गुरु का बाग गुरुद्वारा में अखंड पाठ समाप्त, शबद-कीर्तन से संगत निहाल-कोरोना से नगर कीर्तन स्थगित
गुरु नानक देव केप्रकाश पर्व को लेकर ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का बाग में तीन दिनों से चल रहा अखंड कीर्तन रविवार को सुबह समाप्त हो गया। अखंड पाठ के बाद सजे दीवान में टाटानगर के कीर्तनी रागी जत्था के भाई गुरदीप सिंह ने शबद-कीर्तन से संगत को निहाल किया।
पटना, जेएनएन। सिख पंथ के प्रथम गुरु नानक देव के 551वें प्रकाश पर्व को लेकर ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का बाग में तीन दिनों से चल रहा अखंड कीर्तन रविवार को सुबह समाप्त हो गया। अखंड पाठ के बाद सजे दीवान में टाटानगर के कीर्तनी रागी जत्था के भाई गुरदीप सिंह ने शबद-कीर्तन से संगत को निहाल किया। उसके बाद हजूरी कथावाचक ज्ञानी चरणजीत सिंह ने कहा कि गुरुनानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे। सिख धर्म में मान्यता है कि बचपन से ही नानक देव विशेष शक्तियों के धनी थे। उन्हें अपनी बहन नानकी से काफी कुछ सीखने को मिला।
गुरुनानक देव की 16 वर्ष की आयु में शादी पंजाब के गुरदासपुर जिले के लााखौकी में रहने वाली सुलक्खनी से हो गई। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्खीचंद थे। पुत्रों के जन्म के कुछ दिन बाद नानक देव लंबी तीर्थयात्रा पर निकल गए। यात्रा में उनके साथ भक्त मरदाना, लहना, बाला और रामदास भी गए। उन्होंने भारत, अफगानिस्तान और अरब के कई स्थानों का भ्रमण किया। लगभग 10.15 बजे पटना साहिब हजूरी रागी जत्था के भाई साहिब ने कीर्तन प्रस्तुत किए।
संसार में समानता, भाई-चारे के लिए हुआ गुरु नानक का जन्म
दिन में 11.15 बजे लुधियाना के कानपुरिया रागी जत्था के भाई पवनदीप सिंह ने शबद कीर्तन से संगतों को निहाल किया। दोपहर 12.15 बजे लखनऊ के भाई गुरमीत सिंह ने कीर्तन प्रस्तुत किए। सिख ममज्ञ प्रोफेसर लालमोहर उपाध्याय ने सिख पंथ के प्रथम गुरु के जीवनी पर प्रकाश डालते कहा कि संसार में समानता, भाई-चारे तथा समाज में फैले अंधकार को मिटाने के लिए धरती पर गुरु नानक देव आए। इसके बाद तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन ने गुरु नानक देव के जीवनी पर प्रकाश डालते कहा कि मानवता के पथ-प्रदर्शक थे सिखों के प्रथम गुरु नानक देव। जत्थेदार ने विश्व शांति के लिए अरदास किया। संगतों के बीच कड़ाह प्रसाद के वितरण के बाद लगभग 1:30 बजे विशेष दीवान की समाप्ति हुई। इसके बाद संगतों ने पंगत में बैठकर लंगर छके। विशेष दीवान में प्रबंधक समिति के पदाधिकारी व सदस्यगण के अलावा अन्य विशिष्ट थे। उधर चितकोहरा गुरुद्वारा में भी प्रथम गुरु की जयंती मनाई गई। कोरोना महामारी के कारण सरकार के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए इस बार रविवार को दोपहर दो बजे निकलनेवाले नगर कीर्तन को स्थगित किया गया।