नहीं काम आई प्लाज्मा थेरेपी, पीएमसीएच के डॉक्टर की मौत
प्लाज्मा थेरेपी के बाद भी मंगलवार को पीएमसीएच के ईएनटी विभाग के डॉक्टर की कोरोना से मौत हो गई।
दूसरे डॉक्टर की गई जान
- एम्स पटना में सात दिन से थे वेंटिलेटर पर, आशंकितों के सैंपल कलेक्शन करने वाले ईएनटी के जूनियर डॉक्टरों से होता था संपर्क
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जागरण संवाददाता, पटना : पीएमसीएच ईएनटी विभाग के सर्जन डॉ. एनके सिंह की मौत मंगलवार सुबह एम्स पटना में कोरोना संक्रमण के कारण हो गई। वे करीब 68 वर्ष के थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें आठ दिन पूर्व एम्स में भर्ती कराया गया था। चिकित्सक उन्हें लगातार वेंटिलेटर पर रखे थे। उनकी जान बचाने के लिए चार दिन पूर्व कोरोना को हरा चुके युवक का प्लाज्मा भी उन्हें चढ़ाया गया था। डॉ. एनके के निधन की सूचना मिलते ही पीएमसीएच परिसर में शोक की लहर दौड़ गई।
बता दें कि सोमवार को एम्स में ही गया के निजी डॉक्टर अश्विनी नंदकुलियार की भी कोरोना से मौत हो गई है। हालांकि, यहां भर्ती एनएमसीएच के एक युवा डॉक्टर की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। एम्स पटना के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि डॉ. एनके सिंह की हालत लगातार गंभीर बनी हुई थी।
पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी और अधीक्षक डॉ. बिमल कारक ने बताया कि डॉ. चौधरी एक वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो गए थे। छह माह पूर्व ही उन्होंने संविदा पर दोबारा योगदान दिया था। अन्य डॉक्टरों का कहना है कि विगत तीन माह से ईएनटी विभाग के ही जूनियर डॉक्टर सैंपल कलेक्शन कर रहे थे। एक विभाग का होने के कारण डॉ. एनके सिंह उनके संपर्क में आते रहते थे। भूतनाथ रोड में है डॉ. एनके सिंह का नर्सिग होम
पीएमसीएच के डॉक्टरों के अनुसार भूतनाथ रोड में डॉ. एनके सिंह का नर्सिग होम है। कोरोना काल में वे लगातार वहां इलाज कर रहे थे। आख, ईएनटी और दंत चिकित्सकों को एक्सपोजर का सबसे ज्यादा खतरा होता है। ऐसे में वह इलाज के क्रम में ही किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आए होंगे।
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इनसेट :
पटना के एक और डॉक्टर गंभीर, मांगा गया प्लाज्मा डोनर
जासं, पटना : कोरोना संक्रमित राजधानी के जनरल फिजिशियन डॉ. एके गौर की एम्स पटना में हालत गंभीर बनी हुई है। चिकित्सक अंतिम विकल्प के रूप में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने स्वजनों से कोरोना विजेता के प्लाज्मा का इंतजाम करने को कहा है। मखनिया कुआं में पॉली क्लीनिक चलाने वाले डॉ. एके गौर आज भी रियायती दर पर गरीब मरीजों का उपचार करते हैं।