समाज पर अपना प्रभाव डालती है कविता
महिलाओं को परिवार और समाज का साथ जरूरी है
पटना। महिलाओं को परिवार और समाज का साथ जरूरी है। परिवार का साथ मिलने के बाद ही महिलाएं अपने अंदर छिपी सृजनशीलता को बाहर निकालती हैं। अगर लोगों का साथ नहीं मिला तो भी सृजन कार्य भी किसी बहाने अधूरा रहा जाता है। ये बातें सोमवार को प्रभा खेतान फाउंडेशन एवं मसि इंक की ओर से 'आखर बिहार' कार्यक्रम के तहत फेसबुक लाइव होते हुए लेखिका शारदा झा ने कहीं। कार्यक्रम का प्रस्तुतिकर्ता श्री सीमेंट रहा। लेखिका से बातचीत युवा साहित्यकार गुंजन श्री ने की। कार्यक्रम का संचालन आखर की आराधना प्रधान ने किया। मधुबनी की रहने वाली हैदराबाद में अंग्रेजी की शिक्षिका शारदा झा ने मैथिली साहित्य पर चर्चा के दौरान कहा कि हर साहित्यकार सामाजिक व्यक्ति होता है। समाज में होने वाले बदलाव को नजदीक से देखता है और उसे शब्दों में उतारता है। किसी प्रकार का लेखन विचार से ही उत्पन्न होता है। जिसे कथा, कविता के जरिए समाज में व्यक्त किया जाता है। कहा कि मैथिली कविता पर अच्छा काम हो रहा है। नये रचनाकार भी इस दिशा में काम करने में लगे हैं। कविता आसान चीज नहीं। अंदर से निकलने वाली बातें समाज पर प्रभाव डालती हैं। बहुत कम शब्दों में कविता समाज पर प्रभाव डालती है। कविता लिखने के लिए पढ़ने की जरूरत है। आज बहुत से कवि कुछ भी लिख कर उसे सोशल मीडिया पर साझा करते हैं। पाठक को जो सही लगता है उसे ही ग्रहण करता है। लोगों को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। फेसबुक कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री उषा किरण खान, लेखिका भावना शेखर, फिल्मकार अभिनाश दास आदि ने सराहना की।