पटना HC के शताब्दी समारोह में बोले PM, व्यवस्थाओंं को प्राणवान करना चुनौती
बिहार दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि व्यवस्थाओं को प्राणवान करना सबसे बड़ी चुनौती है। पुराने अनुभव इस चुनौती से निपटने में मददगार साबित होंगे। वे पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में बोल रहे थे।
पटना। बिहार दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि व्यवस्थाओं को प्राणवान करना सबसे बड़ी चुनौती है। पुराने अनुभव इस चुनौती से निपटने में मददगार साबित होंगे। वे पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने हाईकोर्ट के प्रांगण में शताब्दी तोरण स्तंभ का अनावरण भी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गत शताब्दी में पटना हाईकोर्ट ने जिन ऊंचाइयों को प्राप्त किया, जिन परंपराओं को कायम किया, उससे लोगों में विश्वास जगा है। शताब्दी समारोह का समापन नई सदी की जिम्मेदारियों का आरंभ है। पिछली पीढ़ी को तकनीक का साथ नहीं मिला था, लेकिन अब हम आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर मुकदमों की संख्या कम कर सकते हैं।
न्याय व्यवस्था में डिजिटल सिस्टम को इंजेक्ट करने की आवश्यकता है। हम अपनी बेंचों को जितना ज्यादा आधुनिक तकनीक से लैस कर करेंगे, इस लक्ष्य को हासिल करने में उतनी ही आसानी होगी। उन्होंने कहा कि वे आशा करेंगे कि बार और बेंच नए मानदंड स्थापित करें।
समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर, राज्यपाल रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पटना हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी के अलावा कलकत्ता हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजूला चिंदूर, छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायाधीश नवीन सिन्हा, झारखंड के मुख्य न्यायाधीश विनोद सिंह और केंद्रीय विधि मंत्री डीबी सदानंद गौड़ा आदि मौजूद थे।
बार के माध्यम से चले आंदोलन
स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री कहा कि देश एवं समाज को जोड़े रखने के लिए आंदोलन समय की मांग है। अगर ऐसा आंदोलन बार के माध्यम से भी चले तो क्या बात है। बार मेंबरों ने अंग्रेजों के सामने बुद्धि का इस्तेमाल कर आजादी की लड़ाई लड़ी। इस दिशा में वकीलों ने उदाहरण पेश किया। उसके बाद भी जब-जब भारत में संकट आया, ज्यादातर बार ने ही आवाज उठाई है।
बुलेटिन निकालने का सुझाव
प्रधानमंत्री ने पटना हाईकोर्ट को हर वर्ष एक बुलेटिन भी निकालने का सुझाव दिया। कहा कि इससे पता चलेगा कि कौन सा केस 50 साल या 40 साल पुराना है। इससे न्याय व्यवस्था से जुड़े लोगों में विमर्श की शुरुआत होगी। लंबित मामलों की चिंता से बाहर निकलने का वातावरण बनेगा, जो हमें परिणामलक्षी काम के लिए प्रेरित करेगा।
मूल्यों का वैश्विक विस्तार
बकौल मोदी, भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां इतनी विविधिताएं हैं कोशिश होनी चाहिए कि दूरियां पैदा ही न हों। एक घटना ने मुझे बहुत प्रभावित किया। पिछले दिनों यूके प्रवास पर था। वहां के पीएम ने वहां के बार की एक सनद भेंट की। कहा, भारत की आजादी की लड़ाई में सशस्त्र क्रांति में विश्वास रखने वालों में एक श्याम जी कृष्ण वर्मा थे। 1930 में उनका स्वर्गवास हुआ। मदन लाल धींगड़ा समेत कई क्रांतिकारियों के वे गुरु थे।
आजादी की लड़ाई में उनकी भूमिका को देखते हुए बार ने उनकी सनद को वापस ले लिया था। जब मैं लंदन गया तो लगभग सौ साल बाद उस सनद को सम्मानपूर्वक उन्होंने लौटाया। यह है न्याय व्यवस्था से जुड़े लोगों का न्याय में विश्वास और यही है हमारे यहां मूल्यों के विषय में सोच का वैश्विक विस्तार।
आकांक्षाओं को पूरा करना असल चुनौती : जस्टिस ठाकुर
पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह के समापन के अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना हमारी असल चुनौती है। हम केवल गौरवशाली इतिहास पर ही निर्भर न रहें, बल्कि इस परंपरा को आगे बढ़ाने की चुनौतियों का भी मुकाबला करने योग्य बनें। हमें भविष्य की चुनौतियों को समझना होगा। देश में शिक्षा का विस्तार हुआ है, संपन्नता आई है, जागरुकता बढ़ी है। ऐसे में न्याय के प्रति ललक बढऩा सामान्य बात है। न्याय प्रणाली के प्रति लोगों की आकांक्षा बढ़ी है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालयों में बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई है। रिक्तियों की अधिक संख्या देख केंद्र सरकार ने पुरानी व्यवस्था के माध्यम से ही बहाली जारी रखने का अनुरोध किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया। पिछले दो महीने में हमने उच्च न्यायालयों के लिए 150 जजों की बहाली की औपचारिकता पूरी कर दी है। इसमें से 90 को 'वारंट ऑफ अपाएंटमेंट' जारी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा, करीब 900 की जगह अभी 468 जजों से ही काम चल रहा है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि नियुक्ति के प्रस्ताव आएंगे तो उन पर छह हफ्ते के भीतर ही निर्णय ले लिया जाएगा। प्रशासनिक स्तर पर इन कार्यों में विलंब होता है। प्रधानमंत्री से आग्रह है कि इन मामलों में व्यक्तिगत रुचि लेकर हस्तक्षेप करें।
हर किसी के लिए उपलब्ध हाे 'एक्सेस टू जस्टिस' : नीतीश
इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि न्याय प्रणाली को मजबूत करना केंद्र और राज्य दोनों का दायित्व है। हम लोग लोकतंत्र की मजबूती के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसलिए भी हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम न्याय प्रणाली को मजबूत बनाए रखें। लोकतंत्र की मजबूती में स्वतंत्र न्यायपालिका की बड़ी भूमिका होती है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का मूल है कि हर किसी को न्याय मिले। 'एक्सेस टू जस्टिस' हर किसी के लिए उपलब्ध होना चाहिए। लोग शिक्षित हुए हैं। नए कानून बन रहे हैं। मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस स्थिति में न्यायालयों का विस्तार जरूरी है। जज और न्यायिक पदाधिकारियों की संख्या में वृद्धि जरूरी है। नए पदों के सृजन से लेकर अन्य सुविधाओं तक जो भी जरूरत होगी, उसे पूरा करना हमारा दायित्व है। नीतीश कुमार ने कहा, मैं केंद्रीय विधि मंत्री सदानंद गौड़ा से आग्रह करता हूं कि अगर समय पर राशि निर्गत हो तो बेहतर परिणाम आएंगे। इसके पहले उन्होंने कार्यक्रम में शामिल प्रधानमंत्री व मुख्य न्यायाधीश का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इसी हाईकोर्ट में देशरत्न राजेंद्र बाबू ने प्रैक्टिस किया था। यहां के न्याय निर्णय की काफी अहमियत रही है। यहां एक से एक विद्वान अधिवक्ता काम करते रहे हैं।
हाईकोर्ट में बढ़े जजों की संख्या : जस्टिस अंसारी
पटना हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने कहा कि आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए न्यायपालिका कृतसंकल्प है। पटना हाईकोर्ट में 53 जजों के स्थान पर सिर्फ मात्र 28 जज हैं। जजों के अभाव में लंबित मामलों का निपटारा नहीं हो पा रहा है। यदि यहां जजों की संख्या बढ़ जाए तो लंबित मामलों के निपटारे में बड़ी मदद मिलेगी।
सरकार का सिद्धांत 'मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस' : विधि मंत्री
केंद्रीय विधि मंत्री डीबी सदानंद गौड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि उच्च न्यायालयों में हाल के दिनों में लंबित मुकदमों की संख्या घटी है। ऐसा निचली अदालतों में भी होना चाहिए। इसमें आइटी बहुत मददगार साबित हो सकती है। मुकदमों के लंबित रहने का आम आदमी पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
उन्होंने कहा, मुकदमों की संख्या कम करना हमारी प्राथमिकता है। समयबद्ध तरीके से काम करने की आवश्यकता है। हमने अप्रासंगिक हो चुके कुछ कानून को खत्म किया है, वहीं कई नए कानून बनाए हैं। सरकार 'मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस' के सिद्धांत पर काम कर रही है।
मंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के तहत न्याय प्रक्षेत्र के लिए 9,775 करोड़ आवंटित किए गए हैं। इसमें से बिहार को पांच सालों में 662 करोड़ मिलेंगे। इस राशि से बिहार में न्याय प्रणाली का डिजिटाइजेशन सहित अन्य कार्य होंगे।