्विनी लोहानी के आने के बाद से ही सुस्त गति से चल रही रेलवे की व्यवस्था में अचानक तेजी आ गयी है। हाल ही में उन्होंने अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपरा को समाप्त करते हुए अधिकारियों के बंगले पर काम करनेवाले गैंगमैन को हटाने का आदेश जारी किया था।
पांच अक्तूबर तक मांगी गयी है रिपोर्ट
रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर ने 30 सितंबर तक लंबित मामलों को निबटाने का निर्देश दिया है। इसके बाद रिपोर्ट रेलवे बोर्ड में भेजने को कहा है। अंतिम रिपोर्ट पांच अक्तूबर तक रेलवे बोर्ड, नयी दिल्ली में भेजने का निर्देश जारी किया गया है ताकि इस पर पॉलिसी बनाकर काम शुरू कर दिया जा सके।
क्या होता है म्यूचुअल ट्रांसफर
म्यूचुअल ट्रांसफर दो कर्मचारियों की आपसी सहमति से होता है। कर्मचारी जोन बदलने के लिए आवेदन देते हैं।इस पर अमल करते हुए कर्मियों का तबादला किया जाता है। रेलवे में सैकड़ों ऐसे मामले हैं, जो वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़े हैं। ईस्ट सेंट्रल कर्मचारी यूनियन, आरा के अध्यक्ष मनोज पांडेय ने कहा कि रेलवे बोर्ड के इस फैसले का यूनियन स्वागत करती है।
अफसरों के घरों पर काम करने वाले 50,000 गैंगमैन रेलवे ट्रैक पर लौटे
रेलवे में हाकिमों के घर ड्यूटी बजाने वाले करीब 50,000 ग्रुप डी कर्मियों को वापस काम पर लौटाया गया है। रेलवे बोर्ड के नए चेयमैन अश्विनी लोहानी के आदेश पर रेलकर्मियों की ड्यूटी पर वापसी हुई है। पूर्व मध्य रेल में ऐसे ही करीब 1000 कर्मियों को उन स्थानों पर वापस भेजा गया है जहां आधिकारिक तौर पर उनकी पोस्टिंग थी।
रेल के इतिहास में यह पहला मौका है जब अफसरों के घर ड्यूटी बजा रहे कर्मियों को ड्यूटी पर वापसी के लिए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को आदेश देना पड़ा है।
पूरे मामले का रोचक पक्ष यह है कि कागजों में रेलकर्मी अपने मूल स्थान पर ही तैनात दिखाए गए हैं, लेकिन वे काम बड़े अफसरों के यहां कर रहे थे। लिहाजा किस डिवीजन में कितने कर्मी अपने मूल स्थान से गायब थे और जोनवाइज इनके लौटने की वास्तविक संख्या कितनी है बताना कठिन है।