रक्षाबंधन पर डाकघरों ने तोड़ा बिक्री का रिकॉर्ड
रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्तों का सबसे बड़ा पर्व है
पटना। रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्तों का सबसे बड़ा पर्व है। भाई भले ही हजारों मील दूर रहे, लेकिन बहन अपने भाई को राखी भेजना नहीं भूलती। रक्षाबंधन को लेकर शहर के बड़े और छोटे डाकघरों में कोरोना संक्रमण को देखते एहतियात बरतने के साथ राखी की खरीदारी एवं पोस्ट करने के लिए अलग से काउंटर बनाए गए थे।
डाकघरों में रक्षाबंधन को लेकर विशेष तौर पर वाटरप्रूफ राखियां और खास तौर पर लिफाफे मंगाए गए। बिहार के चीफ पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने बताया कि कोरोना काल में भी रक्षाबंधन पर डाकघरों ने बीते साल का भी इस बार रिकॉर्ड तोड़ा है। बीते वर्ष पटना जिले में लगभग 28 हजार राखियों की बिक्री हुई थी तो इस बार कोरोना संक्रमण के बावजूद लगभग 40 हजार राखियों की बिक्री हुई है। राखियों को बाहर भेजने के लिए बुकिग का भी ग्राफ बढ़ा है। डाकघरों में राखियों को भेजने और खरीदने को लेकर अलग से काउंटर भी बनाए गए हैं। चीफ पोस्टमास्टर ने बताया कि डाकघरों में राखियों की कीमत सात रुपये से लेकर 10 रुपये तक है। इन्हें सुरक्षित भेजने के लिए वाटरप्रूफ लिफाफे का प्रयोग किया गया है। शहर के प्रमुख डाकघरों में रक्षाबंधन को लेकर डाकघरों के खुलने का समय सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक रखा गया था।
छुट्टी के दिनों में भी बांटी गई राखियां :
रक्षाबंधन को लेकर छुट्टी के दिन बकरीद और रविवार को भी डाकियों ने घर-घर जाकर राखियां पहुंचाई हैं। वही आरएमएस और पोस्टऑफिस में भी राखियों को छांटकर विभिन्न जगहों पर भेजने के लिए डाक और रेल कर्मी लगे रहे। चीफ पोस्टमास्टर ने बताया कि सिर्फ पटना शहर में 30 डाकघर और पटना जिले की बात करें तो 65 डाकघर हैं। डाकिया रक्षाबंधन के दिन भी अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए घरों तक राखियां पहुंचाएंगे।