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मिशन 2019: लोकसभा चुनाव के पहले कौन किधर पाला बदलेगा, मंथन जारी

मिशन 2019 को लेकर बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियां सीटों के गुणा-भाग को लेकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं। इसमें ये देखना होगा कि कौन सी पार्टी किधर का रूख करती है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 10:45 AM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 04:50 PM (IST)
मिशन 2019: लोकसभा चुनाव के पहले कौन किधर पाला बदलेगा, मंथन जारी
मिशन 2019: लोकसभा चुनाव के पहले कौन किधर पाला बदलेगा, मंथन जारी

पटना [सुभाष पांडेय]। अब लगभग तय हो गया है कि राज्य में 12 साल से अधिक से सत्ता की बागडोर संभालते आ रहे जदयू लोकसभा का अगला चुनाव एनडीए से तालमेल करके ही लड़ेगा, लेकिन कांग्रेस की उम्मीदें अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। वहीं, कुछ छोटे-छोटे अन्य दल भी चुनाव से पहले पाला बदलने की तैयारी में हैं। 

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राजनीतिक गलियारे में माना जा रहा है कि पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पटना दौरे के बाद जदयू को लेकर चल रही कयासबाजी पर पूरी तरह से विराम लग गया है, लेकिन पिछले दिनों दिल्ली के जंतर मंतर पर राजद के धरना में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान के तेवर से लोगों का संदेह बढ़ गया है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के कुछ बड़े नेता जदयू नेताओं के अभी भी संपर्क में हैं।

कांग्रेस को उम्मीद है कि एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर विवाद होना तय है। विधानसभा में जदयू के संख्या बल के मुताबिक लोकसभा की सीटें दे पाना भाजपा नेतृत्व के लिए संभव नहीं होगा। ऐसे में जदयू एनडीए पाले से बाहर भी आ सकता है।

वैसे भी अमित शाह के दौरे के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि सीटों का बंटवारा एक महीने में तय हो जाएगा। शाह को गए एक महीने हो भी गए। पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस में जब मुख्यमंत्री से इस संबंध में सवाल किया गया तो वे केवल मुस्करा कर रह गए। 

एनडीए के एक सहयोगी रालोसपा से अलग होकर जहानाबाद सांसद अरूण कुमार ने अलग पार्टी बना ली है। दोनों के बीच दूरी इतनी बढ़ गयी है कि दोनों का अब एक गठबंधन में रहना संभव नहीं हैं।

रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अगर एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो अरूण कुमार कांग्रेस के प्रस्तावित महागठबंधन से मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। मुजफ्फरपुर कांड पर नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग कर उन्होंने इसके संकेत भी दे दिए हैं।

जहां तक लोजपा का सवाल है तो वह भी पूरी तरह एकजुट नहीं है। पार्टी के दो सांसद चौधरी महबूब अली कैसर और रामा सिंह पहले से ही पार्टी की मुख्यधारा से अलग हो गए हैं। मुंगेर सीट पर जदयू की संभावित दावेदारी को लेकर सांसद वीणा देवी के तेवर पहले से ही गरम है। 

उधर महागठबंधन में भी सब कुछ ठीक नहीं है। शरद यादव और उनके साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और अर्जुन राय जैसे लोगों का राजद से सीटों का तालमेल आसान नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी कब क्या करेंगे कहां नहीं जा सकता।


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