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International Yoga Day : दुनिया के 56 देशों में आज बिहार की योग पद्धति से अभ्यास

International Yoga Day पर आज विश्व के 56 अधिक देशों के लोग बिहार योग पद्धति से ही योगाभ्यास कर रहे हैं। ये सभी बिहार योग पद्धति पर आधारित योग केंद्र से संचालित हो रहे हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 21 Jun 2016 07:53 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jun 2016 06:25 PM (IST)

मुंगेर [प्रशांत]। आज विश्व योग दिवस है। पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर उत्साह का माहौल है। योग नगरी मुंगेर में तो उत्साह चरम पर है। यहां हर घर-आंगन योग दिवस को योग उत्सव के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम के ठीक पहले मुंगेर योगाश्रम के आचार्य स्वामी शिवध्यानम ने साधकों को संबोधित किया।

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सही साबित हुई भविष्यवाणी

मुंगेर की धरती से ही स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने 1963 में यह भविष्यवाणी की थी कि योग परम शक्तिशाली विश्व संस्कृति के रूप में प्रकट होगा और विश्व की घटनाओं को निर्देशित करेगा। जब संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की स्वीकृति प्रदान की तो स्वामी सत्यानंद की भविष्यवाणी सही साबित हो गई।

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सीख रहे स्वस्थ जीवन के गुर

आज विश्व के लगभग से 56 अधिक देशों के लोग बिहार योग पद्धति से ही योगाभ्यास कर रहे हैं। ये सभी बिहार योग पद्धति पर आधारित योग केंद्र से संचालित हो रहे हैं। इस पद्धति के जरिये ही लोगों को स्वस्थ जीवन का गुर सिखाया जा रहा है।

इन देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, चीन, कोलंबिया, क्रोएशिया, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, यूनान, ईरान, इराक, आयरलैंड, इटली, जापान, कजाकिस्तान, लेबनान, नेपाल, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, स्कॉटलैंड, रूस, स्पेन, अमेरिका, लंदन, दक्षिण अफ्रीका, स्विट्जरलैंड सहित कई अन्य देश शामिल हैं।

विश्व योग सम्मेलन में आए थे 56 देशों के प्रतिनिधि

बिहार योग विद्यालय से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता शिव कुमार रूंगटा ने कहा कि मुंगेर में वर्ष 2013 में आयोजित विश्व योग सम्मेलन में दुनियाभर के लगभग 56 देशों के 15 सौ से अधिक प्रतिनिधि आए थे। सभी बिहार योग विद्यालय से आत्मीय रूप से जुड़े हैं। बिहार योग पद्धति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य तक सिमटी नहीं है, बल्कि यौगिक जीवन शैली को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करती है।

यह रहा खास...

- विद्यालय की ओर से पहली बार यम और नियम का अभ्यास कराया गया, ताकि लोगों की जीवनशैली व्यवस्थित हो सके।

यम : यम को मन प्रसाद भी कहते हैं। यम में बीते एक सप्ताह की गतिविधियों का अवलोकन करें। इस दौरान अपनी उन गतिविधियों को खोजिए, जहां आप दु:खी अथवा प्रसन्न हुए हों। ऐसी गतिविधि के बाद अपने भीतर हुई प्रतिक्रिया का विश्लेषण करें। वह आपकी कौन सी कमजोरी या दुर्गुण की ओर इंगित करती है।

यह पहचानने का प्रयास करें। फिर उसके विपरीत सकारात्मक गुणों का ङ्क्षचतन करके उसे सुदृढ़ कीजिए। ऐसा लगातार करने से आप बुरी आदतों से बचेंगे और आपके जीवन में आनंद आएगा।

नियम : दूसरों के अंदर की अच्छाइयों और सकारात्मकता के प्रति नमन के भाव से नमस्कार करें।

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