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बिहार में बिजली कंपनी ने बनाया रिकार्ड, राजस्व में 2200 करोड़ का इजाफा

बिहार में अनुदान के भरोसे चलने वाली बिजली कंपनी अब मुनाफे के ट्रैक पर है। अकेले मार्च महीने में राजस्व संग्रह पिछले वर्ष के 830 करोड़ से बढ़कर 1300 करोड़ पर पहुंच गया।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 01 Apr 2018 12:50 PM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 09:22 PM (IST)
बिहार में बिजली कंपनी ने बनाया रिकार्ड, राजस्व में 2200 करोड़ का इजाफा
बिहार में बिजली कंपनी ने बनाया रिकार्ड, राजस्व में 2200 करोड़ का इजाफा

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में बिजली कंपनी ने समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन राजस्व संग्रह का बड़ा रिकार्ड हासिल कर लिया। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में राजस्व संग्रह में 2200 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। अब तक की यह सबसे अधिक बढ़ोतरी है। बिजली कंपनी के आला अधिकारियों का आकलन है कि अब अनुदान के भरोसे अपने घाटे की भरपाई करने वाली बिजली कंपनी मुनाफे के ट्रैक पर आ रही है।

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मार्च में राजस्व संग्रह 1300 करोड़ पर पहुंचा

बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के अधिकारी वर्तमान वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन लगातार राजस्व संग्रह से जुड़े आंकड़े को इकट्ठा करने में लगे थे। देर शाम तक उपलब्ध आंकड़े के अनुसार अकेले मार्च 2018 में यह लगभग 1300 करोड़ पर पहुंचने की उम्मीद है। वहीं मार्च 2017 में यह राशि 830 करोड़ रुपए थी।  देर शाम तक इस वर्ष मार्च में साउथ बिहार पावर होल्डिंग कंपनी का योगदान 850 करोड़ तथा नार्थ बिहार पावर होल्डिंग कंपनी का योगदान 450 करोड़ दर्ज हुआ।

पूरे वर्ष का राजस्व संग्रह 8000 करोड़ पर पहुंचा

बिजली कंपनी के आकलन के अनुसार शनिवार को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष राजस्व संग्रह 8000 करोड़ तक पहुंच गया है। फरवरी तक यह 6700 करोड़ रुपए था और मार्च में देर शाम तक 1300 करोड़ रुपए के राजस्व संग्रह की रिपोर्ट मिल चुकी थी। जबकि पूर्व के वित्तीय वर्ष में बिजली कंपनी का राजस्व 5800 करोड़ रुपए था। बिजली कंपनी ने इस राशि में सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को सब्सिडी मद में उपलब्ध कराए जाने वाली राशि नहीं जोड़ी है। यह राशि लगभग 3000 करोड़ रुपए है।

उपभोक्ताओं की संख्या 1.12 करोड़ तक पहुंची

बिजली कंपनी के राजस्व में अप्रत्याशित तौर पर राजस्व संग्रह में बड़े उछाल की वजह उपभोक्ताओं की बढ़ी संख्या को भी माना जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में उपभोक्ताओं की संख्या 1.12 करोड़ तक पहुंच गयी है। वहीं पूर्व के वित्तीय वर्ष में यह संख्या 85 लाख थी। इसके अतिरिक्त डोर स्टेप कलेक्शन और ऑन स्पॉट बिलिंग का भी फायदा हुआ है।


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