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लोकसभा चुनाव: क्या इस बार हैट्रिक लगाएंगे शॉटगन व रामकृपाल, लोग पूछ रहे सवाल

पटना साहिब और पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र की जनता सवाल पूछ रही कि क्या दोनों संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा और रामकृपाल यादव इस लोकसभा चुनाव में हैट्रिक लगा पाएंगे?

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 09:59 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 08:33 PM (IST)
लोकसभा चुनाव: क्या इस बार हैट्रिक लगाएंगे शॉटगन व रामकृपाल, लोग पूछ रहे सवाल
पटना [श्रवण कुमार]। अजब संयोग है पटना लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों के साथ। भले ही एक प्रत्याशी कई-कई बार चुनाव जीतकर पटना का प्रतिनिधित्व कर चुका हो, पर अब तक हैट्रिक किसी ने नहीं बनाई है। सारंगधर सिन्हा, रामावतार शास्त्री, रामकृपाल यादव, सीपी ठाकुर और शत्रुघ्न सिन्हा ऐसे सांसद रहे हैं जिन्होंने लगातार दो बार जीत हासिल की है।
लगातार तीसरी बार इनमें से किसी ने अब तक जीत दर्ज नहीं की है। हालांकि, रामावतार शास्त्री और सीपी ठाकुर को तीन बार और रामकृपाल यादव को सर्वाधिक चार बार पटना का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्राप्त हो चुका है। सारंगधर सिन्हा और रामावतार शास्त्री तो अब बीते दिनों की बात हैं।
इस चुनाव में नया रिकॉर्ड बनाने की जद्दोजहद शत्रुघ्न सिन्हा और रामकृपाल के लिए है। शत्रुघ्न सिन्हा अगर यह चुनाव लड़कर अपने प्रतिद्वंदी को खामोश कर सके, तो हैट्रिक का रिकॉर्ड बन सकता है। दूसरी ओर रामकृपाल ने अगर इस बार भी जीत हासिल की तो सांसद के रूप में यह उनका पाचवां कार्यकाल होगा। इसके साथ ही दो बार लगातार दो कार्यकाल वाले पटना के पहले सांसद बन जाएंगे। 
आजादी के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस ने 1952, 1957 और 1962 में पटना लोकसभा क्षेत्र पर कब्जा जमाए रखा था। हालांकि सारंगधर सिन्हा 1952 और 1957 में ही क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सके। 1962 में कांग्रेस ने प्रत्याशी बदल दिया। तब रामदुलारी सिन्हा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। इसके बाद पटना की जमीन पर सीपीआइ का कब्जा हुआ।
सीपीआइ के रामावतार शास्त्री ने भी 1967 और 1971 में लगातार दो बार पटना का प्रतिनिधित्व किया। 1977 में हैट्रिक लगाने से वे चूक गए और पटना पर जनता पार्टी के महामाया प्रसाद सिन्हा का कब्जा हो गया। हालांकि इसके बाद 1980 में हुए चुनाव में शास्त्री ने फिर से पटना की सीट पर कब्जा जमा लिया।
यह शास्त्री की आखिरी जीत थी। 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने लगभग सत्रह वर्षों के बाद अपनी खोई जमीन पर फिर से पांव जमाए। तब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में डॉ. सीपी ठाकुर ने जीत हासिल की। पर अगले ही चुनाव में 1989 में पटना की जमीन भगवा हो गई और शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव सांसद बने।
श्रीवास्तव ने एक ही बार पटना का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद रामकृपाल यादव का जमाना आया। 1991 और 1996 में रामकृपाल ने जनता दल के टिकट पर पटना का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि हैट्रिक बनाने से वे भी चूक गए।
1998 में भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे सीपी ठाकुर ने हैट्रिक के रामकृपाल के सपने को ध्वस्त कर पटना पर कब्जा जमा लिया। 1998 और 1999 के चुनावों में लगातार दो जीत हासिल करने वाले डॉ. ठाकुर के हैट्रिक के मंसूबे भी पूरे नहीं हो सके। डॉ. ठाकुर के मंसूबे पर 2004 में फिर रामकृपाल ने ही पानी फेरा। 
इसके बाद 2008 में पटना की तस्वीर बदल गई। परिसीमन के बाद यह तीसरा लोकसभा चुनाव है। पाटलिपुत्र से 2009 में रंजन यादव ने लालू प्रसाद को पराजित कर, तो 2014 में रामकृपाल यादव ने लालू की बिटिया मीसा भारती को पराजित कर जीत हासिल की है। रामकृपाल लगातार दूसरी बार मैदान में हैं। 
पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुके हैं। 'सिचुएशन कुछ भी हो लोकेशन वही रहेगा' बयान के बाद चर्चा है कि शत्रुघ्न फिर से पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से ही भाग्य आजमाएंगे। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उनके मैदान में उतरने की संभावना है। 

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