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शौचालय निर्माण को लेकर 15 करोड़ की हेरा-फेरी, यूं हुआ मामले का पर्दाफाश

बिहार में शौचालय निर्माण के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाकर 15 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। डीएम ने इस मामले में सख्‍त कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 05:01 PM (IST)Updated: Fri, 03 Nov 2017 10:54 PM (IST)
शौचालय निर्माण को लेकर 15 करोड़ की हेरा-फेरी, यूं हुआ मामले का पर्दाफाश
शौचालय निर्माण को लेकर 15 करोड़ की हेरा-फेरी, यूं हुआ मामले का पर्दाफाश

पटना [जेएनएन]। शौचालय निर्माण के नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर चार एनजीओ को साढ़े तेरह करोड़ रुपये व प्रचार-प्रसार के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये के अवैध तरीके से किए गए भुगतान के मामले में पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) पूर्वी प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा को निलंबित करने की अनुमति शासन से मांगी है। 24 घंटे के अंदर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश भी दिया है।

विनय वर्तमान में बिहार राज्य जल पर्षद में अधीक्षण अभियंता हैं। डीएम के आदेश पर एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही गबन के आरोप में उनपर प्राथमिकी दर्ज की गई है। चार एनजीओ के छह सदस्यों और व्यक्तिगत रुपये से राशि लेने वाले दो लोगों पर भी प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। गबन में शामिल लोगों की संख्या और राशि में वृद्धि हो सकती है। डीएम ने एनजीओ के ठिकाने पर छापेमारी के निर्देश दिए हैं। विनय कुमार सिन्हा ने नियमों की ऐसी-तैसी कर 15 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। जबकि, शौचालय निर्माण की राशि का भुगतान सीधे खाते में करना था। 

डीएम ने बताया कि बड़ी वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। राशि की निकासी गलत तरीके से की गई। तीन बार कार्यपालक अभियंता को नोटिस देने के बाद भी जवाब नहीं मिला। डीडीसी अमरेंद्र कुमार और डीआरडीए निदेशक अवधेश राम से जांच कराई गई। कई महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हैं।

राशि वापसी के लिए नीलामपत्र दायर किया जाएगा। राशि वापस नहीं होने पर पदाधिकारी, कर्मी और एनजीओ संचालकों की संपत्ति जब्त की जाएगी। इस तरह की वित्तीय अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एनजीओ को काली सूची में डाला जाएगा।

15 दिनों में 13 करोड़ का भुगतान

विनय ने तीन एनजीओ को साढ़े 13 करोड़ रुपये का भुगतान 15 दिनों के अंदर कर दिया। जबकि एक माह में 50 लाख रुपये भुगतान का अधिकार है। बचने के लिए कई चेक पांच लाख रुपये से कम राशि के काटे गए। राशि खर्च करने की समय-सीमा का भी ख्याल नहीं रखा गया।

राज्‍य सरकार ने 2013 में ही सीधे लाभुकों के खाते में राशि भुगतान का नियम बना दिया था। 2016 में शौचालय निर्माण का कार्य पीएचईडी से ग्रामीण विकास विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया। तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ने 2013-14 और 2014-15 वित्तीय वर्ष की राशि का भुगतान 15 दिनों में तीन एनजीओ को कर दिया। वर्ष 2016 में एक मई से 16 मई के बीच राशि का भुगतान किया गया।

अपने बचाव के लिए कार्यपालक अभियंता ने लॉग बुक क्लोज कर नई लॉग बुक खोल दी। दो व्यक्तिगत खातों में तीन-तीन लाख रुपये का भुगतान चेक से किया गया है। एनजीओ आदि शक्ति सेवा सदन, रजौली को दस करोड़ का भुगतान हुआ। इसके संचालक उदय सिंह और सुमन हैं। मां सर्वेश्वरी सेवा संस्थान, बख्तियारपुर को 2.14 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

इसके संचालक मनोज कुमार, बॉबी कुमारी, प्रमिला सिंह हैं। सत्यम शिवम कला केंद्र, गोला रोड को 1.52 करोड़ रुपये भुगतान किया गया। इसके संचालक महेंद्र कुमार हैं। तीन एनजीओ के छह सदस्यों पर प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। शिव सेवा संस्थान को 6.71 लाख, बिहारशरीफ की रीता कुमारी के खाते में 3.60 लाख और दरभंगा के गांधीनगर की प्रीति कुमारी के खाते में 2.97 लाख रुपये का भुगतान हुआ है। तीनों पर प्राथमिकी दर्ज हो गई है।

कार्यालय में नहीं हैं साक्ष्य

पीएचईडी कार्यालय में लाभुकों को भुगतान का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। राशि भुगतान कार्य तब किया गया जब पीएचईडी से ग्रामीण विकास विभाग को शौचालय निर्माण का कार्य स्थानांतरित करने का फैसला पहले ही हो चुका था। प्रचार-प्रसार के नाम पर निकाले गए डेढ़ करोड़ रुपये का कार्यालय में विवरण उपलब्ध नहीं है।

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