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बड़े सपने लेकर आगे बढ़ रहे गुदड़ी के लाल

मंजिलें उनको मिलती हैं जिनके हौसले में जान होती है

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 01:17 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 01:17 AM (IST)
बड़े सपने लेकर आगे बढ़ रहे गुदड़ी के लाल
बड़े सपने लेकर आगे बढ़ रहे गुदड़ी के लाल

पटना। मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके हौसले में जान होती है। बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में अपने हौसले से उड़ान भरने वाले ऐसे ही गुदड़ी के लालों ने कमाल किया है। सुदूर गांव-गिरांव के इन होनहारों ने परिस्थितियों के आगे घुटने टेकने की बजाय उससे लड़कर अपना रास्ता बनाया। बिहार बोर्ड की ओर मैट्रिक का रिजल्ट मंगलवार को जारी किया गया। इसमें टॉप करने वाले ज्यादातर छात्र-छात्राओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद सामान्य है। बेहतर रिजल्ट लाने वाले इन टॉपरों के घर की अलग कहानी है। इनमें से किसी के पिता मजदूरी करते हैं तो किसी ने सब्जी बेचकर अपने लाडले को पढ़ाया है।

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रैंक - दो, नाम - दुर्गेश कुमार, स्कूल - एसके हाई स्कूल जितवारपुर, समस्तीपुर, अंक - 480

किसान का बेटा दुर्गेश बनना चाहता है इंजीनियर

जितवारपुर, समस्तीपुर का रहने वाला दुर्गेश इंजीनियर बनना चाहता है। उसके पिता जयकुमार सिंह गांव में खेती करते हैं। परिवार का भरण-पोषण खेती करके ही होता है। दुर्गेश अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को देता है। पिता उसे बड़ा अफसर बनाना चाहते हैं। दुर्गेश ने परीक्षा में बेहतर करने के लिए स्कूल के साथ ही कोचिग का भी सहारा लिया। रोजाना आठ से नौ घंटे नियमित रूप से सेल्फ स्टडी करता था। परीक्षा आरंभ होने के कुछ दिन पहले पाठों को दोहराना काम आया। खुद को ऊर्जावान बनाने के लिए पूर्व टॉपरों की बातें सुनने के साथ यूट्यूब पर मोटिवेशनल वीडियो देखता था। वह बताता है कि पिता के काम में हाथ बंटाने खेत पर भी जाता था, लेकिन पिता हमेशा पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कहते थे।

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रैंक - तीन, नाम - शुभम कुमार, स्कूल - श्री हरखेन कुमार जैन ज्ञान स्थली आरा, भोजपुर, अंक - 478

वायुसेना में भर्ती होकर देशसेवा करना चाहता है शुभम

आरा, भोजपुर के रहने वाले शुभम साइंस विषय से इंटर करने के बाद वायु सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता है। शुभम के पिता कृष्णा कुमार व्यवसायी हैं। वह बताता है कि पिता ने पढ़ाई को लेकर हर सुविधा उपलब्ध कराई। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को देना चाहता है। वह बताता है कि स्कूल में शिक्षकों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनने के साथ घर आकर नोट्स बनाता था। साथ ही कोचिग में भी पढ़ता था। घर पर रोजाना सात से आठ घंटे की पढ़ाई करता था। फौज में जाने को लेकर शुभम कहता है कि इसकी प्रेरणा पिता से मिली है। पिता का कहना है कि देशसेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं। गांव में कुछ लोग फौज में हैं उन्हें देखकर हौसला बढ़ता है। शुभम बताता है कि पहले के टॉपरों के संदेश प्रेरणा देते रहे।

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रैंक - चार, नाम - सानू कुमार, स्कूल - हाईस्कूल, अमरपुर, लखीसराय, अंक - 477

आइएएस बनकर देश की सेवा करना चाहता है सानू -

अमरपुर, लखीसराय का रहने वाला सानू इंटर में साइंस विषय लेने के साथ आगे चलकर सिविल सेवा में जाना चाहता है। सानू के पिता शंभु कुमार मजदूरी करते हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को देना चाहता है। परीक्षा में बेहतर अंक लाने के लिए सानू रोजाना आठ से नौ घंटे सेल्फ स्टडी करता था। वह बताता है कि जब पिता से कोचिग करने की बात कही तो थोड़ा चितित हुए, लेकिन बाद में इजाजत दे दी। वह बताता है कि घर की माली हालात ठीक नहीं होने के बावजूद पिता ने बच्चों के सपने को साकार करने के लिए हरसंभव प्रयास किए। सानू के पिता उसे आइएएस बनते देखना चाहते हैं। इसके लिए वह हर कीमत चुकाने को तैयार हैं। सानू के मुताबिक शिक्षकों के बताये रास्ते पर चलकर सफलता मिली है।

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रैंक - चार, नाम - नवनीत कुमार, स्कूल - पटेल हाई स्कूल, दाउदनगर, औरंगाबाद, अंक - 477

इंजीनियर बनना चाहता है नवनीत -

दाउदनगर का रहने वाला नवनीत इंटर में साइंस लेने के साथ आइआइटी पास कर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता है। उसके पिता नंदलाल सिंह ग्रामीण चिकित्सक हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को देता है। नवनीत बताता है कि परीक्षा की तैयारी को लेकर उसके पिता ने हर मोड़ पर मदद की। स्कूल में नियमित क्लास करने के साथ कोचिग ने सहायता की। नवनीत कहता है कि टाइम टेबल के हिसाब से रोजाना सात से आठ घंटे पढ़ाई करता था। वह बताता है कि जब कभी भी विषय को समझने को लेकर परेशानी होती थी, तो पिता सहयोग करते थे। साथ ही बड़ी दीदी ने भी भरपूर मदद की। अपने आप को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए मोटिवेशनल वीडियो देखते थे। परीक्षा आरंभ होने के पहले ही मोबाइल से नवनीत ने अपने आप को दूर रखा। शिक्षकों के मार्गदर्शन में नियमित रूप से अपनी पढ़ाई को जारी रखा।

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रैंक - चार, नाम - मुन्ना कुमार, स्कूल - अशोक हाई स्कूल दाउदनगर, औरंगाबाद, अंक - 477

चार भाइयों में अकेला मैट्रिक पास मजदूर का बेटा मुन्ना

औरंगाबाद का रहने वाला मुन्ना इंटर में कला विषय में पढ़ाई करने के साथ प्रशासनिक सेवा में जाकर देश की सेवा करना चाहता है। मुन्ना के पिता गोपाल प्रसाद यूपी में मजदूरी करते हैं। उनके साथ हाथ बंटाने में बड़ा भाई भी सहयोग करता है। मुन्ना अपनी सफलता का श्रेय भाई-पिता के अलावा शिक्षक को देता है। स्कूल में पढ़ाई करने के बाद जब अलग से कोचिग के लिए बात आई तो भाई और पिता ने खूब मदद की। मुन्ना घर पर रोजाना सात से आठ घंटा पढ़ाई करता था। मुन्ना बताता है कि चार भाइयों में वह सबसे छोटा है। बाकी भाई सभी पांचवीं तक पढ़ाई किये हैं। उसकी मां नगवा देवी भी गांव में मजदूरी करती हैं। मुन्ना की मानें तो अगर मेहनत से कोई भी काम किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। मुन्ना के स्वजन उसे आइएएस बनाने का सपना देखते हैं और इसके लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने को तैयार हैं। मुन्ना ने कहा कि पिता के सपने को पूरा करने में जी-तोड़ मेहनत करेगा।

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रैंक - तीन, नाम - जूली कुमारी, स्कूल - बालिका हाई स्कूल, अरवल, अंक - 478

पढ़-लिखकर इंजीनियर बनना चाहती है जूली

अरवल जिले की रहने वाली जूली का सपना इंजीनियर बनने का है। जूली के पिता मनोज कुमार सिन्हा अरवल जिले के बैदराबाद में शिक्षक हैं। जूली अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देती है। जूली कहती है कि जिस घर का पिता शिक्षक हो तो उस बच्चे के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है। चार बहनों में सबसे छोटी जूली ने कहा कि स्कूल में पढ़ाई करने के साथ पिता का सहयोग हर मोड़ पर मिलता रहा है। जूली बताती है कि पिता की इच्छा उसे इंजीनियर बनाने की है। उनके सपने को साकार करने में जी-तोड़ मेहनत कर सफलता अíजत करूंगी। जूली ने कहा कि घर पर पिता द्वारा बताए गए निर्देश का पालन करने के साथ परीक्षा के कुछ दिन पहले से ही मोबाइल और टीवी से अपने आप को दूर रखी। बनाए गए नोट्स को बार-बार अध्ययन करने के साथ रोजाना छह से आठ घंटे पढ़ाई करती रही। इसी बीच शरीर को दिमाग को थोड़ा आराम देने के लिए घर के काम में भी मां का हाथ बंटाती रही।


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