बिहार को रास आती रही है भाजपा-जदयू की दोस्ती, दूसरों पर पड़ते हैं भारी
बिहार के लोगों को भाजपा और जदयू की दोस्ती रास आती है। दोनों दलों के गठबंधन ने बिहार को एक मुकाम तक पहुंचाया है। इनकी जुगलबंदी अन्य गठबंधन पर भारी पड़ती है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। राजनीति में कोई किसी का स्थायी मित्र अथवा शत्रु नहीं होता है, किंतु बिहार में भाजपा-जदयू की कुंडली वर्षों से एक-दूसरे से मेल खाती रही है। चाहे विकास का मामला हो, विश्वसनीयता का हो या सियासत का, दोनों दलों के गठबंधन ने बिहार को एक मुकाम तक पहुंचाया है। चुनावी राजनीति में भी भाजपा-जदयू की दोस्ती अपने प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ती रही है। हाल में तीन सीटों पर हए उपचुनाव के नतीजों ने इस तथ्य को फिर सत्यापित किया है।
अररिया लोकसभा क्षेत्र के छह में से चार विधानसभा क्षेत्रों समेत भभुआ में जीत दर्ज कर राजग ने यह अहसास करा दिया है कि अगले चुनाव में राजद-कांग्रेस की कोशिशों पर भाजपा-जदयू की जुगलबंदी भारी पड़ सकती है।
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि राजग के खाते में उपचुनाव में तकरीबन उतने ही मत पड़े हैं, जितने पिछले लोकसभा चुनाव में अलग-अलग लड़ते हुए भाजपा-जदयू के प्रत्याशियों को मिले थे।
2014 के संसदीय चुनाव में भाजपा-जदयू के प्रत्याशियों को मिले मत का कुल जोड़ राजद-कांग्र्रेस गठबंधन को मिले मतों से ज्यादा था। आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार भी भाजपा प्रत्याशी को अररिया के चार विधानसभा क्षेत्रों में राजद से ज्यादा वोट मिले हैं। सिर्फ अररिया और जोकीहाट विधानसभा क्षेत्रों में ही राजद के प्रत्याशी सरफराज आलम बड़ी बढ़त लेने में कामयाब हुए।
इसके पहले भी जदयू-भाजपा गठबंधन 1998, 2004 और 2009 के संसदीय चुनावों में अररिया में प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ता रहा है। नए परिसीमन में 2009 में अररिया का भूगोल बदलने के बाद एक बार भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह ने इसे जीता था, लेकिन 2014 के आम चुनाव में राजद के तस्लीमुद्दीन ने प्रदीप को हराकर इसे अपने अनुकूल बना लिया। तस्लीमुद्दीन को तब 41.81 फीसद, प्रदीप को 26.80 एवं जदयू के विजय मंडल को 22.73 फीसद वोट मिले थे।
जाहिर है, अलग-अलग लड़कर भाजपा-जदयू ने इस सीट को राजद की झोली में डाल दिया था। जहानाबाद में जदयू प्रत्याशी के खिलाफ समर्थकों की नाराजगी को अगर नजरअंदाज कर दें तो भभुआ विधानसभा क्षेत्र में राजग का सामाजिक समीकरण महागठबंधन के फार्मूले पर भारी पड़ गया।
विधानसभा वार दो चुनावों का तुलनात्मक नतीजा
नरपतगंज
वर्ष : भाजपा-जदयू : राजद
2018 : 88249 : 69697
2014 : 90646 : 54169
रानीगंज
वर्ष : भाजपा-जदयू : राजद
2018 : 82004 : 66708
2014 : 80973 : 59227
फारबिसगंज
वर्ष : भाजपा-जदयू : राजद
2018 : 93739 : 74498
2014 : 106788 : 60978
सिकटी
वर्ष : भाजपा-जदयू : राजद
2018 : 87070 : 70400
2014 : 96828 : 46045
जोकीहाट
वर्ष : भाजपा-जदयू : राजद
2018 : 39517 : 120756
2014 : 46272 : 92575
अररिया
वर्ष : भाजपा-जदयू : राजद
2018 : 56834 : 107260
2014 : 61736 : 88106