Move to Jagran APP

पलटकर देखेंगे तो ऐसी नजर आती है बिहार में 2018 की राजनीतिक तस्वीर

साल 2018 न केवल सियासी समीकरणों के उलटफेर के लिए याद किया जाएगा, बल्कि यह साल राजनीतिक दोस्ती के परिवारिक संबंध बनने और उसके टूटने की कवायद के रूप में भी याद किया जाएगा।

By Digpal SinghEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 09:32 AM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 11:27 AM (IST)
पलटकर देखेंगे तो ऐसी नजर आती है बिहार में 2018 की राजनीतिक तस्वीर
पलटकर देखेंगे तो ऐसी नजर आती है बिहार में 2018 की राजनीतिक तस्वीर

पटना, आइएएनएस। बिहार में साल 2018 राजनीतिक उठाक-पटक के रूप में याद किया जाएगा। साल के शुरुआत से नए सियासी समीकरण बनने-बिगड़ने का खेल साल के अंत तक जारी रहा। इस कारण पुराने सियासी दोस्त दुश्मन बन गए, जबकि कई सियासी दुश्मन गलबहिया देते नजर आ रहे हैं। ऐसे में 2018 के सियासी समीकरणों ने देश में भी सुर्खियां बटोरीं।

loksabha election banner

साल 2018 न केवल सियासी समीकरणों के उलटफेर के लिए याद किया जाएगा, बल्कि इस एक साल में राजनीतिक दोस्ती के परिवारिक संबंध बनने और उसके टूटने की कवायद के रूप में भी याद किया जाएगा।

इस वर्ष की शुरुआत में ही बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को झटका देते हुए हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया। वे राजद और कांग्रेस के गठबंधन में शामिल हो गए हैं।

मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराजगी के बाद खुद अपनी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बना ली थी और एनडीए के साथ हो लिए थे। गौर से देखा जाए तो बिहार में यह एक साल एनडीए के लिए शुभ साबित नहीं हुआ। बिहार में ऐसे तो एनडीए की सरकार चलती रही, मगर दोस्त उन्हें छोड़ते रहे।

साल की शुरुआत में अगर मांझी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नीत महागठबंधन के साथ हो लिए तो साल का अंत होने से पहले एनडीए के साथ लंबा सफर तय किए केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी एनडीए से बाहर होने की घोषणा कर दी। कुशवाहा ने न केवल केंद्रीय मंत्री के पद इस्तीफा दे दिया, बल्कि एनडीए के विरोधी खेमे महागठबंधन में शामिल होने की घोषणा कर दी।

कुशवाहा पहले से ही लोकसभा सीट बंटवारे को लेकर तरजीह नहीं दिए जाने से नाराज चल रहे थे, लेकिन उन्होंने एनडीए में सम्मान नहीं दिए जाने का आरोप लागते हुए सत्तारूढ गठबंधन का साथ छोड़ दिया।

वैसे, नीतीश कुमार की जेडीयू को एनडीए में शामिल होने के बाद से ही कुशवाहा एनडीए में असहज महसूस कर रहे थे। ऐसे में भाजपा द्वारा जेडीयू के साथ सीट बंटवारे की चर्चा करना रालोसपा को रास नहीं आया और कुशवाहा ने एनडीए से अलग राह पकड़ ली।

साल के अंत में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाने वाले और पिछले लोकसभा चुनाव में राजग का साथ देने वाले मुकेश सहनी ने भी महागठबंधन में जाने की घोषणा कर एनडीए को झटका दे दिया। 'सन ऑफ मल्लाह' के नाम से चर्चित मुकेश सहनी को प्रारंभ से ही भाजपा के साथ माना जा रहा था, मगर साल के अंत में इस सियासी घटना को बिहार की राजनीति में बड़ा उल्टफेर माना जा रहा है।

वैसे, इस साल बिहार की सुर्खियों में पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के पुत्र और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव की शादी भी रही। इस शादी के बाद बिहार के दो राजनीतिक परिवारों के बीच पारिवारिक संबंध बन गए।

इसी बीच शादी के कुछ ही दिनों के बाद तेजप्रताप ने पटना की एक अदालत में तलाक की अर्जी देकर राजद विधायक चंद्रिका राय की पुत्री ऐश्वर्या पर कई आरोप लगा दिए। बहरहाल, अभी यह मामला अदालत में चल रहा है, मगर यह मामला देश में सुर्खियां बना।

बहरहाल, इस एक साल में बिहार की राजनीति में बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच, अब सभी की नजर नए साल पर हैं, जहां कौन समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.