भौतिक वस्तुओं से नहीं मिलता वास्तविक सुख
वैदिक मंत्रों का उच्चारण ब्राह्माणों द्वारा परिसर में हो रहा था।
वैदिक मंत्रों का उच्चारण ब्राह्माणों द्वारा परिसर में हो रहा था। गेरुआ वस्त्र धारण किए पंडित मंत्रों के द्वारा पूरे परिसर को भक्ति के रंग में रंगने में लगे थे। हवन कुंड के बीच दुर्गा सप्तशती पाठ की प्रस्तुति देखते बन रही थी। ये नजारा बुद्ध मार्ग स्थित सत्यनारायण ट्रस्ट परिसर में देखने को मिला। मौका था स्वामी पशुपतिनाथ बाबा के 109वें जन्मोत्सव पर श्रीसहस्त्रचंडी महायज्ञ समिति द्वारा पूजन व सत्संग के आयोजन का।
10 दिवसीय यज्ञ के दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ के संग सत्यनारायण ट्रस्ट परिसर में मानस धुरंधर पंडित भगवानदास महाराज एवं कथा मर्मज्ञ पंडित कुशेश्वर चौधरी ने यज्ञ के दूसरे दिन भागवत कथा पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा मर्मज्ञ ने यज्ञ से लाभ एवं यज्ञ के उद्देश्य के विषयों में प्रकाश डाल कर श्रोताओं का ज्ञानवर्द्धन किया। मानस धुरंधर पंडित भगवान दास महाराज एवं यज्ञाचार्य पंडित नरेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि यज्ञ करने से वर्षा होती है। और वर्षा से अन्न की उत्पत्ति होती है और अन्न से प्राणियों की उत्पत्ति होती है। यज्ञ करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों फल प्राप्त होता है। यज्ञ करने से आसपास के वातावरण और सृष्टि का संतुलन का प्रभाव बना रहता है। ऐसे में लोगों को अधिक से अधिक यज्ञ की महत्ता पर बल देने की जरूरत है।
भगवान दास महाराज ने कहा कि भौतिक वस्तुओं से वास्तविक सुख की प्राप्ति नहीं होती। केवल सुख-सुविधाओं की पूर्ति होती है। वास्तविक सुख की प्राप्ति के लिए लोगों को संत और सत्संग के सानिध्य में आने की जरूरत है। संत और सत्संग के सानिध्य में लोगों को आत्मबोध की प्राप्ति होने के साथ-साथ यश और कीर्ति में वृद्धि होती है। महाराज ने कहा कि जिस प्रकार इंसान दिन रात काम करके थक हार के गहरी नींद में सोता है। उस समय वो सांसारिक चीजों से दूर होता है। ठीक उसी प्रकार भागवत कथा के श्रवण और सत्संग का आश्रय पाने वाले लोग भी सांसारिक वस्तुओं से दूर होकर आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। कथा के दौरान यज्ञ के संचालन कर्ता कौशल किशोर मणि त्रिपाठी, मैनेजर शुक्ल, उपेंद्र कुमार सिंह, ऋषिकेश पाठक, सुधाकर सिंह, दया पांडेय, अशोक सिंह, ज्वाला सिंह, विजय सिंह आदि मौजूद थे। यज्ञ के संचालन में संत पशुपतिनाथ वेद विद्यालय के आचार्य पंडित अक्षय तिवारी एवं अजीत तिवारी सहित बटुकगण आदि ने सहयोग किया वही यज्ञ यजमान रामेश्वर सिंह मौजूद थे।