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Lok Sabha Election Phase V: लालू और पासवान की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर, जानिए

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में बिहार के दो राजनीतिक दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस चरण में राजद सुप्रीमो लालू यादव के समधी और रामविलास पासवान के भाई उम्मीदवार हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 02:26 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 07:23 AM (IST)
Lok Sabha Election Phase V: लालू और पासवान की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर, जानिए
Lok Sabha Election Phase V: लालू और पासवान की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर, जानिए

पटना, जेएनएन। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में यूं तो बिहार की पांच लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, मगर पूरे देश की नजर इस चरण में बिहार की सारण और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र पर होगी। क्योंकि इस चरण में मतदाता बिहार की राजनीति के दो दिग्गजों, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान की सियासत की विरासत संभालने वाले उनके प्रत्याशियों पर मुहर लगाएंगे।

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बिहार के इन दोनों सीटों के परिणाम इन दोनों राजनीति के दिग्गजों की सियासी पैठ भी तय करेगी। इस चुनाव में लालू प्रसाद के परिवार की परंपरागत सीट समझे जाने वाले सारण सीट से महागठबंधन ने जहां राजद के नेता और लालू के समधी चंद्रिका राय को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं एनडीए की तरफ से इस सीट पर उनके सामने राजीव प्रताप रूडी हैं।

तो वहीं, हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने अपने भाई पशुपति कुमार पारस को अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं उनके सामने राजद के शिवचंद्र राम उन्हें कड़ी टक्कर देंगे।बता दें कि हाजीपुर से रामविलास पासवान आठ बार चुनाव जीतकर इस क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बिहार की इन दोनों सीटों पर सामाजिक आधार हो या वोटबैंक की राजनीति, देश के मुद्दे हों या राज्य के मुद्दे, मतदाताओं ने ज्यादातर मौकों पर इन दोनों नेताओं को ही समर्थन दिया है।

सारण से लालू प्रसाद सर्वाधिक चार बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। सबसे पहले वर्ष 1977 में लालू इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे। उसके बाद वर्ष 1989, 2004 और 2009 के ससंदीय चुनाव में भी लालू प्रसाद ने इस सीट से जीत हासिल की। हालांकि, लालू को यहां से हार का भी सामना करना पड़ा। पहले इस संसदीय सीट का नाम छपरा था। 

माना जा रहा है कि इस बार लालू की संसदीय विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे राजद विधायक चंद्रिका राय का यहां से जीतना न केवल लालू के लिए, बल्कि पूरी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है तो वहीं हाजीपुर से भी रामविलास पासवान के भाई का जीतना भी उनके लिए प्रतिष्ठा का विषय है।

चार दशकों से करीब सभी लोकसभा चुनाव में भागीदारी करने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनावी रण से बाहर हैं। इस बार उन्होंने इस सीट से अपने छोटे भाई और अपनी पार्टी लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को मैदान में उतारा है। 

कहा जा रहा है कि इस सीट के चुनाव का परिणाम न केवल गठबंधनों के विजयी सीटों में इजाफा करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि पासवान की पकड़ अपने क्षेत्र में आज भी बरकरार है। पासवान ने यहां से पहली बार साल 1977 के चुनाव में अपना भाग्य आजमाया था। उसके बाद यहां से वह अब तक आठ बार चुनाव जीत चुके हैं और यहां से सर्वाधिक मतों से चुनाव जीतने का भी रिकार्ड बनाया है।

ऐसे में यह तय है कि दोनों दलों ने भले ही यहां से प्रत्याशी उतारे हैं, मगर सही मायनों में सारण से जहां लालू की प्रतिष्ठा की परीक्षा होगी, वहीं हाजीपुर के परिणाम से पासवान की सियासी ताकत मापे जाएंगे।

बहरहाल, इन दोनों सीटों पर पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होना है, लेकिन 23 मई को मतगणना होने के बाद ही रिजल्ट देखकर पता चल सकेगा कि इन क्षेत्रों में नहीं रहने के बाद क्या इन दोनों दिग्गजों का उनके क्षेत्र में सिक्का आज भी उसी तरह चल रहा है या मतदाताओं का उनसे विश्वास टूट रहा है?

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