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मकर संक्रांति भोज में पांच साल बाद मिले BJP व JDU, इस कारण चर्चा में अशोक चौधरी

मकर संक्रांति पर बिहार में सत्‍ताधारी राजनेताओं के दही-चूड़ा भोज हुए। उधर, महागठबंधन में सन्‍नाटा रहा। भोज में विपक्ष की अनुपस्थिति के बीच अशोक चौधरी का पहुंचना चर्चा में रहा।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 14 Jan 2018 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 09:51 PM (IST)
मकर संक्रांति भोज में पांच साल बाद मिले BJP व JDU, इस कारण चर्चा में अशोक चौधरी

पटना [जागरण टीम]। मकर संक्रांति के अवसर पर बिहार में राजनीतिक दलों के चूड़ा-दही भोज में सियासी तड़का देखने को मिल रहा है। राजग के घटक दलों के नेता भोज का आयोजन कर रहे हैं तो विपक्षी महागठबंधन में सन्‍नाटा पसरा है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के घर मकर संक्रांति की चहल-पहल नहीं दिखी। खास बात यह कि एक-दूसरे के भोज में जदयू व भाजपा के नेता पांच साल बाद शामिल हुए। जदयू प्रदेश अध्‍यक्ष वशिष्‍ठ नारायण सिंह के भोज में राजद और कांग्रेस के नेताओं को नहीं देखा गया। हालांकि, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष अशोक चौधरी शामिल हुए।

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इस भोज में बीते साल के भोज की भी चर्चा रही। उस भोज में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को दही का टीका लगाकर 'राजतिलक' लगाने की घोषणा की थी। लेकिन, आज के बदले हालात में लालू-नीतीश की राहें जुदा हैं। उधर, बिहार में पांच साल बाद जदयू व भाजपा के नेता एक-दूसरे के भोज में शामिल हुए। इससे पहले बिहार में राजग की सरकार के दौरान 2013 के भोज में वे शामिल हुए थे।
उधर, लालू जेल में हैं और विपक्ष को जदयू ने अपने भोज से अलग रखा है। हालांकि, विपक्ष के प्रमुख चेहरा कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष अशोक चौधरी भोज में शामिल रहे। चौधरी ने कहा कि उनका वशिष्‍ठ नारायण सिंह से व्‍यक्तिगत संबंध है, इसलिए इसे राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। भोज में शामिल राजग नेताओं ने भोज में दलीय भेदभाव से इन्‍कार किया।

सत्‍ताधारी राजग (एनडीए) के नेताओं की ओर से दिए भोज में भारी संख्‍या में नेता व कार्यकर्ता तथा आम व खास लोग जुटे। जदयू की ओर से प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर आयोजित चूड़ा-दही भोज में 15 हजार लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है।

वशिष्ठ नारायण सिंह  के आवास पर आयोजित भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्‍पीकर विजय चौधरी, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय सहित तमाम एनडीए नेता शामिल हुए। लेकिन, सियासी चर्चा में रहे कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष अशोक चौधरी। उन्‍होंने बताया कि वे वशिष्‍ठ नारायण सिंह से व्‍यक्तिगत संबंधों के कारण भोज में शामिल हुए। चौधरी ने कहा कि इसका कोई सियासी मतलब नहीं है।

जदयू के भोज के लिए भागलपुर का कतरनी तथा पश्चिमी चंपारण से मर्चा चूड़ा, गया से तिलकुट मंगाए गए। इनके साथ भूरा-चीनी तथा आलू-गोभी-मटर का मिक्स वेज की व्‍यवस्‍था रही। दही ग्रामीण इलाकों के साथ सुधा डेयरी से आई।

मुख्यमंत्री वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर आयोजित भोज में शामिल होकर लोजपा कार्यालय गए। वहां लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने पहली बार मकर संक्रांति भोज का आयोजन किया। भाजपा एमएलसी रजनीश कुमार के आवास पर भी मकर-संक्रांति के भोज में नेताओं का जुटान हुआ। उधर, रालोसपा की ओर से 15 जनवरी को पार्टी कार्यालय में भोज का आयोजन किया गया है।

इधर, राजद में इस साल मकर संक्रांति पर कोई आयोजन नहीं किया गया। राजद के वरिष्ठ नेता भोला यादव ने कहा कि लालू प्रसाद की बहन गंगोत्री देवी के पिछले दिनों हुए निधन के कारण इस बार राजद कार्यालय और लालू प्रसाद के आवास पर भोज का आयोजन नहीं हो रहा है। हां, राजद कार्यकतर्ाा व समर्थक लालू प्रसाद यादव के लिए दही-चूड़ा व तिलकुट आदि लेकर रांची जेल जरूर पहुंचे, जहां वे बंद हैं।


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