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किराए पर बैंक खाता लेकर की 84 लाख की ठगी, पोल खुली ताे पुलिस भी हुई हैरान

बिहार पुलिस ने साइबर क्राइम के बड़े अंतरराष्‍ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। ठगी के उनके गोरखधंधे को जानने के बाद पुलिस भी हैरान रह गई। पूरा मामला जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 08:56 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 11:27 PM (IST)
किराए पर बैंक खाता लेकर की 84 लाख की ठगी, पोल खुली ताे पुलिस भी हुई हैरान

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में ईओयू दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर पटना ले आई है। दोनों को यहां अदालत में पेश करने के बाद बेउर जेल भेज दिया गया है।

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इस गिरोह का पर्दाफाश तब हुआ जब उन्‍होंने पटना की एक महिला से कई बैंक खातों में 84 लाख रुपये मंगवाए। खास बात यह कि शातिर अपराधियों ने ये बैंक खाते अपने नाम पर नहीं खोले थे, बल्कि किराए पर ले रखे थे। उनके ठगी के गोरखधंधे के संचालन का जब राज खुला तो पुलिस भी हैरान रह गई।

18 बैंक खातों में मंगाए 84.56 लाख

बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया है। इसमें अगस्टिन ओडिक्को (34) नाइजीरिया का जबकि दूसरा लालडिस्टक मणिपुर का रहने वाला है। दोनों अपराधियों ने पटना के पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र में रहने वाले एक अपर सचिव की पत्नी से 84 लाख, 56 हजार, 645 रुपये की ऑनलाइन ठगी की थी। ठगी की राशि 18 अलग-अलग खातों में मंगाई गई थी।

ठगी के लिए किराए पर लेते थे बैंक खाते

ये खाते किराये पर लिए जाते थे। इसके बदले खाताधारक को एक निश्चित राशि दी जाती थी। पुलिस उन सभी खाताधारकों की तलाश कर रही है, जिनके एकाउंट में ठगी के पैसे मंगाए गए थे। वह करोड़ों के गिफ्ट लाखों रुपये में देने का लालच दे रहा था। कभी टैक्स तो कभी प्रोसेसिंग फी के नाम पर पैसे मंगाता रहा।

बिना वीजा रह रहा था नाइजीरियन

ईओयू के अपर पुलिस महानिदेशक जेएस गंगवार ने बताया कि दोनों साइबर अपराधियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद ईओयू उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर पटना ले आई है। दोनों को यहां अदालत में पेश करने के बाद बेउर जेल भेज दिया गया है।

नाइजीरियन अपराधी बिना वीजा के ही चार साल से भारत में रह रहा था। वह एक महीने के मेडिकल वीजा पर नवंबर, 2014 में भारत आया था और इसके बाद यही रह गया।

चार महीने तक चला ठगी का खेल

ठगी गई महिला ने पाटलिपुत्र थाने में विगत 27 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। ठगी की शिकार महिला से इन दोनों साइबर अपराधियों ने एक-दो बार नहीं बल्कि 12 मर्तबा कभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में तो कभी निजी बैंकों में 84.56 लाख रुपये अपने 18 खातों में जमा करवाए थे। दोनों ने इस महिला से लगातार चार महीने तक ठगी का खेल खेला।

कोलकाता-दिल्ली गई थी जांच के लिए बनी टीम

अनुसंधान के लिए दो अलग-अलग टीमों का गठन कर एक टीम को कोलकाता तथा दूसरी को दिल्ली भेजा गया। जबकि बिहार पुलिस की साइबर क्राइम सेल के अन्य पदाधिकारी इन दोनों टीमों को पटना से तकनीकी सहयोग देते रहे।

दिल्ली गई टीम ने मुनिरका इलाके से मणिपुर के रहने वाले युवक लालडिस्टक को संदिग्ध मोबाइल फोन, आधारकार्ड, पैनकार्ड और वोटर आइडी के साथ धर-दबोचा। लालडिस्टक के बैंक खाते में उस महिला के पैसे ट्रांसफर हुए थे। जब लालडिस्टक से सख्ती से पूछताछ की गई तो साइबर ठगी के इस मामले की कडिय़ां आपस में जुडऩे लगीं।

फिर साइबर क्राइम की टीम ने अगस्टिन ओडिक्का को उत्तमनगर में एक स्वर्णाभूषण की दुकान से तब दबोच लिया जब वह धोखाधड़ी के पैसे से सोने के गहनों की खरीद कर रहा था। उसके पास से साइबर क्राइम टीम ने नाइजीरिया का एक पासपोर्ट, चार मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक एटीएम कार्ड, बैंक ट्रांजेक्शन से संबंधित डिटेल आदि बरामद किए।

पुरस्कृत होंगे पुलिस पदाधिकारी व कर्मी

यह बिहार पुलिस के लिए साइबर क्राइम की किसी बड़ी वारदात के उद्भेदन का पहला मामला है। इस टीम में शामिल सभी पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा। इस टीम में पुलिस निरीक्षक मदन प्रसाद सिंह, अवर पुलिस निरीक्षक सत्येंद्र प्रसाद, अवधेश कुमार, सिपाही सनातन कुमार, जगदीश प्रसाद सेन व महिला सिपाही कुमारी इंदु सिन्हा शामिल थी।


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