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साइको किलरः पिता के हत्यारे की 32 गोली मारकर ली जान, फिर एक के बाद एक 20 हत्याओं में रहा शामिल

पूर्व एमएलसी ललन श्रीवास्तव का बेटा अभिषेक दिल्ली में अच्छी नौकरी छोड़ पिता के कहने पर पटना लौटा। उसे पिता के साथ बिजनेस शुरू करने वाला था लेकिन जिसे पार्टनर बनना था उसने उसके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 08:10 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 08:10 AM (IST)
साइको किलरः पिता के हत्यारे की 32 गोली मारकर ली जान, फिर एक के बाद एक 20 हत्याओं में रहा शामिल
शार्प शूटर अभिषेक श्रीवास्तव ने 2003 से अब तक 20 लोगों की हत्या में संलिप्तता स्वीकार की है।

पटना, जेएनएन। पूर्व एमएलसी का बेटा पिता की हत्या के बाद साइको किलर बन गया। उसने बाप के हत्यारे को 32 गोली मारकर भून दिया, फिर एक के बाद एक वारदातों में शामिल होता गया। रक्सौल में पटना पुलिस के हत्थे चढ़े शार्प शूटर अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ अमित को पूछताछ के बाद शुक्रवार को जेल भेज दिया गया। उसने 2003 से अब तक 20 लोगों की हत्या में संलिप्तता स्वीकार की है। पुलिस सभी मामलों का सत्यापन करने में जुटी है। 

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दिल्ली में नौकरी छोड़कर आया था पूर्व एमएलसी का बेटा

पुलिस ने बताया कि पूर्व एमएलसी ललन श्रीवास्तव का बेटा अभिषेक दिल्ली में अच्छी नौकरी छोड़ पिता के कहने पर 2002 में पटना लौटा था। वह पिता के साथ बिजनेस शुरू करने वाला था, लेकिन जिसे पार्टनर बनना था उसने उसके पिता की हाजीपुर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। पिता की हत्या के बाद उसने अपना रास्ता बदल लिया। हत्याकांड में छह नामजद आरोपित बनाए गए। मुख्य आरोपित मोइन खान था। अभिषेक ने मोइन खान को 2003 में हाजीपुर में गोलियों से भून डाला। पुलिस को मौके से 32 खोखे मिले थे। मोइन के तीन साथियों की भी उसी साल हत्या कर दी थी। 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ाई पूरी की

2016 में भी अभिषेक को वैशाली जिले की पुलिस ने बैंक चोरी में गिरफ्तार कर लिया था। तब वैशाली के एसपी को उसने बताया कि गूगल पर साइको किलर अमित सर्च करिए, पूरी कहानी जान जाएंगे। अभिषेक ने सीबीएसई बोर्ड से पढ़ाई के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ाई पूरी की थी। उसने पुलिस को बताया कि पिता की हत्या के मामले में अभी एक आरोपित जेल में बंद है, उसको अंजाम तक पहुंचाना आखिरी लक्ष्य है। 

ऐसे हो गया पेशेवर

वह किसी एक गिरोह के लिए काम नहीं करता था। अपराध की दुनिया में आने के बाद उसे जिसने पैसा दिया, उसके लिए काम करता चला गया। किसी गिरोह से नहीं जुड़ने से पुलिस भी उस तक नहीं पहुंच सकी। वह हाल ही में हाजीपुर जेल से छूटा था और नेपाल भागने के फिराक में था। 

पूर्व पार्षद दीना गोप की हत्या में संलिप्त

2018 में उसने पटना में पूर्व पार्षद दीना गोप की हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार की।  विजय गोप, अजय गोप, दीना गोप, लालू गोप, अजीत गोप, मोइन उर्फ पप्पू, सरदार जी, चनारिक गोप, मनोज सोनार, राहुल यादव सहित चार अन्य लोगों की हत्या में भी संलिप्तता स्वीकार की। पुलिस इन सभी मामलों की छानबीन कर रही है। 

नीले रंग पर था एतबार 


पुलिस सूत्रों की मानें तो अभिषेक अंधविश्वासी भी है। अक्सर वह किसी भी वारदात को अंजाम देने से पहले ब्लू शर्ट, जींस, जूते पहनता है। उसका तर्क है कि पहला मर्डर इसी रंग की ड्रेस में किया था। पकड़ा नहीं गया था। वैशाली में पहली बार वह इसी ड्रेस में पकड़ा गया, तब उसकी यह गलतफहमी भी दूर हो गई।


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